दोहा: फीफा वर्ल्ड कप 2022 की तैयारी को लेकर कितने मजदूरों ने जान गंवाई है, इसका तकरीबन आंकड़ा मिल गया है. यह खुलासा खुद फीफा वर्ल्ड कप के आयोजन से जुड़े कतर के शीर्ष अधिकारी हसन अल-थावाडी ने किया है. हसन कतर की 'डिलीवरी और लीगेसी' से जुड़ी शीर्ष समिति के महासचिव हैं. अधिकारी ने कहा है कि विश्व कप से संबंधित परियोजनाओं पर मरने वाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या '400 और 500 के बीच' है.
'डिलीवरी और लीगेसी' के लिए सर्वोच्च समिति के महासचिव हसन अल-थवाडी ने एक साक्षात्कार में कहा कि सही संख्या पर अभी भी चर्चा की जा रही है. थवाडी ने टीवी शो पियर्स मॉर्गन अनसेंसर्ड को बताया कि अनुमान लगभग 400 से 500 के बीच है. उन्होंने कहा कि मेरे पास सटीक संख्या नहीं है, यह ऐसी चीज है जिस पर चर्चा की जा रही है. उन्होंने कहा कि एक मौत भी बहुत अधिक है. हर साल साइटों पर स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों में सुधार हो रहा है, कम से कम हमारी साइटों पर, विश्व कप साइटों पर, जिनके लिए हम जिम्मेदार हैं.
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विश्व कप साइटों पर काम करने वाले मजदूरों के ट्रेड यूनियन हैं. साक्षात्कार के बाद वकालत समूह फेयर स्क्वायर के निकोलस मैकगिहान ने थवाड़ी की टिप्पणियों पर गुस्सा प्रदर्शित करते हुए कहा कि यह श्रमिकों की मौतों के मुद्दों पर कतर की अक्षम्य पारदर्शिता की कमी का नवीनतम उदाहरण है. निकोलस मैकगिहान ने कहा कि हमें मीडिया साक्षात्कारों के माध्यम से घोषित अस्पष्ट आंकड़ों की नहीं, बल्कि उचित डेटा और गहन जांच की आवश्यकता है. फीफा और कतर को अभी भी कई सवालों के जवाब देने हैं. कम से कम कहां, कब और कैसे ये लोग मारे गए और क्या उनके परिवारों को मुआवजा मिला.
सर्वोच्च समिति ने हमेशा कहा है कि 2014 में टूर्नामेंट के लिए निर्माण शुरू होने के बाद से विश्व कप स्टेडियमों में केवल 40 प्रवासी श्रमिकों की मौत हुई है. इनमें तीन की मौत काम के दौरान और 37 अन्य कारणों से हुई हैं. कतर सरकार के मुताबिक, 2010 और 2019 के बीच देश में कुल मिलाकर 15,021 प्रवासियों की मौत हुई. द गार्जियन की रिपोर्ट में बताया गया है कि जब से कतर को फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी मिली है, तब से 2021 तक वहां 6500 से ज्यादा प्रवासियों की मौत हुई है. यह सभी भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के रहने वाले थे.
हालांकि, सरकार ने इन मौतों को स्थान, कार्य या बाकी चीजों के हिसाब से नहीं बांटा. कतर सरकार ने यह भी बताया है कि फीफा वर्ल्ड कप स्टेडियम बनाने के लिए 30,000 विदेशी मजदूरों को लगाया गया था. इन सबके इतर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने पाया कि 2020 में 50 लोगों की काम के दौरान मौत हुई. 500 गंभीर रूप से घायल हुए और 37,600 को हल्की से मध्यम चोटें आईं. 2021 में गार्जियन ने शोध प्रकाशित किया जिसमें पता चला कि पांच देशों - भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के 6,500 से अधिक प्रवासी श्रमिकों की 2011 की शुरुआत और 2020 के बीच कतर में मृत्यु हो गई थी. 2011 में ही कतर ने विश्व की मेजबानी का अधिकार जीता था.
तब कतर की सरकार ने गार्जियन के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इन समुदायों के बीच मृत्यु दर जनसंख्या के आकार और जनसांख्यिकी के लिए अपेक्षित सीमा के भीतर है. तीन स्टेडियम के काम से संबंधित विश्व कप की मौतों का आधिकारिक आंकड़ा (40) फीफा द्वारा दोहराया गया था और इस साल यूरोपीय परिषद के एक संबोधन में इसके अध्यक्ष जियानी इन्फेंटिनो द्वारा एक भाषण में भी वही संख्या (40) दोहराई थी.
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एमनेस्टी इंटरनेशनल के आर्थिक और सामाजिक न्याय के प्रमुख स्टीव कॉकबर्न ने कहा कि विश्व कप की तैयारी में मारे गए श्रमिकों की संख्या के बारे में जारी बहस इस वास्तविकता को उजागर करती है कि इतने सारे शोक संतप्त परिवार अभी भी सच्चाई और न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं. पिछले एक दशक में, हजारों श्रमिक ताबूतों में घर लौट आए हैं, उनके प्रियजनों को कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है.