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मऊः बीटीसी में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा, 6 लोगों पर होगी कार्रवाई - mau samachar

आजमगढ़ मंडल के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षुओं के अंक पत्रों का सत्यापन किया गया. मामले में शिक्षकों के अंकपत्रों में फर्जी तरीके से बीटीसी में प्रवेश लेने का मामला सामने आया है.

btc 2015-2020.
आजमगढ़ मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी.
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Published : Jun 6, 2020, 7:17 AM IST

मऊः आजमगढ़ मंडलायुक्त के निर्देश पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में वर्ष 2015 में बीटीसी में हुए प्रवेश की जांच की गई. इस जांच में 9 अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी अंकपत्रों के आधार पर मेरिट बढ़ाकर प्रवेश लिए जाने का मामला सामने आया है.

मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी ने वर्ष 2015, 2016, 2017, 2018 में प्रवेश लेने वाले समस्त अभ्यर्थियों के सत्यापन की जांच करने के निर्देश दिए थे. बावजूद इसके निर्देशों का पालन न करने पर वर्ष 2015 से 2020 तक डायट में कार्यरत प्रभारी प्राचार्य राजीव रंजन मिश्रा, उप प्राचार्य उदय प्रकाश मिश्र व रामचन्द्र सिंह यादव, वरिष्ठ प्रवक्ता वीरेन्द्र सिंह, शिव प्रसाद यादव व केशरी नरायन कपूर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेज दी है. इसके साथ ही मंडलायुक्त ने आजमगढ़ मण्डल के तीनों जनपदों में बीटीसी में प्रवेश लेने वाले सभी प्रशिक्षुओं के अंकपत्रों का सत्यापन कराए जाने की मांग की है.

कई अनियमितताओं का जिक्र
मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी ने बताया कि डायट मऊ के स्टाफ ने बीटीसी बैच 2015 में एक छात्राध्यापक अभय कुमार मौर्य को फर्जी अंकपत्र के माध्यम से प्रवेश दिलाया था. इसके अलावा भी प्रार्थना पत्र में कई अनियमितताओं का उल्लेख किया गया था. उन्होंने बताया कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच की जिम्मेदारी संयुक्त शिक्षा निदेशक एपी वर्मा को सौंपी गई थी, जिन्होंने गहन जांच कर विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई है.

फर्जी मेरिट बढ़ाकर लिया प्रवेश
संयुक्त शिक्षा निदेशक की जानकारी से स्पष्ट हुआ कि डायट मऊ के प्राचार्य ने वर्ष 2015 बैच के 200 में से केवल 50 अभ्यर्थियों के हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट तथा स्नातक के अंकपत्रों का सत्यापन किया था, जिसमें से 9 अभ्यर्थियों प्रमोद यादव, सीमा यादव, रूबी यादव, रागिनी यादव, सोनम यादव, धर्मेन्द्र यादव, अभय कुमार मौर्य, अन्जली सिंह तथा गौरव सिंह द्वारा जो अंक पत्र काउंसिलिंग के समय दिए गए थे, वह वेबसाइट पर उपलब्ध अंकपत्रों से काफी भिन्न हैं. इस प्रकार कूटरचित अंकपत्रों के आधार पर मेरिट बढ़ाकर बीटीसी में प्रवेश लिए जाने की पुष्टि हुई.

मंडलायुक्त के मुताबिक जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि डायट के प्राचार्य ने बैच 2016, 2017 एवं 2018 के प्रशिक्षुओं के अंकपत्रों का भी सत्यापन नहीं कराया है. साथ ही मंडलायुक्त ने कहा कि वर्ष 2015 के अन्य अभ्यर्थियों और 2016, 2017 एवं 2018 के अभ्यर्थियों द्वारा भी कूटरचित अंकपत्र के आधार पर मेरिट बढ़ाकर प्रवेश लिए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

6 लोगों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई
मंडलायुक्त ने कहा कि मण्डल में लगभग 300 स्ववित्तपोषित बीटीसी कॉलेज संचालित हैं, जिसमें प्रति वर्ष प्रति कॉलेज 50 या 100 अभ्यर्थियों का प्रवेश लिया जाता है. जनपद के बीटीसी कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों के अंकपत्रों के सत्यापन के सम्बन्ध में डायट मऊ को कोई जानकारी नहीं है. इस प्रकार बड़े पैमाने पर गलत अभ्यर्थियों के प्रवेश लिए जाने की संभावना है. इस मामले को संज्ञान में लेते हुए मण्डलायुक्त ने उक्त अवधि में कार्यरत प्रभारी प्राचार्य सहित कुल 6 लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है.

मऊः आजमगढ़ मंडलायुक्त के निर्देश पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में वर्ष 2015 में बीटीसी में हुए प्रवेश की जांच की गई. इस जांच में 9 अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी अंकपत्रों के आधार पर मेरिट बढ़ाकर प्रवेश लिए जाने का मामला सामने आया है.

मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी ने वर्ष 2015, 2016, 2017, 2018 में प्रवेश लेने वाले समस्त अभ्यर्थियों के सत्यापन की जांच करने के निर्देश दिए थे. बावजूद इसके निर्देशों का पालन न करने पर वर्ष 2015 से 2020 तक डायट में कार्यरत प्रभारी प्राचार्य राजीव रंजन मिश्रा, उप प्राचार्य उदय प्रकाश मिश्र व रामचन्द्र सिंह यादव, वरिष्ठ प्रवक्ता वीरेन्द्र सिंह, शिव प्रसाद यादव व केशरी नरायन कपूर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेज दी है. इसके साथ ही मंडलायुक्त ने आजमगढ़ मण्डल के तीनों जनपदों में बीटीसी में प्रवेश लेने वाले सभी प्रशिक्षुओं के अंकपत्रों का सत्यापन कराए जाने की मांग की है.

कई अनियमितताओं का जिक्र
मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी ने बताया कि डायट मऊ के स्टाफ ने बीटीसी बैच 2015 में एक छात्राध्यापक अभय कुमार मौर्य को फर्जी अंकपत्र के माध्यम से प्रवेश दिलाया था. इसके अलावा भी प्रार्थना पत्र में कई अनियमितताओं का उल्लेख किया गया था. उन्होंने बताया कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच की जिम्मेदारी संयुक्त शिक्षा निदेशक एपी वर्मा को सौंपी गई थी, जिन्होंने गहन जांच कर विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई है.

फर्जी मेरिट बढ़ाकर लिया प्रवेश
संयुक्त शिक्षा निदेशक की जानकारी से स्पष्ट हुआ कि डायट मऊ के प्राचार्य ने वर्ष 2015 बैच के 200 में से केवल 50 अभ्यर्थियों के हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट तथा स्नातक के अंकपत्रों का सत्यापन किया था, जिसमें से 9 अभ्यर्थियों प्रमोद यादव, सीमा यादव, रूबी यादव, रागिनी यादव, सोनम यादव, धर्मेन्द्र यादव, अभय कुमार मौर्य, अन्जली सिंह तथा गौरव सिंह द्वारा जो अंक पत्र काउंसिलिंग के समय दिए गए थे, वह वेबसाइट पर उपलब्ध अंकपत्रों से काफी भिन्न हैं. इस प्रकार कूटरचित अंकपत्रों के आधार पर मेरिट बढ़ाकर बीटीसी में प्रवेश लिए जाने की पुष्टि हुई.

मंडलायुक्त के मुताबिक जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि डायट के प्राचार्य ने बैच 2016, 2017 एवं 2018 के प्रशिक्षुओं के अंकपत्रों का भी सत्यापन नहीं कराया है. साथ ही मंडलायुक्त ने कहा कि वर्ष 2015 के अन्य अभ्यर्थियों और 2016, 2017 एवं 2018 के अभ्यर्थियों द्वारा भी कूटरचित अंकपत्र के आधार पर मेरिट बढ़ाकर प्रवेश लिए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

6 लोगों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई
मंडलायुक्त ने कहा कि मण्डल में लगभग 300 स्ववित्तपोषित बीटीसी कॉलेज संचालित हैं, जिसमें प्रति वर्ष प्रति कॉलेज 50 या 100 अभ्यर्थियों का प्रवेश लिया जाता है. जनपद के बीटीसी कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों के अंकपत्रों के सत्यापन के सम्बन्ध में डायट मऊ को कोई जानकारी नहीं है. इस प्रकार बड़े पैमाने पर गलत अभ्यर्थियों के प्रवेश लिए जाने की संभावना है. इस मामले को संज्ञान में लेते हुए मण्डलायुक्त ने उक्त अवधि में कार्यरत प्रभारी प्राचार्य सहित कुल 6 लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है.

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