शामली: जिले में मत्स्य विभाग और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली से लदा एक ट्रक पकड़ा गया है. मामले के संबंध में एफडीओ पवन कुमार ने कैराना कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है. उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक आरके श्रीवास्तव द्वारा मुखबिर से मिली सूचना के बाद उन्हें प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली के आवागमन की जानकारी फोन पर दी गई थी.
सूचना के बाद एसडीएम कैराना अमित पाल शर्मा के सहयोग से पुलिस को साथ लेकर खुरगान गांव के रास्ते पर एक ट्रक को चेकिंग के दौरान पकडा. एफडीओ ने बताया कि पुलिस ने ट्रक सवार दभेड़ी निवासी आरिफ, नाला कांधला निवासी राशिद और सोरम शाहपुर निवासी आसिफ को गिरफ्तार कर लिया.
मंडी में बेचने जा रहे थे, आरोपी
- गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि वें प्रतिबंध के बावजूद थाई मांगुर मछली को ट्रक में लादकर मंडी में बेचने के लिए जा रहे थे.
- कार्रवाई में ट्रक से मय पानी के करीब 70 कुंतल 10 किलो प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली बरामद की गई.
- पुलिस ने एफडीओ की शिकायत पर तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 270 के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
- मत्स्य विभाग के इंस्पैक्टर की मौजूदगी में बरामद प्रतिबंधित मछलियों यमुना नदी के खादर में 15 फीट गहरा गड्ढ़ा खुदवाकर दफन करा दिया गया है.
मांगुर मछली पर क्यों लगी रोक?
- थाईलैंड में विकसित की गई इस मांसाहारी मछली की विशेषता यह है कि यह किसी भी पानी में तेजी से बढ़ती है.
- जहां अन्य मछलियां पानी में ऑक्सीजन की कमी से मर जाती है, वहीं यह जीवित रहती है.
- थाई मांगुर छोटी मछलियों समेत कई अन्य जलीय कीड़े-मकोड़ों को भी खा जाती है, इससे तालाब का पर्यावरण भी खराब हो जाता है.
इस मछली के सेवन से होती है घातक बीमारियां
इस मछली का सेवन मुनष्यों के लिए सेहत के काफी खराब है. इससे मनुष्यों में कई घातक बीमारियां हो सकती है. लोगों को जागरुक करने के लिए अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन बाजारों में कोई रोक-टोक न लगने के कारण इसकी बिक्री आसानी से की जा रही है.
एनजीटी ने जारी किए थे निर्देश
पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है विदेशी थाई मांगुर पालने वाले मछली पालकों पर कार्रवाई का प्रावधान है. एनजीटी (राष्ट्रीय हरित क्रांति न्यायाधिकरण) ने 22 जनवरी 2019 को इस संबंध में निर्देश भी जारी किया है, जिसमें यह कहा गया हैं कि मत्स्य विभाग के अधिकारी टीम बनाकर निरीक्षण करें और जहां भी इस मछली का पालन को हो रहा है उसको नष्ट कराया जाए.
सबसे पहले केरल में हुई थी बैन
- इस मछली को वर्ष 1998 में सबसे पहले केरल में बैन किया गया था.
- उसके बाद भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000 में देश भर में इसकी बिक्री पर प्रतिबंधित लगा दिया गया था.