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यूपी में मानक पूरे नहीं कर रहीं स्मार्ट प्रीपेड मीटर कंपनियां, फिर भी धड़ल्ले से लगाए जा रहे मीटर - SMART PREPAID METER ISSUES

बिना एसएटी टेस्ट पास किए स्मार्ट प्रीपेड मीटर को उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाने पर रोक लगाने की मांग.

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साइट एक्सेप्टेंस टेस्ट पास करना जरूरी (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 29, 2024, 5:50 PM IST

Updated : Dec 29, 2024, 5:56 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में जहां उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जाना है, वहीं पूरे प्रदेश में लगभग पांच लाख से ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के घर पर लगाए जा चुके हैं. मॉडल स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 9.6.1 के तहत पांच प्रतिशत या 25000 जो पहले हो, स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग जाने के बाद साइट एक्सेप्टेंस टेस्ट (एसएटी) पास करना अनिवार्य होगा. एसएटी टेस्ट के पहले फील्ड इंस्टॉलेशन एंड इंटीग्रेशन टेस्ट (एफआईआईटी) पास करना अनिवार्य है.

अभी तक एसएटी पास की बात तो दूर मीटर निर्माता कंपनियों के मीटर में बडे पैमाने पर कमियां सामने आ आई हैं. वर्तमान में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाली कंपनियों मे कोई भी इन दोनों टेस्ट में पास नहीं हुई. उपभोक्ता परिषद का कहना है कि तत्काल पूरे प्रदेश में उपभोक्ताओं के परिसर पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने पर पावर कारपोरेशन प्रबंधन को रोक लगाना चाहिए. यह मॉडल बिडिंग डॉक्यूमेंट का पार्ट है और ऐसा न किया जाना उसका उल्लंघन होगा.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिडिंग डॉक्यूमेंट में दिए गए प्रावधान की जानकारी पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य निधि नारंग को देते हुए तत्काल बिना एसएटी टेस्ट पास किए स्मार्ट प्रीपेड मीटर को उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाए जाने पर रोक लगाने की मांग उठाई है. कहा है जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर अभी एसएटी टेस्ट ही नहीं पास कर पाईं अब ऐसे मीटरों को उपभोक्ताओं के परिसर पर बिल्कुल न लगाया जाए.

अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिना एसएटी पास होने के बाद पावर कारपोरेशन को यह सुनक्षित करना चाहिए कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर जो उपभोक्ताओं के परिसर पर लग रहे वह पूरी तरीके से हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर इक्विपमेंट, साइबर सिक्योरिटी में पास हो चुके हैं. बिना कानूनन अब एसएटी पास किए उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जाना गलत है. 25000 मीटर लगाए जाने की तो कानूनी जरूरत थी, क्योंकि तभी गो लाइव किए जाने के पहले जो टेस्ट होते हैं उसे चेक किया जा सकता है, क्योंकि उसे गो लाइव करने के लिए टेस्ट करना अनिवार्य होता है अब जब एसएटी टेस्ट पास न हो जाए इसे लगाया जाना गलत है.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पहले भी जब 50 लाख स्मार्ट मीटर का टेंडर फाइनल हुआ था और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने 12 लाख मीटर लगाए थे. इसके बाद उसमें कमियां सामने आ गई और पूरा प्रोजेक्ट आज बंद हो गया. इसका खामियाजा आज भी उपभोक्ता भुगत रहे, फिर भी पावर कारपोरेशन की तरफ से बिना टेस्ट पास किए मीटर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाए जा रहे हैं.

इंजीनियरों पर हो रही एकतरफा कार्रवाई, मुख्यमंत्री से जांच की मांग: उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने बिजली कंपनियों में लगातार निलंबन की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री से जांच कराने की मांग की है. संगठन ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार आठ मुख्य अभियंताओं जिसमें ज्यादातर वितरण क्षेत्र के हैं और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (बीआरएस )की लाइन में लगे हैं.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान में बिजली निगमों में अभियंता अपने मान सम्मान को बचाने के लिए नौकरी के आखिरी समय में स्वयं नौकरी से अपने को अलग कर घर में बैठना उचित समझते हैं, जबकि ऊर्जा क्षेत्र एक ऐसा तकनीकी विभाग है जिसमें ऐसे अनुभव वाले अभियंताओं की ईमानदारी से सम्मान को बचाने के लिए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को आगे आना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी अवधेश कुमार वर्मा ने एलान किया है कि एक जनवरी को पूरे उत्तर प्रदेश में निजीकरण के विरोध में दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता काली पट्टी बांधकर अपना नियमित काम करेंगे. निजीकरण का संवैधानिक विरोध करेंगे.

ये भी पढ़ें- महाकुंभ 2025: अखाड़े में आकर्षण का केंद्र बनीं धर्म ध्वजाएं, इनके बिना नहीं शुरू होता कोई शुभ काम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में जहां उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जाना है, वहीं पूरे प्रदेश में लगभग पांच लाख से ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के घर पर लगाए जा चुके हैं. मॉडल स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 9.6.1 के तहत पांच प्रतिशत या 25000 जो पहले हो, स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग जाने के बाद साइट एक्सेप्टेंस टेस्ट (एसएटी) पास करना अनिवार्य होगा. एसएटी टेस्ट के पहले फील्ड इंस्टॉलेशन एंड इंटीग्रेशन टेस्ट (एफआईआईटी) पास करना अनिवार्य है.

अभी तक एसएटी पास की बात तो दूर मीटर निर्माता कंपनियों के मीटर में बडे पैमाने पर कमियां सामने आ आई हैं. वर्तमान में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाली कंपनियों मे कोई भी इन दोनों टेस्ट में पास नहीं हुई. उपभोक्ता परिषद का कहना है कि तत्काल पूरे प्रदेश में उपभोक्ताओं के परिसर पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने पर पावर कारपोरेशन प्रबंधन को रोक लगाना चाहिए. यह मॉडल बिडिंग डॉक्यूमेंट का पार्ट है और ऐसा न किया जाना उसका उल्लंघन होगा.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिडिंग डॉक्यूमेंट में दिए गए प्रावधान की जानकारी पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य निधि नारंग को देते हुए तत्काल बिना एसएटी टेस्ट पास किए स्मार्ट प्रीपेड मीटर को उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाए जाने पर रोक लगाने की मांग उठाई है. कहा है जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर अभी एसएटी टेस्ट ही नहीं पास कर पाईं अब ऐसे मीटरों को उपभोक्ताओं के परिसर पर बिल्कुल न लगाया जाए.

अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिना एसएटी पास होने के बाद पावर कारपोरेशन को यह सुनक्षित करना चाहिए कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर जो उपभोक्ताओं के परिसर पर लग रहे वह पूरी तरीके से हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर इक्विपमेंट, साइबर सिक्योरिटी में पास हो चुके हैं. बिना कानूनन अब एसएटी पास किए उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जाना गलत है. 25000 मीटर लगाए जाने की तो कानूनी जरूरत थी, क्योंकि तभी गो लाइव किए जाने के पहले जो टेस्ट होते हैं उसे चेक किया जा सकता है, क्योंकि उसे गो लाइव करने के लिए टेस्ट करना अनिवार्य होता है अब जब एसएटी टेस्ट पास न हो जाए इसे लगाया जाना गलत है.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पहले भी जब 50 लाख स्मार्ट मीटर का टेंडर फाइनल हुआ था और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने 12 लाख मीटर लगाए थे. इसके बाद उसमें कमियां सामने आ गई और पूरा प्रोजेक्ट आज बंद हो गया. इसका खामियाजा आज भी उपभोक्ता भुगत रहे, फिर भी पावर कारपोरेशन की तरफ से बिना टेस्ट पास किए मीटर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाए जा रहे हैं.

इंजीनियरों पर हो रही एकतरफा कार्रवाई, मुख्यमंत्री से जांच की मांग: उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने बिजली कंपनियों में लगातार निलंबन की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री से जांच कराने की मांग की है. संगठन ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार आठ मुख्य अभियंताओं जिसमें ज्यादातर वितरण क्षेत्र के हैं और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (बीआरएस )की लाइन में लगे हैं.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान में बिजली निगमों में अभियंता अपने मान सम्मान को बचाने के लिए नौकरी के आखिरी समय में स्वयं नौकरी से अपने को अलग कर घर में बैठना उचित समझते हैं, जबकि ऊर्जा क्षेत्र एक ऐसा तकनीकी विभाग है जिसमें ऐसे अनुभव वाले अभियंताओं की ईमानदारी से सम्मान को बचाने के लिए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को आगे आना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी अवधेश कुमार वर्मा ने एलान किया है कि एक जनवरी को पूरे उत्तर प्रदेश में निजीकरण के विरोध में दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता काली पट्टी बांधकर अपना नियमित काम करेंगे. निजीकरण का संवैधानिक विरोध करेंगे.

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Last Updated : Dec 29, 2024, 5:56 PM IST
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