लखनऊ: जिले में एनएचएम में कार्यरत प्रदेश के आयुष चिकित्सक 24 मई से काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करते हुए कार्य करेंगे. आयुष चिकित्सक स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा घोषित 25 प्रतिशत की प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ वेतन विसंगति दूर करने की मांग कर रहे हैं.
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किया गया भेदभाव
एनएचएम संविदा आयुष चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर शैलेंद्र योगी ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में आयुष चिकित्सकों की पोस्टिंग सीएचसी, पीएचसी, जिला चिकित्सालय, आयुष विंग आदि में संविदा के आधार पर एनएचएम के अंतर्गत की गई. नियुक्ति के समय आयुष चिकित्सक और एलोपैथिक चिकित्सक का मानदेय उत्तर प्रदेश की 1978 की पॉलिसी के तहत समान थी, लेकिन विगत सरकारों में भेदभाव किया गया.
कम मिल रहा मानदेय
डॉक्टरों ने पत्र में कहा है कि 2009-10 में नियुक्ति के समय एलोपैथिक एवं आयुष चिकित्सकों दोनों का मानदेय 24 हजार रुपये प्रति माह था. वर्तमान में आयुष चिकित्सकों का मानदेय लगभग 40 हजार रुपये प्रति माह है, जबकि एलोपैथिक चिकित्सकों का मानदेय 60 रुपये प्रति माह है. यहां तक कि राज्य सरकार के अधीन कार्य कर रहे संविदा आयुष चिकित्सकों का मानदेय 2018 से ही 56100 कर दिया गया था. 2016 में वेतन विसंगति दूर करने के लिए भारत सरकार ने राज्य सरकारों को एक डीओ लेटर लिखा था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से वह कार्य आज तक नहीं हो पाया.
फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स के रूप में काम कर रहे आयुष चिकित्सक
आयुष चिकित्सक स्क्रीनिंग, सैंपलिंग, मरीजों को होम आइसोलेशन में मेडिसिन किट देने के साथ मरीज का हाल-चाल लेना, रैपिड रिस्पॉन्स टीम, कांटेक्ट ट्रेसिंग, डीएम कोविड कंट्रोल रूम इंट्रीग्रेटेड में आईसीसीसी में ड्यूटी, जिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड, एलवन, एलटू ड्यूटी आदि पर पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं. इस दौरान कई की जान गई तो कुछ अभी संक्रमित हैं.
70 वर्ष पर हो सेवानिवृत्ति
पत्र में कहा गया है कि आयुष चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की पुरानी आयु सीमा 70 वर्ष को बहाल किया जाए. संक्रमित होकर मौत के शिकार हुए आयुष चिकित्सकों के परिवार को 50 लाख रुपये की कोविड बीमा राशि समय से मिले. उनके आश्रितों को नौकरी दी जाए. साथ ही ट्रांसफर नीति फिर से शुरू करने की भी मांग की गई.