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कन्नौज: आखिर कब सुधरेगी जिला अस्पताल की बदहाल तस्वीर - कन्नौज के ताजा समाचार

सरकार के आदेशों के बावजूद स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी और कर्मचारी ड्यूटी पर सही समय पर नहीं पहुंच रहे. जिसके चलते मरीजों को खासा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

जिला अस्पताल में डॉक्टर अनुपस्थित.
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Published : Jul 3, 2019, 12:09 PM IST

कन्नौज: वर्ष 2007 में जब 100 शैय्या संयुक्त जिला चिकित्सालय खुला, तब जनपद सहित आसपास की जनता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लेकिन अस्पताल खुलने के बाद लगातार इसकी हालत खराब होती जा रही है. आलम ये है कि यहां ठेके पर काम करने वाले संविदाकर्मी ही चिकित्सकों और फार्मासिस्ट का कार्य संभाल रहे हैं. अस्पताल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त एवं गंभीर मरीजों के लिए बनाया गया ट्रामा सेंटर अभी तक चालू नहीं हो सका है. वहीं सर्जन के नाम पर डॉक्टरों की खानापूर्ति की जा रही है, जिसके चलते मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है.

डॉक्टरों की अनुपस्थिति में बदहाल जिला अस्पताल.

डॉक्टर के इंतजार में मायूस लौट रहे मरीज

  • जिले में वर्ष 2007 में खुले जिला चिकित्सालय में 12 वर्ष बीतने के बाद भी अभी तक एक भी फिजीशियन नहीं है.
  • अस्पताल में चिकित्सकों और स्टाफ कर्मियों की मनमानी मरीजों पर भारी पड़ रही है.
  • अस्पताल में तैनात एक मात्र सर्जन संदीप सिंह 10:30 बजे तक अपने कक्ष से नदारद रहते हैं.
  • बुजुर्गों के लिए अतिरिक्त वार्ड बनाए जाने के आदेश के बाद अभी कुछ दिन पहले कैंटीन परिसर में उक्त वार्ड खोलकर औपचारिकता पूर्ण की गई.

वहीं इस मामले में प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक जे एस रंधावा ने बताया कि हमारे एक चिकित्सक छुट्टी पर हैं, इमरजेंसी से ओपीडी ऑपरेट किया जा रहा है. इस समय एक ही सर्जन है, जो अवकाश पर हैं. इसलिए थोड़ी दिक्कत मरीजों को हो रही है.

कन्नौज: वर्ष 2007 में जब 100 शैय्या संयुक्त जिला चिकित्सालय खुला, तब जनपद सहित आसपास की जनता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लेकिन अस्पताल खुलने के बाद लगातार इसकी हालत खराब होती जा रही है. आलम ये है कि यहां ठेके पर काम करने वाले संविदाकर्मी ही चिकित्सकों और फार्मासिस्ट का कार्य संभाल रहे हैं. अस्पताल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त एवं गंभीर मरीजों के लिए बनाया गया ट्रामा सेंटर अभी तक चालू नहीं हो सका है. वहीं सर्जन के नाम पर डॉक्टरों की खानापूर्ति की जा रही है, जिसके चलते मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है.

डॉक्टरों की अनुपस्थिति में बदहाल जिला अस्पताल.

डॉक्टर के इंतजार में मायूस लौट रहे मरीज

  • जिले में वर्ष 2007 में खुले जिला चिकित्सालय में 12 वर्ष बीतने के बाद भी अभी तक एक भी फिजीशियन नहीं है.
  • अस्पताल में चिकित्सकों और स्टाफ कर्मियों की मनमानी मरीजों पर भारी पड़ रही है.
  • अस्पताल में तैनात एक मात्र सर्जन संदीप सिंह 10:30 बजे तक अपने कक्ष से नदारद रहते हैं.
  • बुजुर्गों के लिए अतिरिक्त वार्ड बनाए जाने के आदेश के बाद अभी कुछ दिन पहले कैंटीन परिसर में उक्त वार्ड खोलकर औपचारिकता पूर्ण की गई.

वहीं इस मामले में प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक जे एस रंधावा ने बताया कि हमारे एक चिकित्सक छुट्टी पर हैं, इमरजेंसी से ओपीडी ऑपरेट किया जा रहा है. इस समय एक ही सर्जन है, जो अवकाश पर हैं. इसलिए थोड़ी दिक्कत मरीजों को हो रही है.

Intro:मुख्यमंत्री के आदेशों की उड़ रही धज्जियाँ, जिला अस्पताल के मरीज हो रहे परेशान, डॉक्टर नदारद

मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे स्वास्थ्य महकमे की मनमानी मरीजों पर भारी पड़ रही है । सुबह 9:00 बजे से सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी का सख्त आदेश होने के बाद भी स्वास्थ्य महकमे में अधिकारी और कर्मचारी इस और कतई ध्यान नहीं दे रहे हैं , जिससे मरीजों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। आइए देखते हैं कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट।




Body:यूपी के कन्नौज में वर्ष 2007 में सौ शैय्या संयुक्त जिला चिकित्सालय खुला तो जनपद सहित आसपास के जनपदों के आम लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने की आस में लोग खुशी से फूले नहीं समाए , लेकिन अस्पताल खुलने के बाद लगातार इसकी हालत खराब होती जा रही है। आलम यह है कि 12 वर्ष बीतने के बाद भी अभी तक अस्पताल को एक फिजीशियन नहीं मिल सका है ,जिस कारण दूरदराज के अंचलों से आने वाले अधिकतर मरीज आधा अधूरा इलाज लेने को विवश है ।इसके अलावा यहां ठेके पर काम करने वाले संविदा कर्मी ही चिकित्सकों व फार्मासिस्ट का कार्य संभाल रहे हैं और मोटा सरकारी वेतन लेने वाले कर्मचारियों की हठधर्मिता मरीजों पर भारी पड़ रही है । इलाज के लिए अस्पताल आने वाले मरीज चिकित्सकों की अनदेखी के कारण अस्पताल परिसर में इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं।






Conclusion:अस्पताल में जहां एक ओर मरीजों की भारी भीड़ उमड़ रही है,तो वहीं अस्पताल में तैनात एकमात्र सर्जन संदीप सिंह 10:30 बजे तक अपने कक्ष से नदारद रहते हैं। अस्पताल में भी उनका कहीं अता पता नहीं लग रहा था, कई मरीज उनके कक्ष के बाहर घंटों इंतजार करते रहे और मायूस होकर वापस लौट गए । अस्पताल में चिकित्सकों व स्टाफ कर्मियों की मनमानी मरीजों पर भारी पड़ रही है । इतना ही नहीं दो वर्ष पूर्व अस्पताल में बुजुर्गों के लिए अतिरिक्त वार्ड बनाए जाने के आदेश के बाद अभी कुछ दिन पहले कैंटीन परिसर में उक्त वार्ड खोलकर औपचारिकता पूर्ण कर दी गई थी । अस्पताल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त एवं गंभीर मरीजों के लिए बनाया गया ट्रामा सेंटर अभी तक चालू नहीं हो सका है, जिस कारण गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है । आलम यह है कि सर्जन के नाम पर डॉक्टरों की खानापूर्ति की जा रही है, जिसकी वजह से मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। मरीजों ने बताया कि डॉक्टर साहब को दिखाने आए थे, लेकिन डॉक्टर नहीं मिले । सुबह से बैठे हैं कोई कहता है आएंगे कोई कहता है छुट्टी पर है । आएंगे तो कब आएंगे किसी को पता नहीं। कल आए थे कल भी लौट गए थे और कल भी डॉक्टर नहीं मिले थे । तो वही इस मामले में प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक जे एस रंधावा ने बताया कि हमारे एक चिकित्सक छुट्टी पर हैं । इमरजेंसी से ओपीडी ऑपरेट किया हुआ है। इस समय एक ही सर्जन है हमारे जो चिकित्सक हैं अवकाश पर हैं, इसलिए थोड़ी दिक्कत मरीजों को हो रही है।

बाइट- मरीज
बाइट - जे.एस. रंधावा - प्रभारी चिकित्साधीक्षक जिला अस्पताल कन्नौज
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कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
9415 1689 69
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