लखनऊ: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के साथ-साथ भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए बाढ़ से भारी तबाही की स्थितियां पैदा हो सकती हैं. अभी तक हुई वर्षा से हजारों एकड़ कृषि भूमि पूर्वांचल के इलाकों में जलमग्न हो चुकी है. किसानों के लिए सरकार ने किसी तरह की राहत की घोषणा नहीं की है और न ही राज्य सरकार की कोई तैयारी अभी तक है. प्रदेश के कई जनपदों में बड़ा नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि बाढ़ आफत बनकर आए उससे पहले तैयारियों की जरूरत है, लेकिन राज्य सरकार अभी भी आंख मूंदकर बैठी है. वह मात्र चुनावी तैयारियों के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग की नीति व जनता के धन से अपनी झूठी छवि को जनकल्याणकारी बताने में लगी हुई है.
इन जिलों में बाढ़ मचाती है तबाही
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि प्रदेश के अंबेडकर नगर, अयोध्या, बलरामपुर, बाराबंकी, बहराइच, बस्ती, गोण्डा, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, कुशीनगर, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, मऊ, आजमगढ और बलिया जैसे जनपद हर वर्ष बाढ़ से प्रभावित होते हैं. भारी वर्षा से तराई और पूर्वांचल के जिलों में बाढ़ का असर अधिक खतरनाक होकर ग्रामीण इलाकों को प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि गोरखपुर और श्रावस्ती में राप्ती, बाराबंकी, अयोध्या और बलिया में घाघरा व खीरी में शारदा खतरे के निशान से ऊपर जाकर भारी तबाही मचाती हैं.
नेपाल की नदियों से आने वाले पानी से जनधन की भारी तबाही होने केे साथ नदियों के तटबंध भी कटने शुरू हो जाते हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार से मांग करते हुए कहा कि बाढ़ से प्रभावित जिलों में राहत और बचाव के काम के लिए रूपरेखा बनाकर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ पिछले वर्ष की तुलना में नावों की अधिक व्यवस्था के साथ बाढ़ शरणालय और अधिक बनाए जाएं, क्योंकि मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वर्ष बाढ़ अधिक होगी.
झूठी छवि न चमकाएं, लोगों को विभीषिका से बचाएं
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि योगी सरकार को मौसम वैज्ञानिकों की चेतावनी को गम्भीरता से लेकर बाढ़ से निपटने की रणनीति पर काम कर मानव जीवन की रक्षा के लिए कदम उठाने होंगे. घाघरा, गंडक, सरयू, शारदा व गंगा किनारे ग्रामीण इलाके में तबाही ज्यादा होती है. तराई से लेकर पूर्वांचल तक स्थितियां विकट होती हैं. मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर शहर के अंदर तक बाढ़ तबाही मचाती है. भ्रष्टाचार के कारण तटबंधों की कटान जबरदस्त होती है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष घाघरा व गंडक में 5 लाख क्यूसेक से आधिक बाढ़ का पानी रिकार्ड किया गया था इसलिए राज्य सरकार को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए न कि झूठी छवि चमकाने का.