बलरामपुर : ऐसा माना जाता है कि उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षित होना जरुरी है. देश में अभी भी ऐसे कई ग्रामीण इलाके है जहां बच्चों को बुनियादी शिक्षा नहीं मिल पाती है. ऐसे में नीति आयोग के तहत काम करने वाले समाजसेवी संगठन जिले में बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारने में लगे हैं. जिले में इस कार्य को करने का बीड़ा पिरामल फाउंडेशन में कार्यरत नेहा मौर्या ने उठाया है. वह स्पेशल क्लासेस चलाकर रोचक तरीके से बच्चों को अक्षर ज्ञान से लेकर जोड़-घटाना आदि सिखा रही हैं.
जिले के भिखपुर गांव के बच्चे कम्युनिटी इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत अब खेल-खेल में पढ़ना-लिखना सीख रहे हैं. इस पहल की शुरुआत पिरामल फाउंडेशन में काम करने वाली बलरामपुर सदर ब्लॉक की मैनेजर नेहा मौर्या ने की है. नेहा ने गांव में रहने वाली 5 लड़कियों को भी इस पहल से जोड़ने का काम किया है. इस पहल के तहत गांव के करीब 70 बच्चे रोजाना निशुल्क बुनियादी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
प्राइमरी से जूनियर स्टैंडर्ड तक किया जा रहा शिक्षित
यहां पर बच्चे प्राइमरी से जूनियर स्टैंडर्ड के एजुकेशन को अलग-अलग तरीकों से प्राप्त करने के लिए आते हैं. बच्चों के लिए यहां पर एसेंबली से लेकर तमाम सुविधाएं हैं, जिनके जरिए पढ़ाई को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाया जा सके.
रोचक तरीके से किया जा रहा शिक्षित
यहां काम कर रही सभी लड़कियों खेल-खेल में बच्चों को अक्षर ज्ञान कराना, जोड़-घटाना, हिंदी इंग्लिश पढ़ना -लिखना आदि सिखाती हैं. इस पहल का मूल लक्ष्य बुनियादी शिक्षा देना और सीखने-सिखाने के तरीके में बदलाव करना है.
हर विषय की दी जाती है जानकारी
यहां पर बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित समेत लगभग हर विषय की जानकारी दी जाती है.
बच्चों में दिखने लगा है सुधार
गांव के जो बच्चे ककहरा तक नहीं पढ़ पाते थे, वह अब न केवल जोड़-घटाव आसानी से करने लगे बल्कि हिंदी अंग्रेजी को बेहतर तरीके से पढ़ना-लिखना भी सीख चुके हैं.
नेहा मौर्या का कहना है कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि बलरामपुर एक अति महत्वाकांक्षी जिला है. हम लोग भीखपुर ग्राम सभा में कम्युनिटी इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत काम कर रहे हैं. इसी के तहत में यहां पर जब पहले दिन आए तो बच्चों से मुलाकात की बच्चों का लर्निंग लेवल काफी कम था. उनके अंदर रुचि तो थी लेकिन सिखाने वाला कोई नहीं था. इमर्जिंग प्रोग्राम के तहत यहां पर स्पेशल क्लासेज चलाई जा रही है. इसमें गांव के 70 बच्चे पढ़ रहे हैं. इस काम में गांव की 5 लड़कियां भी काम कर रही हैं.
बच्चों को शिक्षित करने के लिए काम कर रहीं भीखपुर ग्राम सभा में रहने वाली आकृति पांडे बताती हैं कि बच्चों को हम रोजाना 3 से 4 घंटे की कोचिंग देते हैं. जो बच्चे अपने कोर्स में अधिक पीछे उनके लर्निंग लेवल को सुधारने का काम किया जा रहा है. जो बच्चे पहले बुनियादी चीजों को पढ़ लिख नहीं पाते थे, वह धीरे-धीरे सुधार की तरफ बढ़ रहे हैं.
वहीं बीएसए हरिहर प्रसाद का कहना है कि पिरामल फाऊंडेशन और नीति आयोग के सहयोग से भीखपुर ग्राम सभा में स्पेशल क्लासेस चलाई जा रही हैं. यहां पर पिरामल फाऊंडेशन की नेहा मौर्या और गांव की कुछ लड़कियां मिलकर इस स्पेशल क्लास को रन कर रही है. लक्ष्य यह है कि जो बच्चे यहां पर आ रहे हैं, उनकी बुनियादी शिक्षा को सुधारा जा सके.