लखनऊ: बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को अपना आदर्श मानने वाले दलित समाज ने उनकी शिक्षाओं को अपनाकर बदलाव की कहानी लिखनी शुरू कर दी है. राजधानी में स्थित डॉ. अंबेडकर छात्रावास से निकले कई आईएस और इंजीनियर भी कनिष्क कटारिया और टीना डाबी की तरह युवाओं के आदर्श बने हुए हैं.
इन कारणों से डॉ. अंबेडकर छात्रावास से निकले आईएस और इंजीनियर युवाओं का बन रह है आदर्श
- लखनऊ में विधान भवन के सामने स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर छात्रावास का निर्माण 2003 में हुआ.
- इस हॉस्टल में लगभग 270 छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने की दिशा में संघर्षरत है.
- बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का मंत्र वाक्य- 'शिक्षित बनो संगठित रहो और संघर्ष करो' से प्रेरणा लेकर समाज और देश बदलने की चाह रखने वाले इन युवाओं को क्षण-क्षण बाबा साहब के संदेशों का स्मरण है.
- बाबा साहब के कृतित्व और व्यक्तित्व दोनों की इतनी गहरी छाप इन युवाओं पर है कि छात्रावास परिसर से लेकर उनके निजी कम रोहतक में बाबा साहब की गरिमा पूर्ण उपस्थिति हर पल मौजूद है.
- युवाओं के लिए बाबा साहब का लिखा हुआ संविधान धर्म ग्रंथों से भी ज्यादा अहमियत रखता है.
बाबा साहब छात्रावास में पढ़ रहे छात्रों की कामयाबी का राज
- डॉ. अंबेडकर के नाम पर बने इस छात्रावास में रहने वाले युवा छात्र पढ़ाई के साथ-साथ योग और व्यायाम पर भी ध्यान देते हैं.
- डॉ. अंबेडकर हॉस्टल से आईआरएस सुरेंद्र मोहन, आईएफएस महेंद्र सिंह और असिस्टेंट प्रोफेसर के अलावा 50 से ज्यादा बैंक अधिकारी 10 से अधिक एमबीबीएस और दर्जनों शिक्षक निकल चुके हैं.
अर्थशास्त्र में पीएचडी कर चुके डॉ. आशीष का कहना है कि
बाबा साहब की शिक्षा और दृष्टि से उन्हें किस तरह दुनिया के समकालीन महापुरुषों की कतार में सर्वश्रेष्ठ बना दिया है. ये सिर्फ बाबा साहब के दिए गए उपदेश के कारण ही मुमकिन हो पाया है.