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17 जातियां अनुसूचित सूची में शामिल, नए जाति प्रमाण पत्र जारी करने की उठी मांग - ओबीसी वर्ग में शामिल जातियां

यूपी में 17 जातियों को एससी वर्ग में शामिल किया गया है. इससे पहले ये जातियां अन्य पिछड़ा वर्ग के दायरे में आती थीं. सरकार के आदेश के बाद इन जातियों के नए प्रमाण पत्र जारी करने की मांग उठने लगी है.

अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनाने की उठी मांग.
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Published : Jul 3, 2019, 11:45 AM IST

Updated : Jul 3, 2019, 12:25 PM IST

मऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने ओबीसी की 17 जातियों को अनूसूचित जाति में शामिल कर लिया है. इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलों को शासनादेश भेज दिया गया है. ऐसे में तमाम जातीय संगठन भी जल्द ही तहसीलों में जाति प्रमाण बनाने की मांग करने लगे हैं. जनपद में अखिल भारतीय राजभर संगठन ने जिलाधिकारी से तहसीलों में नए शासनादेश के अनुसार जाति प्रमाण पत्र बनाने की मांग की.

अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनाने की उठी मांग.
अखिल भारतीय राजभर संगठन ने उठाई मांग

अखिल भारतीय राजभर संगठन के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव डॉ. रामानंद राजभर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में जिलाधिकारी को शासनादेश भेजा है. अब जिलाधिकारी सभी तहसीलों में शासनादेश भेजकर जाति प्रमाण पत्र बनाने का निर्देश जारी करें. इन जातियों को लंबे समय से अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग और प्रक्रिया चल रही थी. अनुसूचित जाति में शामिल होने से इन जातियों का शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक विकास हो सकेगा. जिले में कुछ अधिकारी गोंड़, खरवार आदि जातियों के साथ अन्याय करते हैं. यदि अधिकारी शासनादेश के अनुसार काम नहीं करते हैं तो हम धरना प्रदर्शन करेंगे.

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अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनाने की उठी मांग.
17 जातियां अनुसूचित वर्ग में शामिल
बता दें कि हाल ही में योगी सरकार ने 17 जातियों को ओबीसी से एससी की सूची में शामिल किया है. इन जातियों में निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआ, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुहा और गौड़ शामिल हैं. इससे पहले बसपा और सपा सरकारों ने भी इन जातियों को अनुसूचित वर्ग में शामिल करने का प्रयास किया था, लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण यह कोशिश विफल रही थी.

मऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने ओबीसी की 17 जातियों को अनूसूचित जाति में शामिल कर लिया है. इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलों को शासनादेश भेज दिया गया है. ऐसे में तमाम जातीय संगठन भी जल्द ही तहसीलों में जाति प्रमाण बनाने की मांग करने लगे हैं. जनपद में अखिल भारतीय राजभर संगठन ने जिलाधिकारी से तहसीलों में नए शासनादेश के अनुसार जाति प्रमाण पत्र बनाने की मांग की.

अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनाने की उठी मांग.
अखिल भारतीय राजभर संगठन ने उठाई मांग

अखिल भारतीय राजभर संगठन के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव डॉ. रामानंद राजभर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में जिलाधिकारी को शासनादेश भेजा है. अब जिलाधिकारी सभी तहसीलों में शासनादेश भेजकर जाति प्रमाण पत्र बनाने का निर्देश जारी करें. इन जातियों को लंबे समय से अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग और प्रक्रिया चल रही थी. अनुसूचित जाति में शामिल होने से इन जातियों का शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक विकास हो सकेगा. जिले में कुछ अधिकारी गोंड़, खरवार आदि जातियों के साथ अन्याय करते हैं. यदि अधिकारी शासनादेश के अनुसार काम नहीं करते हैं तो हम धरना प्रदर्शन करेंगे.

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अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनाने की उठी मांग.
17 जातियां अनुसूचित वर्ग में शामिल
बता दें कि हाल ही में योगी सरकार ने 17 जातियों को ओबीसी से एससी की सूची में शामिल किया है. इन जातियों में निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआ, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुहा और गौड़ शामिल हैं. इससे पहले बसपा और सपा सरकारों ने भी इन जातियों को अनुसूचित वर्ग में शामिल करने का प्रयास किया था, लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण यह कोशिश विफल रही थी.
Intro:मऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने ओबीसी की 17 जातियों को अनूसूचित जाति में शामिल कर लिया है. जिसका शासनादेश प्रदेश के सभी जिलों में भेज दिया गया है. शासनादेश जारी होने के बाद तमाम जातीय संगठन भी जल्द ही तहसीलों में जाति प्रमाण बनाने की मांग कर रहे हैं. जनपद मऊ में अखिल भारतीय राजभर संगठन ने जिलाधिकारी से तहसीलों में नए शासनादेश के अनुसार जाति प्रमाण पत्र बनाने की मांग की.


Body:अखिल भारतीय राजभर संगठन के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव डॉ रामानंद राजभर ने मीडिया से कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी जिलों में जिलाधिकारी को शासनादेश भेजा गया है. अब जिलाधिकारी द्वारा सभी तहसीलों में शासनादेश भेजकर जाति प्रमाण पत्र बनाने का निर्देश जारी कर देने की मांग की जा रही है. इन जातियों को लम्बे समय से अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग और प्रक्रिया चल रही थी. अनुसूचित जाति में शामिल होने से इन जातियों का शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक विकास हो सकेगा. जिले में कुछ अधिकारी गोंड़, खरवार आदि जातियों के साथ अन्याय करते हैं. यदि जिले में अधिकारियों द्वारा शासनादेश के अनुसार काम नहीं होता है तो हमें धरना प्रदर्शन करने विवश होना पड़ेगा.


Conclusion:बता दें कि पिछले शुक्रवार को योगी ने सरकार ने जिन जातियों को ओबीसी से एससी की सूची में शामिल किया है वे हैं - निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआ, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुहा और गौड़. गौरतलब है कि बसपा और सपा की सरकारों ने भी इन जातियों को अनुसूचित वर्ग में शामिल करने का प्रयास किया था. लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण यह कोशिश विफल रही.

बाईट - डॉ रामानंद राजभर (राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय राजभर संगठन)

रिपोर्ट - महितोष मिश्र, 9651426514
Last Updated : Jul 3, 2019, 12:25 PM IST
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