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दुर्ग और राजनांदगांव स्टेशनों पर भी मानव तस्करी के शक में पकड़े गए थे बच्चे

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में गुरुवार को 33 फिर शनिवार को दुर्ग में 13 बच्चों को पकड़ा गया था. वहीं यूपी के बरेली में भी 170 बच्चों को ट्रेन से उतारा गया है. इनके पास से किसी तरह का दस्तावेज नहीं पाया गया है.

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Published : Jun 29, 2019, 11:01 PM IST

कांसेप्ट इमेज.

दुर्ग: छत्तीसगढ़ के बाद अब बरेली में मानव तस्करी की सूचना पर प्रशासन में हड़कंप मच हुआ है. दरअसल जीआरपी ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में गुरुवार को 33 फिर शनिवार को दुर्ग में शालीमार एक्सप्रेस से 13 बच्चों को रेस्क्यू किया. वहीं यूपी के बरेली में मालदा-आनंदविहार वीकली ट्रेन से आ रहे 170 बच्चों को जीआरपी ने जंक्शन पर उतारा है. मानव तस्करी से मामले के जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है.

मानव तस्करी से मामले के जुड़े होने की आशंका.

बरेली जक्शन पर 170 बच्चों को उतारा गया-

  • मालदा-आनंदविहार वीकली ट्रेन से आ रहे 170 बच्चों को जीआरपी ने बरेली जंक्शन पर उतारा है.
  • ट्रेन से उतारे गए ये सभी बच्चे झारखंड और बिहार के रहने वाले हैं.
  • बरेली जक्शन पर उतारे गए सभी बच्चे विभिन्न मदरसों के छात्र बताए जा रहे हैं. इन सभी बच्चों से पूछताछ की जा रही है.

यह भी पढ़ें- बरेली: ट्रेन से जा रहे 170 बच्चों को जीआरपी ने स्टेशन पर उतारा, मानव तस्करी का शक

दुर्ग में 13 बच्चों को किया गया रेस्क्यू-

  • शालीमार एक्सप्रेस से बिहार के 13 बच्चों को रेस्क्यू किया गया.
  • ये बच्चे बिहार से महाराष्ट्र ले जाए जा रहे थे.
  • आरपीएफ, जीआरपी और स्टेशन प्रबंधन के संयुक्त टीम ने रेस्क्यू कर दुर्ग रेलवे स्टेशन में उतारा.
  • सभी बच्चे बिहार के पूर्णिया जिले और कटियार जिले के रहने वाले हैं.
  • हालांकि महिला बाल विकास की टीम के प्रारंभिक पूछताछ में भी बच्चों ने मदरसे जाने की बात कही है.
  • इससे पहले भी राजनांदगांव में 33 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था. जिसकी जांच चल रही है.
  • मुस्लिम समाज के जानकारों के मुताबिक बिहार के मदरसों में ही उर्दू की बेहतर तालीम दी जाती है, उसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में मासूम बच्चों को महारष्ट्र ले जाने पर मानव तस्करी की शंका जताते हुए जांच की मांग करते हुए दोषी होने पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

मदरसा सचिव ने लगाया था आरोप, पुलिस ने किया खारिज

  • राजनांदगांव में हावड़ा-मुंबई ट्रेन से रेस्क्यू किए गए 33 बच्चों को लेकर मदरसा सचिव ने पुलिस पर सवाल खड़े किए थे.
  • दरअसल मदरसा के सचिव ने राजनांदगांव पुलिस पर दुर्भावना से बच्चों को रोकने का आरोप लगाया था.
  • वहीं एएसपी ने सभी आरोपों को निराधार बताया है.
  • राजनंदगांव पुलिस का साफ कहना है कि बच्चों को ले जा रहे युवक के पास कोई कंसल्ट लेटर नहीं था.
  • इसके चलते बच्चों को सीडब्ल्यूसी को सौंपा गया है. एएसपी ने कहा कि इस मामले में मदरसा प्रमुख द्वारा लगाए जा रहे हैं सभी आरोप निराधार हैं.

CWC कर रही है जांच-
बरेली स्टेशन पर उतारे गए सभी बच्चे विभिन्न मदरसों के छात्र बताए जा रहे हैं. इन सभी बच्चों से पूछताछ की जा रही है. जबकि दुर्ग में बिहार से महारास्ट्र ले जाए जा रहे 13 बच्चों को GRP, RPF ने महिला बाल विकास के चाइल्ड वेलफेयर कमिटी को सौंप दिया है. अब आगे की जांच CWC में होनी है. सामाजिक व्यक्ति ने बताया कि रमजान के बाद बिहार से अधिकतर बच्चों को पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यो के मदरसों में ले जाया जाता है लेकिन मानव तस्करी जैसी कोई बात नहीं है.

दुर्ग: छत्तीसगढ़ के बाद अब बरेली में मानव तस्करी की सूचना पर प्रशासन में हड़कंप मच हुआ है. दरअसल जीआरपी ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में गुरुवार को 33 फिर शनिवार को दुर्ग में शालीमार एक्सप्रेस से 13 बच्चों को रेस्क्यू किया. वहीं यूपी के बरेली में मालदा-आनंदविहार वीकली ट्रेन से आ रहे 170 बच्चों को जीआरपी ने जंक्शन पर उतारा है. मानव तस्करी से मामले के जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है.

मानव तस्करी से मामले के जुड़े होने की आशंका.

बरेली जक्शन पर 170 बच्चों को उतारा गया-

  • मालदा-आनंदविहार वीकली ट्रेन से आ रहे 170 बच्चों को जीआरपी ने बरेली जंक्शन पर उतारा है.
  • ट्रेन से उतारे गए ये सभी बच्चे झारखंड और बिहार के रहने वाले हैं.
  • बरेली जक्शन पर उतारे गए सभी बच्चे विभिन्न मदरसों के छात्र बताए जा रहे हैं. इन सभी बच्चों से पूछताछ की जा रही है.

यह भी पढ़ें- बरेली: ट्रेन से जा रहे 170 बच्चों को जीआरपी ने स्टेशन पर उतारा, मानव तस्करी का शक

दुर्ग में 13 बच्चों को किया गया रेस्क्यू-

  • शालीमार एक्सप्रेस से बिहार के 13 बच्चों को रेस्क्यू किया गया.
  • ये बच्चे बिहार से महाराष्ट्र ले जाए जा रहे थे.
  • आरपीएफ, जीआरपी और स्टेशन प्रबंधन के संयुक्त टीम ने रेस्क्यू कर दुर्ग रेलवे स्टेशन में उतारा.
  • सभी बच्चे बिहार के पूर्णिया जिले और कटियार जिले के रहने वाले हैं.
  • हालांकि महिला बाल विकास की टीम के प्रारंभिक पूछताछ में भी बच्चों ने मदरसे जाने की बात कही है.
  • इससे पहले भी राजनांदगांव में 33 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था. जिसकी जांच चल रही है.
  • मुस्लिम समाज के जानकारों के मुताबिक बिहार के मदरसों में ही उर्दू की बेहतर तालीम दी जाती है, उसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में मासूम बच्चों को महारष्ट्र ले जाने पर मानव तस्करी की शंका जताते हुए जांच की मांग करते हुए दोषी होने पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

मदरसा सचिव ने लगाया था आरोप, पुलिस ने किया खारिज

  • राजनांदगांव में हावड़ा-मुंबई ट्रेन से रेस्क्यू किए गए 33 बच्चों को लेकर मदरसा सचिव ने पुलिस पर सवाल खड़े किए थे.
  • दरअसल मदरसा के सचिव ने राजनांदगांव पुलिस पर दुर्भावना से बच्चों को रोकने का आरोप लगाया था.
  • वहीं एएसपी ने सभी आरोपों को निराधार बताया है.
  • राजनंदगांव पुलिस का साफ कहना है कि बच्चों को ले जा रहे युवक के पास कोई कंसल्ट लेटर नहीं था.
  • इसके चलते बच्चों को सीडब्ल्यूसी को सौंपा गया है. एएसपी ने कहा कि इस मामले में मदरसा प्रमुख द्वारा लगाए जा रहे हैं सभी आरोप निराधार हैं.

CWC कर रही है जांच-
बरेली स्टेशन पर उतारे गए सभी बच्चे विभिन्न मदरसों के छात्र बताए जा रहे हैं. इन सभी बच्चों से पूछताछ की जा रही है. जबकि दुर्ग में बिहार से महारास्ट्र ले जाए जा रहे 13 बच्चों को GRP, RPF ने महिला बाल विकास के चाइल्ड वेलफेयर कमिटी को सौंप दिया है. अब आगे की जांच CWC में होनी है. सामाजिक व्यक्ति ने बताया कि रमजान के बाद बिहार से अधिकतर बच्चों को पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यो के मदरसों में ले जाया जाता है लेकिन मानव तस्करी जैसी कोई बात नहीं है.

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