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बलरामपुर: इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत संवारा जा रहा बच्चों का भविष्य

कम्युनिटी इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है. इसके तहत बच्चों को रोचक तरीके से हर विषय की जानकारी दी जा रही है. जिले के भिखपुर गांव के बच्चे कम्युनिटी इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत अब खेल-खेल में पढ़ना-लिखना सीख रहे हैं.

इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत बच्चों को रोचक तरीके से किया जा रहा शिक्षित.
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Published : Apr 27, 2019, 2:36 PM IST

बलरामपुर : ऐसा माना जाता है कि उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षित होना जरुरी है. देश में अभी भी ऐसे कई ग्रामीण इलाके है जहां बच्चों को बुनियादी शिक्षा नहीं मिल पाती है. ऐसे में नीति आयोग के तहत काम करने वाले समाजसेवी संगठन जिले में बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारने में लगे हैं. जिले में इस कार्य को करने का बीड़ा पिरामल फाउंडेशन में कार्यरत नेहा मौर्या ने उठाया है. वह स्पेशल क्लासेस चलाकर रोचक तरीके से बच्चों को अक्षर ज्ञान से लेकर जोड़-घटाना आदि सिखा रही हैं.

जिले के भिखपुर गांव के बच्चे कम्युनिटी इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत अब खेल-खेल में पढ़ना-लिखना सीख रहे हैं. इस पहल की शुरुआत पिरामल फाउंडेशन में काम करने वाली बलरामपुर सदर ब्लॉक की मैनेजर नेहा मौर्या ने की है. नेहा ने गांव में रहने वाली 5 लड़कियों को भी इस पहल से जोड़ने का काम किया है. इस पहल के तहत गांव के करीब 70 बच्चे रोजाना निशुल्क बुनियादी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत बच्चों को रोचक तरीके से किया जा रहा शिक्षित.

प्राइमरी से जूनियर स्टैंडर्ड तक किया जा रहा शिक्षित

यहां पर बच्चे प्राइमरी से जूनियर स्टैंडर्ड के एजुकेशन को अलग-अलग तरीकों से प्राप्त करने के लिए आते हैं. बच्चों के लिए यहां पर एसेंबली से लेकर तमाम सुविधाएं हैं, जिनके जरिए पढ़ाई को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाया जा सके.

रोचक तरीके से किया जा रहा शिक्षित

यहां काम कर रही सभी लड़कियों खेल-खेल में बच्चों को अक्षर ज्ञान कराना, जोड़-घटाना, हिंदी इंग्लिश पढ़ना -लिखना आदि सिखाती हैं. इस पहल का मूल लक्ष्य बुनियादी शिक्षा देना और सीखने-सिखाने के तरीके में बदलाव करना है.

हर विषय की दी जाती है जानकारी

यहां पर बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित समेत लगभग हर विषय की जानकारी दी जाती है.

बच्चों में दिखने लगा है सुधार

गांव के जो बच्चे ककहरा तक नहीं पढ़ पाते थे, वह अब न केवल जोड़-घटाव आसानी से करने लगे बल्कि हिंदी अंग्रेजी को बेहतर तरीके से पढ़ना-लिखना भी सीख चुके हैं.

नेहा मौर्या का कहना है कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बलरामपुर एक अति महत्वाकांक्षी जिला है. हम लोग भीखपुर ग्राम सभा में कम्युनिटी इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत काम कर रहे हैं. इसी के तहत में यहां पर जब पहले दिन आए तो बच्चों से मुलाकात की बच्चों का लर्निंग लेवल काफी कम था. उनके अंदर रुचि तो थी लेकिन सिखाने वाला कोई नहीं था. इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत यहां पर स्पेशल क्लासेज चलाई जा रही है. इसमें गांव के 70 बच्चे पढ़ रहे हैं. इस काम में गांव की 5 लड़कियां भी काम कर रही हैं.

बच्चों को शिक्षित करने के लिए काम कर रहीं भीखपुर ग्राम सभा में रहने वाली आकृति पांडे बताती हैं कि बच्चों को हम रोजाना 3 से 4 घंटे की कोचिंग देते हैं. जो बच्चे अपने कोर्स में अधिक पीछे उनके लर्निंग लेवल को सुधारने का काम किया जा रहा है. जो बच्चे पहले बुनियादी चीजों को पढ़ लिख नहीं पाते थे, वह धीरे-धीरे सुधार की तरफ बढ़ रहे हैं.

वहीं बीएसए हरिहर प्रसाद का कहना है कि पिरामल फाऊंडेशन और नीति आयोग के सहयोग से भीखपुर ग्राम सभा में स्पेशल क्लासेस चलाई जा रही हैं. यहां पर पिरामल फाऊंडेशन की नेहा मौर्या और गांव की कुछ लड़कियां मिलकर इस स्पेशल क्लास को रन कर रही है. लक्ष्य यह है कि जो बच्चे यहां पर आ रहे हैं, उनकी बुनियादी शिक्षा को सुधारा जा सके.

बलरामपुर : ऐसा माना जाता है कि उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षित होना जरुरी है. देश में अभी भी ऐसे कई ग्रामीण इलाके है जहां बच्चों को बुनियादी शिक्षा नहीं मिल पाती है. ऐसे में नीति आयोग के तहत काम करने वाले समाजसेवी संगठन जिले में बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारने में लगे हैं. जिले में इस कार्य को करने का बीड़ा पिरामल फाउंडेशन में कार्यरत नेहा मौर्या ने उठाया है. वह स्पेशल क्लासेस चलाकर रोचक तरीके से बच्चों को अक्षर ज्ञान से लेकर जोड़-घटाना आदि सिखा रही हैं.

जिले के भिखपुर गांव के बच्चे कम्युनिटी इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत अब खेल-खेल में पढ़ना-लिखना सीख रहे हैं. इस पहल की शुरुआत पिरामल फाउंडेशन में काम करने वाली बलरामपुर सदर ब्लॉक की मैनेजर नेहा मौर्या ने की है. नेहा ने गांव में रहने वाली 5 लड़कियों को भी इस पहल से जोड़ने का काम किया है. इस पहल के तहत गांव के करीब 70 बच्चे रोजाना निशुल्क बुनियादी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत बच्चों को रोचक तरीके से किया जा रहा शिक्षित.

प्राइमरी से जूनियर स्टैंडर्ड तक किया जा रहा शिक्षित

यहां पर बच्चे प्राइमरी से जूनियर स्टैंडर्ड के एजुकेशन को अलग-अलग तरीकों से प्राप्त करने के लिए आते हैं. बच्चों के लिए यहां पर एसेंबली से लेकर तमाम सुविधाएं हैं, जिनके जरिए पढ़ाई को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाया जा सके.

रोचक तरीके से किया जा रहा शिक्षित

यहां काम कर रही सभी लड़कियों खेल-खेल में बच्चों को अक्षर ज्ञान कराना, जोड़-घटाना, हिंदी इंग्लिश पढ़ना -लिखना आदि सिखाती हैं. इस पहल का मूल लक्ष्य बुनियादी शिक्षा देना और सीखने-सिखाने के तरीके में बदलाव करना है.

हर विषय की दी जाती है जानकारी

यहां पर बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित समेत लगभग हर विषय की जानकारी दी जाती है.

बच्चों में दिखने लगा है सुधार

गांव के जो बच्चे ककहरा तक नहीं पढ़ पाते थे, वह अब न केवल जोड़-घटाव आसानी से करने लगे बल्कि हिंदी अंग्रेजी को बेहतर तरीके से पढ़ना-लिखना भी सीख चुके हैं.

नेहा मौर्या का कहना है कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बलरामपुर एक अति महत्वाकांक्षी जिला है. हम लोग भीखपुर ग्राम सभा में कम्युनिटी इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत काम कर रहे हैं. इसी के तहत में यहां पर जब पहले दिन आए तो बच्चों से मुलाकात की बच्चों का लर्निंग लेवल काफी कम था. उनके अंदर रुचि तो थी लेकिन सिखाने वाला कोई नहीं था. इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत यहां पर स्पेशल क्लासेज चलाई जा रही है. इसमें गांव के 70 बच्चे पढ़ रहे हैं. इस काम में गांव की 5 लड़कियां भी काम कर रही हैं.

बच्चों को शिक्षित करने के लिए काम कर रहीं भीखपुर ग्राम सभा में रहने वाली आकृति पांडे बताती हैं कि बच्चों को हम रोजाना 3 से 4 घंटे की कोचिंग देते हैं. जो बच्चे अपने कोर्स में अधिक पीछे उनके लर्निंग लेवल को सुधारने का काम किया जा रहा है. जो बच्चे पहले बुनियादी चीजों को पढ़ लिख नहीं पाते थे, वह धीरे-धीरे सुधार की तरफ बढ़ रहे हैं.

वहीं बीएसए हरिहर प्रसाद का कहना है कि पिरामल फाऊंडेशन और नीति आयोग के सहयोग से भीखपुर ग्राम सभा में स्पेशल क्लासेस चलाई जा रही हैं. यहां पर पिरामल फाऊंडेशन की नेहा मौर्या और गांव की कुछ लड़कियां मिलकर इस स्पेशल क्लास को रन कर रही है. लक्ष्य यह है कि जो बच्चे यहां पर आ रहे हैं, उनकी बुनियादी शिक्षा को सुधारा जा सके.

Intro:साल 2011 के जनगणना के अनुसार बलरामपुर में साक्षरता दर 52 फीसद था। साल 2019 में यह बढ़कर अनुमानित तौर पर 60 फीसद के करीब पहुंची है। इसका प्रमुख श्रेय जाता है नीति आयोग के तहत काम करने वाले उन तमाम समाजसेवी संगठनों को जिन्होंने बलरामपुर जैसे अतिमहत्वाकांक्षी जिले की प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में मूलचूल बदलाव करने का काम किया है।


Body:प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा में मूलचूल बदलाव का साक्षी अब भीखपुर ग्राम सभा बन रहा है। यहां पर स्थित विजय भवन में तकरीबन 70 बच्चे रोजाना निशुल्क शिक्षा पा रहे हैं। इस पहल की शुरुआत पिरामल फाउंडेशन में काम करने वाली बलरामपुर सदर ब्लॉक की मैनेजर नेहा मौर्या ने की है। नेहा ने इस पहल में न केवल गांव के 70 बच्चों को जोड़ा बल्कि गांव में रहने वाली 5 लड़कियों को भी इस पहल से जोड़ने का काम किया है। शाम 3:00 बजे के बाद भीखपुर ग्राम सभा के प्रधान के बगल में स्थित विजय भवन में तकरीबन 70 बच्चों की भीड़ लग जाती है। यह बच्चे यहां पर प्राइमरी से जूनियर स्टैंडर्ड के एजुकेशन को अलग अलग तरीकों से प्राप्त करने के लिए आते हैं। बच्चों के लिए यहां पर एसेंबली से लेकर तमाम सुविधाएं जिनके जरिए पढ़ाई को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाया जा सके। यहां काम कर रही सभी लड़कियों का खेल-खेल में बच्चों को अक्षर ज्ञान कराना, जोड़ घटाव सिखाना, हिंदी इंग्लिश पढ़ने की जानकारी देना, लिखने की जानकारी देना आदि शामिल है। इन पहल का मूल लक्ष्य बुनियादी शिक्षा और सीखने सिखाने के तरीके में बदलाव करना है। बुनियादी शिक्षा में बदलाव तकरीबन 20 दिनों बाद दिखना भी शुरू हो चुका है। जो बच्चे क, कहरा तक नहीं पढ़ पाते थे। वह अब न केवल जोड़ घटाव, हिंदी अंग्रेजी को बेहतर तरीके से लिखना भी सिख चुके हैं। सभी क्लासेस के बच्चे अपने अपने क्लास कोर्स में पारंगत भी होते जा रहे हैं।
जिले के सबसे नामी गिरामी स्कूल जीसस एंड मैरी मे पढ़ाई करने वाले अक्षय बताते हैं कि यहां पर मैं रोजाना पढ़ने आता हूं। यहां पर बहुत अच्छी पढ़ाई होती है। यहां पर हमें खेल-खेल में तमाम विषयों की जानकारी दी जाती है। हम यहां पर उन तमाम चीजों को सीखता रहे हैं, जो स्कूल में बेहतर तरीके से नहीं सिखाया जा सकता था। यहां पर एक एक बच्चे पर ध्यान दिया जाता है।
वहीं, नरसिंह भगवान इंटर कॉलेज में पढ़ाई करने वाली आकृति कहती हैं कि यहां पर हमें तमाम चीजें सीखने को मिल रही है। नेहा दीदी और हमारे गांव की दीदियों द्वारा बेहतर माहौल में सभी को सिखाने का काम किया जा रहा है। हमारे गांव में लगने वाली इस स्पेशल क्लास में हमें तो गणित विज्ञान जैसी तमाम विषय पढ़ाए जाते हैं। जिनके करण अब हम अपने कोर्स को बेहतर तरीके से सीख पा रहे हैं।
भीखपुर ग्राम सभा में चल रहे इन स्पेशल क्लासेस की शुरुआत करने वाली नेहा मौर्य ईटीवी से बात करते हुए कहा कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बलरामपुर एक अति महत्वाकांक्षी जिला है। यहां की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की तमाम संभावनाएं पीरामल फाउंडेशन और नीति आयोग इसी के तहत काम कर रहा है। हम लोग भीखपुर ग्राम सभा में कम्युनिटी इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत काम कर रहे हैं। इसी के तहत में यहां पर जब पहले दिन आए तो बच्चों से मुलाकात की बच्चों का लर्निंग लेवल काफी कम था। उनके अंदर रुचि तो थी लेकिन सिखाने वाला कोई नहीं था। इसी प्रोग्राम के तहत यहां पर स्पेशल क्लासेज चलाई जा रही है। इसमें गांव के 70 बच्चे पढ़ रहे हैं। इस काम में गांव की 5 लड़कियां भी काम कर रही हैं।
भीखपुर ग्राम सभा में रहने वाली आकृति पांडे बताते हैं कि बच्चों को हम रोजाना 3 से 4 घंटे की कोचिंग देते हैं। जो बच्चे अपने कोर्स में अधिक पीछे उनके लर्निंग लेवल को सुधारने का काम किया जा रहा है। जो बच्चे पहले बुनियादी चीजों को पढ़ लिख नहीं पाते थे, वह धीरे-धीरे सुधार की तरफ बढ़ रहे हैं।


Conclusion:इस मामले में बीएसए हरिहर प्रसाद से बात की तो उन्होंने कहा कि पिरामल फाऊंडेशन और नीति आयोग के सहयोग से भीखपुर ग्राम सभा में स्पेशल कैसे चलाई जा रही है। यहां पर पिरामल फाऊंडेशन कि नेहा मौर्या और गांव की कुछ लड़कियां मिलकर इस स्पेशल क्लास को रन कर रही है। लक्ष्य यह है कि जो बच्चे यहां पर पर में आ रहे हैं। उनकी बुनियादी शिक्षा को सुधारा जा सके। वह कहते हैं कि यह एक बेहतर योजना साबित हो सकती है। यदि सभी गांव में इसी तरह के कम्युनिटी लर्निंग प्रोग्राम को चलाया जा सके तो प्राथमिक या उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की तस्वीर बदली जा सकती है।
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