फर्रुखाबाद : बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों में अक्सर आपने देखा होगा कि दो भाई मेले में बिछड़ जाते हैं जो कि किसी न किसी इत्तेफाक से अचानक सालों बाद मिल जाते हैं, लेकिन फर्रुखाबाद में चल रहे रामनगरिया मेले में शायद ही कोई अपनों से बिछड़ेगा. मंगलवार देर रात तक मेला क्षेत्र में करीब 20 बच्चों को उनके अभिभावकों से मिलाया जा चुका है.
मिनी कुंभ रामनगरिया मेले में देश के विभिन्न स्थानों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. ऐसे में मेले में लोग एक- दूसरे से बिछड़ते भी हैं, लेकिन प्रशासन ने इससे निपटने के लिए खास इंतजाम किए हैं. रामनगरिया मेले में बिछड़े हुए लोगों को अपनों से मिलाने के लिए माइक से एनाउंसमेंट के साथ एलईडी डिस्प्ले पर भी सूचना दी जा रही है.
पांचाल घाट के गंगा तट पर बने खोया-पाया केंद्र के मैनेजर सुरेश चंद्र दीक्षित के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अपने किसी सगे संबंधी से बिछड़ने के बाद हमारे पास आता है, तो वॉलिंटियर्स पहले उससे कब,कौन, कहां, कैसे आदि की पूरी जानकारी लेते हैं. कोई फोटो या पहचान का दस्तावेज मिलने पर काम आसान हो जाता है. अंदर से बाहर तक लगे एलईडी स्क्रीन पर फोटो नाम सहित जानकारी अपडेट की जाती है. तुरंत पूरे मेला क्षेत्र में संबंधित शख्स का नाम लेकर उद्घोषणा भी की जाती है.
उन्होंने बताया कि सीसीटीवी फुटेज की मदद से बिछड़े बच्चों के परिजनों की पहचान की जाती है. उनके अनुसार 11 सालों से खोया-पाया केंद्र के माध्यम से बिछुड़ों को अपनों से मिलाने का काम कर रहे हैं. इस काम में बहुत खुशी मिलती है. अगर मेले में लापता कोई बच्चा केंद्र पर पहुंचता है, तो जब तक उसके परिजन मिल नहीं जाते तब तक उसके खाने और रहने का इंतजाम भी करते हैं क्योंकि मंगलवार देर रात तक 20 लोगों को उनके परिजनों के हैंडओवर किया जा चुका था.
हरदोई से आई किरन ने बताया की गंगा तट पर आरती करते समय अचानक 4 वर्षीय बेटी रानी कहीं गायब हो गई. आसपास काफी देर तक उसकी तलाश की लेकिन कोई जानकारी नहीं लग पाई. तभी एनाउंसमेंट में बच्चे की पहचान सुनी तो यहां आकर अपनी बच्ची को देख बहुत खुशी मिली.