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केंद्रीय ब्राह्मण महासभा ने मनाई परशुराम जयंती, जानें महत्व

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Published : May 8, 2019, 8:37 AM IST

सोनभद्र के बार एसोसिएशन कक्ष में अक्षय तृतीया के अवसर पर भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई. केंद्रीय ब्राह्मण महासभा ने हवन- पूजन कर अक्षय तृतीया के महत्व पर चर्चा भी की.

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सोनभद्र : भगवान श्री विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था, जिसके चलते मंगलवार को जिले के विभिन्न संगठनों परशुराम की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई. सोनभद्र बार एसोसिएशन के सभागार में केंद्रीय ब्राह्मण महासभा द्वारा विधि-विधान से पूजा पाठ करके भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई.

जानकारी देते संगठन के अध्यक्ष.


अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती

  • अक्षय तृतीया के ही दिन जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय भृगुवंशी परशुराम का जन्म हुआ था.
  • सीता स्वयंवर के समय परशुराम जी अपना धनुष श्री राम को समर्पित कर सन्यासी का जीवन बिताने अन्यत्र चले गए.
  • वह अपने साथ एक फरसा रखते थे तभी उनका नाम परशुराम पड़ा.
  • अक्षय तृतीया के दिन को ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ का दिन भी माना जाता है. इस दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड़,सकोरे, पंखे, सत्तू आदि गर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान पूण्यकारी है.

मनाई गई परशुराम जयंती

  • सोनभद्र बार एसोसिएशन कक्ष राबर्ट्सगंज में सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा होकर परशुराम जयंती मनाई गई.
  • केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने भगवान परशुराम का विधि पूर्वक पूजन अर्चन किया.
  • इस मौके पर भगवान परशुराम की अवतरण और अक्षय तृतीया के महत्व पर चर्चा की गई.
  • वक्ताओं ने कहा कि अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम के जन्म उत्सव में परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा महात्मय है.

इस दौरान केंद्रीय ब्राह्मण सभा के जिला महामंत्री अमित शुक्ला ने कहा कि आज भगवान परशुराम की जयंती पूजा पाठ करके बड़े धूमधाम से मनाया गया और ब्राह्मण समाज को एकत्रित करके उनके उत्थान व विकास पर चर्चा की गई.

सोनभद्र : भगवान श्री विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था, जिसके चलते मंगलवार को जिले के विभिन्न संगठनों परशुराम की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई. सोनभद्र बार एसोसिएशन के सभागार में केंद्रीय ब्राह्मण महासभा द्वारा विधि-विधान से पूजा पाठ करके भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई.

जानकारी देते संगठन के अध्यक्ष.


अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती

  • अक्षय तृतीया के ही दिन जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय भृगुवंशी परशुराम का जन्म हुआ था.
  • सीता स्वयंवर के समय परशुराम जी अपना धनुष श्री राम को समर्पित कर सन्यासी का जीवन बिताने अन्यत्र चले गए.
  • वह अपने साथ एक फरसा रखते थे तभी उनका नाम परशुराम पड़ा.
  • अक्षय तृतीया के दिन को ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ का दिन भी माना जाता है. इस दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड़,सकोरे, पंखे, सत्तू आदि गर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान पूण्यकारी है.

मनाई गई परशुराम जयंती

  • सोनभद्र बार एसोसिएशन कक्ष राबर्ट्सगंज में सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा होकर परशुराम जयंती मनाई गई.
  • केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने भगवान परशुराम का विधि पूर्वक पूजन अर्चन किया.
  • इस मौके पर भगवान परशुराम की अवतरण और अक्षय तृतीया के महत्व पर चर्चा की गई.
  • वक्ताओं ने कहा कि अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम के जन्म उत्सव में परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा महात्मय है.

इस दौरान केंद्रीय ब्राह्मण सभा के जिला महामंत्री अमित शुक्ला ने कहा कि आज भगवान परशुराम की जयंती पूजा पाठ करके बड़े धूमधाम से मनाया गया और ब्राह्मण समाज को एकत्रित करके उनके उत्थान व विकास पर चर्चा की गई.

Intro:Anchor- भगवान श्री विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था ।जिस पर आज जिले के विभिन्न संगठनों द्वारा भगवान की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई। सोनभद्र बार एसोसिएशन के सभागार में केंद्रीय ब्राह्मण महासभा द्वारा विधि विधान से पूजा पाठ करके भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई। इस दौरान बतौर यजमान केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने भगवान परशुराम का विधि पूर्वक पूजन अर्चन किया। इस मौके पर भगवान परशुराम की अवतरण और अक्षय तृतीया के महत्व पर विशद चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम के जन्म उत्सव में परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा महात्म है। सौभाग्यवती स्त्रियां व क्वारी कन्याएं गौरी पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल ,फूल,तील, अन्न आदि लेकर दान पुण्य करती है।




Body:Vo1- आज के ही दिन जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय भृगुबंशी परशुराम का जन्म हुआ था। सीता स्वयंबर के समय परशुराम जी अपना धनुष बाण श्री राम को समर्पित कर संयासी का जीवन बिताने अन्यत्र चले गए। अपने साथ एक फरसा रखते थे तभी उनका नाम परसुराम पड़ा। वक्ताओं ने कहा कि बसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ का दिन भी है। अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घड़े,कुल्हड़,सकोरे, पंखे, खड़ाऊ, छाता, चावल, नमक,घी,खरबूजा, ककड़ी, चीनी ,साग, इमली सत्तू आदि गर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान पूर्णकारी है।
इस दिन जिन-जिन वस्तु का दान किया जाए जाएगा वे समस्त वस्तुएं स्वर्ग अगले जन्म में प्राप्त होगी।इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करनी चाहिए। ब्रहमा जी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इसी दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनाथ के कपाट भी इसी दिन से ही खुलते हैं।बृंदावन श्री बांके बिहारी जी के मंदिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं, इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था। इस दिन से प्रारंभ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान पुण्य का कभी भी छय नहीं होता।
इस दौरान केंद्रीय ब्राह्मण सभा के जिला महामंत्री अमित शुक्ला ने कहा कि आज भगवान परशुराम की जयंती पूजा पाठ करके बड़े धूमधाम से मनाया गया और ब्राह्मण समाज को एकत्रित करके उनके उत्थान व विकास पर चर्चा किया गया।


Byte-अमित शुक्ला(जिला महामंत्री,केंद्रीय ब्राह्मण महासभा)




Conclusion:Vo2-वही पूजा अर्चना के बाद केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने कहा की केंद्रीय ब्राह्मण महासभा द्वारा सोनभद्र बार एसोसिएशन कक्ष राबर्ट्सगंज में सैकड़ो की संख्या में इकट्ठा होकर परशुराम जयंती मनाई गई।इस दौरान पूजा अर्चना के ब्राह्मण कल्याण हेतु मनोकामना किया गया।इसके साथ ही वैठक में सभी लोगो से कहा गया कि 19 मई को होने वाले मतदान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले और आस पास के लोगो को भी इसके प्रति जागरूक करे।

Byte-संजय मिश्रा(अध्यक्ष,केंद्रीय ब्राह्मण महासभा,सोनभद्र)



चन्द्रकान्त मिश्रा
सोनभद्र
मो0 9450323031

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