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प्रयागराज: छात्र परिषद के गठन को लेकर छात्रों में गुस्सा - इलाहाबाद विश्वविद्यलय में छात्रों में छात्र परिषद के गठन को लेकर गुस्सा

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ को हटाकर छात्र परिषद बनाने पर संघ के छात्रों और संघ के नेताओं में गुस्सा है. छात्र संघ का कहना है कि छात्र परिषद के गठन से विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की संभावनाएं बढ़ जाएंगी.

छात्र परिषद के गठन पर नेताओं ने किया विरोध
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Published : May 21, 2019, 10:41 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ को हटाकर छात्र परिषद बनाने पर संघ के छात्रों और नेताओं में आक्रोश है. छात्र संघ का कहाना है कि छात्र परिषद के गठन से विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ पहली बार 1923 में अस्तित्व में आया था और अब तक संघ ने अपने 97 साल ही पूरे किए हैं, ऐसे में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अगर छात्र परिषद का गठन होता है तो छात्र संघ अपनी सेंचुरी नहीं बना पाएगा.

छात्र परिषद के गठन पर नेताओं ने किया विरोध

छात्र संघ के आने से क्या आएंगे बदलाव

  • छात्र परिषद में छात्र संघ की तरह इसमेंआम छात्र सीधे पदाधिकारी नहीं चुने पाएंगे.
  • सबसे पहले प्रत्येक क्लास के हर सेक्शन से एक क्लास प्रतिनिधि चुना जाएगा, चुने हुए प्रतिनिधि छात्र परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री चुने और अन्य पदाधिकारी चुने जाएंगे.

क्यों रहना चाहिए छात्र संघ

  • वर्तमान छात्र नेताओं की माने तो उनका ये कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन जो भ्रष्टाचार में लिप्त है अपनी मनमानी करने के लिए छात्र परिषद लाना चाहता है.
  • आम छात्रों की माने तो छात्र संघ रहने से छात्रों के सामने आने वाली समस्याओं का जल्द निदान हो जाता है उनको इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता है.

क्या कहता है विवि प्रशासन

वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय में आरजकता चरम पर है, आए दिन बावल मचा रहता है इसलिए लिंगदोह की सिफारिश के अनुरूप काम किया गया है साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में हलफनामा दे दिया गया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ को हटाकर छात्र परिषद बनाने पर संघ के छात्रों और नेताओं में आक्रोश है. छात्र संघ का कहाना है कि छात्र परिषद के गठन से विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ पहली बार 1923 में अस्तित्व में आया था और अब तक संघ ने अपने 97 साल ही पूरे किए हैं, ऐसे में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अगर छात्र परिषद का गठन होता है तो छात्र संघ अपनी सेंचुरी नहीं बना पाएगा.

छात्र परिषद के गठन पर नेताओं ने किया विरोध

छात्र संघ के आने से क्या आएंगे बदलाव

  • छात्र परिषद में छात्र संघ की तरह इसमेंआम छात्र सीधे पदाधिकारी नहीं चुने पाएंगे.
  • सबसे पहले प्रत्येक क्लास के हर सेक्शन से एक क्लास प्रतिनिधि चुना जाएगा, चुने हुए प्रतिनिधि छात्र परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री चुने और अन्य पदाधिकारी चुने जाएंगे.

क्यों रहना चाहिए छात्र संघ

  • वर्तमान छात्र नेताओं की माने तो उनका ये कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन जो भ्रष्टाचार में लिप्त है अपनी मनमानी करने के लिए छात्र परिषद लाना चाहता है.
  • आम छात्रों की माने तो छात्र संघ रहने से छात्रों के सामने आने वाली समस्याओं का जल्द निदान हो जाता है उनको इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता है.

क्या कहता है विवि प्रशासन

वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय में आरजकता चरम पर है, आए दिन बावल मचा रहता है इसलिए लिंगदोह की सिफारिश के अनुरूप काम किया गया है साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में हलफनामा दे दिया गया है.

Intro:7007861412 प्रयागराज

इलाहाबाद विश्वविद्यलय अगर छात्र परिषद बनता है तो वो अपनी सेन्चुरी पूरा नही कर पायेगा।छात्र संघ पहली बार 1923 मे अस्तित्व में आया था और अबतक ये अपने सफर के 97 वर्ष पूरे कर चुका है।छात्र संघ राजनीति की नर्सरी और लोकतंत्र की प्रथम पाठशाला है।


Body:इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र संघ राजनीति की नर्सरी और लोक तंत्र की प्रथम पाठशाला है। छात्र संघ पहली बार 1923 में अपने अस्तित्व में आया और अब तक 97 वर्ष पूरा कर चुका है।ऐसे में अगर अगर छात्र परिषद का गठन होता है तो ये विश्वविद्यालय अपना 100 वर्ष मनाने से वंचित रह जायेगा।अगर छात्र परिषद की बात करे छात्र संघ की तरह इसमे सीधे आम छात्र सीधे पदाधिकारी नही चुनते है । सबसे पहले प्रत्येक क्लाश के हर सेक्शन से एक क्लाश प्रतिनिधि चुना जाता है। चुने हुए प्रतिनिधि छात्र परिषद के अध्यछ उपाध्यक्ष महामंत्री चुने जाते है।और अन्य पदाधिकारी को चुनते है।इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यक्ष और राजनीति में अपना परचम लहराए वरिष्ठ नेता बाबा अभय अवस्थी कहते है कि इस छात्र संघ ने 3 प्रधानमंत्री कई मूख्यमंत्री और बहुत से नामचीन व्यक्ति को दिया है। उनका कहना था कि केवल इस बात से की छात्र संघ होने पर आये दिन हत्याएं बवाल होता है तो ये कहना गलत है कि बवाल छात्र संघ की वजह से हो रहा है।
बाइट ------ बाबा अभय अवस्थी (वरिष्ठ नेता इलाहाबाद विश्वविद्यालय)

वही वर्तमान छात्र नेताओ की माने तो उनका ये कहना है कि विश्वविद्यलय प्रशासन जो भरस्टाचार में लिप्त है अपनी म
नमानी करके छात्र परिषद लाना चाहता है ताकि वो अपनी मनमानी कर सके
बाइट ---- नेहा यादव (छात्र नेता)
बाइट ---- शिवम सिंह (छात्र नेता)
बाइट ---- अखिलेश यादव ( छात्र नेता)

आम छात्रों की माने तो छात्र संघ रहने से छात्रों के सामने आने वाली समस्याओ का जल्द निदान हो जाता है उनको इधर उधर भटकना नही पड़ता है।
बाइट ---- सत्यम कुशवाहा ( छात्र)

वही विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय में आरजकता चरम पर है आये दिन बावल मचा रहता है इसलिए लिंगदोह की सिफारिश के अनुरूप काम किया गया है साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में हल्पनामा दे दिया गया है।
बाइट ---- चितरंजन कुमार ( पी आ रो इलाहाबाद विश्वविद्यालय)


Conclusion:ऐसे में देखना ये होगा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय का ये फैसला छात्रों और छात्र नेताओं को कितना संतुष्ठ कर पाता है और विश्वविद्यालय छात्र परिषद का गठन कर पाता है कि नही ये तो आने वाला वक्त बताएगा।

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