लखनऊ: आम्रपाली ग्रुप में हुए फर्जीवाड़े को लेकर ईडी ने अपनी जांच तेज कर दी है. ईडी की जांच में इस बात का पता चला है कि आम्रपाली ग्रुप से कई अधिकारियों ने गलत तरीके से फायदा उठाया है. ऐसे में अब इन अधिकारियों से प्रवर्तन निदेशालय की टीम जल्द पूछताछ करेगी.
वर्ष 2008 से 2015 के बीच आम्रपाली समूह में अनियमितता बरतते हुए बड़े पैमाने पर गैरकानूनी तरीके से मोटी रकम का हेरफेर किया गया. ईडी ने इस पूरे मामले की जांच की, जिसमें आम्रपाली समूह के ऑडिटर को आरोपी माना गया. ईडी अब पूरे मामले की जांच कर रही है. अब तक की जांच में घोटाले को लेकर कई लोगों के नाम सामने आए हैं. ईडी ने कई अधिकारियों को चिन्हित किया है. जिन्होंने आम्रपाली ग्रुप से अनुचित तरह से लाभ लिया है. आने वाले दिनों में चिन्हित किए गए इन लोगों से पूछताछ के लिए कोर्ट से ईडी डिमांड करेगी.
जहां बीते दिनों ईडी ने आम्रपाली ग्रुप के ऑडिटर अनिल मित्तल को गिरफ्तार किया था, तो वहीं इससे पहले कार्रवाई करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जेपी मोर्गन समूह के 187 करोड़ रुपए ईडी ने अटैच किए थे. पैसों के इस हेरफेर में ईडी को कई कर्मचारियों की संलिप्तता के बारे में भी जानकारी मिली है. ऐसे में आने वाले दिनों में ईडी के अधिकारी कई बैंक अधिकारी व कर्मचारियों से भी पूछताछ कर सकते हैं.
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग केस में बीते दिनों 7 दिन की कस्टडी रिमांड पर लिए गए आम्रपाली समूह के ऑडिटर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की भी कोविड-19 संक्रमण की जांच कराई गई. आम्रपाली ग्रुप के ऑडिटर के संपर्क में आए 20 कर्मचारियों का टेस्ट कराया गया था. सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है. वहीं आरोपी की भी दोबारा जांच के बाद कोरोना वायरस संक्रमण रिपोर्ट निगेटिव आई है. जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया है. ईडी अब दोबारा कोर्ट से अनिल मित्तल की कस्टडी रिमांड की डिमांड करेगी. सभी कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण निगेटिव आने के बाद अब इस मामले को लेकर ईडी ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है.