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आम पर कोरोना की मार, नेपाल नहीं जा सकेगा मेरठ का आम

यूपी के मेरठ जिले में आम उत्पादन करने वाले किसानों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. हर साल यहां के किसान अपने आम नेपाल भेजते थे. वहीं इस बार कोरोना की वजह से नेपाल-भारत बॉर्डर को सील कर दिया गया है. जिस वजह से आम का निर्यात नहीं होगा.

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नेपाल बॉर्डर से आगे नहीं जा सकेगा भारतीय आम, फलों के राजा आम पर भी इस बार दिखेगा कोरोना का असर
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Published : Jun 10, 2020, 10:36 PM IST

मेरठ: फलों के राजा आम पर इस बार कोरोना वायरस की मार पड़ती दिख रही है. इस बार अच्छी फसल होने के बावजूद आम उत्पादक निराश दिख रहे हैं. दिल्ली की मंडी में भी आम की डिमांड अभी कम है और बाहर निर्यात के लिए भी अभी कोई बड़े आर्डर निर्यातकों के पास नहीं है. साथ ही नेपाल में भी इस बार यहां के किसान सीधे अपना आम नहीं भेज सकेंगे. इस वजह से आम का निर्यात नहीं होगा.

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नेपाल बॉर्डर से आगे नहीं जा सकेगा भारतीय आम, फलों के राजा आम पर भी इस बार दिखेगा कोरोना का असर
बॉर्डर से आगे जाने की अनुमति नहींलाॅकडाउन के दौरान पर्यावरण शुद्ध रहने से आम के बाग गुलजार हैं. किसानों का कहना है कि इस बार आम में कोई रोग भी नहीं लगा है. साथ ही इस बार आम की रिकॉर्ड फसल हुई है, लेकिन लाॅकडाउन की वजह से बाजार में आम के खरीदार नहीं है. यही हाल निर्यात का भी है. नेपाल में जाने वाला यहां का आम भी संकट में है. वहीं नेपाल के आढ़ती आम की डिमांड तो कर रहे हैं लेकिन इस बार नेपाल बॉर्डर से आगे जाने की अनुमति नहीं मिल रही है. जिस कारण आम उत्पादक अभी चिंता में हैं कि आम को खरीदारों तक कैसे पहुंचाया जाए.

बाजार में नहीं हैं ग्राहक
किसानों का कहना है कि फल विक्रेता तो आम खरीदने के लिए तैयार बैठे हैं, लेकिन बाजार में फुटकर ग्राहक न होने की वजह से मंडी में भी आम की डिमांड कम है. यदि हालात जल्द नहीं सुधरे तो किसानों को आम के दाम ठीक नहीं मिलेंगे. साथ ही किसानों को कम दामों में अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. वहीं अगर डिमांड बढ़ी और नेपाल में निर्यात का रास्ता निकल आया तो कुछ राहत मिल सकती है. मेरठ का आम देश के लगभग सभी राज्यों में भेजा जाता है.

इसे भी पढ़ें: COVID-19: यूपी में 28 नए मरीज आये सामने, आंकड़ा पहुंचा 11363

डेढ़ सौ से अधिक आम की प्रजातियां
आम उत्पादक किसान शफीक अहमद का कहना है कि मेरठ में आम की डेढ सौ से अधिक प्रजातियां है. यहां का दशहरी आम, लंगड़ा आम, चौसा आम काफी पसंद किया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां का रटोल प्रजाति का आम विदेशों में भी पसंद किया जाता है. साथ ही यहां का आम पंजाब, राजस्थान, बिहार, असम, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में भेजा जाता है.

मेरठ: फलों के राजा आम पर इस बार कोरोना वायरस की मार पड़ती दिख रही है. इस बार अच्छी फसल होने के बावजूद आम उत्पादक निराश दिख रहे हैं. दिल्ली की मंडी में भी आम की डिमांड अभी कम है और बाहर निर्यात के लिए भी अभी कोई बड़े आर्डर निर्यातकों के पास नहीं है. साथ ही नेपाल में भी इस बार यहां के किसान सीधे अपना आम नहीं भेज सकेंगे. इस वजह से आम का निर्यात नहीं होगा.

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नेपाल बॉर्डर से आगे नहीं जा सकेगा भारतीय आम, फलों के राजा आम पर भी इस बार दिखेगा कोरोना का असर
बॉर्डर से आगे जाने की अनुमति नहींलाॅकडाउन के दौरान पर्यावरण शुद्ध रहने से आम के बाग गुलजार हैं. किसानों का कहना है कि इस बार आम में कोई रोग भी नहीं लगा है. साथ ही इस बार आम की रिकॉर्ड फसल हुई है, लेकिन लाॅकडाउन की वजह से बाजार में आम के खरीदार नहीं है. यही हाल निर्यात का भी है. नेपाल में जाने वाला यहां का आम भी संकट में है. वहीं नेपाल के आढ़ती आम की डिमांड तो कर रहे हैं लेकिन इस बार नेपाल बॉर्डर से आगे जाने की अनुमति नहीं मिल रही है. जिस कारण आम उत्पादक अभी चिंता में हैं कि आम को खरीदारों तक कैसे पहुंचाया जाए.

बाजार में नहीं हैं ग्राहक
किसानों का कहना है कि फल विक्रेता तो आम खरीदने के लिए तैयार बैठे हैं, लेकिन बाजार में फुटकर ग्राहक न होने की वजह से मंडी में भी आम की डिमांड कम है. यदि हालात जल्द नहीं सुधरे तो किसानों को आम के दाम ठीक नहीं मिलेंगे. साथ ही किसानों को कम दामों में अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. वहीं अगर डिमांड बढ़ी और नेपाल में निर्यात का रास्ता निकल आया तो कुछ राहत मिल सकती है. मेरठ का आम देश के लगभग सभी राज्यों में भेजा जाता है.

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डेढ़ सौ से अधिक आम की प्रजातियां
आम उत्पादक किसान शफीक अहमद का कहना है कि मेरठ में आम की डेढ सौ से अधिक प्रजातियां है. यहां का दशहरी आम, लंगड़ा आम, चौसा आम काफी पसंद किया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां का रटोल प्रजाति का आम विदेशों में भी पसंद किया जाता है. साथ ही यहां का आम पंजाब, राजस्थान, बिहार, असम, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में भेजा जाता है.

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