जौनपुर: जिला जेल पहले धनंजय सिंह के चलते सुर्खियों में रहा है. शुक्रवार को पूर्व सांसद की हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद रिहाई हो गई. बीते 3 महीने तक जब तक पूर्व सांसद धनंजय सिंह जिला जेल में रहे, तब तक जिला प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने कोई छापेमारी नहीं की, लेकिन उनके जेल से निकलते ही जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई की. आधे घंटे तक छापेमारी की कार्रवाई की गई. जेल की बैरक को भी तलाशा गया, लेकिन जब जेल से अधिकारी बाहर निकले, तो वह मायूस दिखाई दिए. इस तलाशी में उनको कुछ भी हासिल नहीं हुआ, लेकिन इस छापेमारी के दौरान जेल में हड़कंप मचा रहा. इस दौरान जेल के अधिकारी भी काफी सतर्क रहे.
जौनपुर का जिला जेल पहले कोरोना वायरस से सुर्खियों में था, तो फिर पूर्व सांसद धनंजय सिंह के बंद होने के कारण. फिलहाल जिला जेल में इन दिनों बंदियों की भरमार है, जिसको देखते हुए शनिवार को जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की टीम की ओर से छापेमारी की कार्रवाई की गई. औचक छापेमारी से जेल में हड़कंप मचा रहा, क्योंकि जेल में इस समय 1300 से ज्यादा बंदी हैं, जो की क्षमता के 4 गुने हैं.
जेल की छापेमारी को देखते हुए जेल प्रशासन ने अधिकारियों को बैरक को दिखाया और वहां तलाशी ली गई. आधे घंटे तक जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की टीम छापेमारी करती रही. इस छापेमारी में उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ, लेकिन जिस तरीके से छापेमारी हुई, उसको देखकर तो यही लगता है कि यह महज खानापूर्ति की गई है. क्योंकि जब तक जेल में धनंजय सिंह रहे, तब तक कोई भी छापेमारी की कार्रवाई नहीं की गई थी.
जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस अधीक्षक और उनके ओर से जेल का औचक निरीक्षण किया गया है. इस निरीक्षण में बैरक की तलाशी भी ली गई है, लेकिन कोई भी संदिग्ध वस्तु नहीं पाई गई.