सूरत: यूपी के माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई है. दोनों प्रयागराज के वकील उमेश पाल और उनके दो सुरक्षा कर्मियों की हत्या में आरोपी थे. अतीक गुजरात की साबरमती जेल में बंद था. जबकि अशरफ यूपी की बरेली जेल में था. दोनों की हत्या प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा में की गई थी. तीनों हत्यारोपियों के पुलिस ने तुरंत गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन, यूपी से हजारों किलोमीटर दूर गुजरात की साबरमती जेल से अपना नेटवर्क चलाने वाले गैंगस्टर अतीक अहमद को जेल के अंदर सुविधाएं देने वालों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उसकी मदद यहां पर कौन कर रहा था? कौन हैं वो लोग जो गैंगस्टर अतीक का काला धंधा चलाने के लिए उसकी हर तरह से मदद कर रहे थे? जेल की चारदीवारी के अंदर कौन है अतीक प्रेमी जो एक गैंगस्टर की मदद कर रहा था. आखिर वो कौन लोग थे जो एक गैंगस्टर को हर तरह की सुविधाएं मुहैया करा रहे थे? यही कारण है कि वह गुजरात में बैठकर उत्तर प्रदेश में अपना काला कारोबार चला रहा था. जेल में बैठकर उत्तर प्रदेश में अपना नेटवर्क कैसे फैला रहा था? आखिर उसने उमेश पाल हत्याकांड में अपना रोल कैसे और किसके साथ बनाया? कौन हैं वो लोग जिन्होंने अतीक अहमद की मदद की? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब आज तक नहीं मिला है.
अतीक अहमद को करीब 2 बार साबरमती जेल से उत्तर प्रदेश ले जाया गया. जांच में यह भी सामने आया कि वह साबरमती जेल से अपना नेटवर्क चला रहा था. हालांकि, अभी यह पता नहीं चल पाया है कि वे लोग कौन हैं जिन्होंने लंबे समय तक भाजपा शासित राज्य की साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद की मदद की थी. पता चला है कि वह वहीं से फिरौती का रैकेट भी चला रहा था. चैट से पता चलता है कि वह अपने बेटों से लोगों को धमकवा रहा था. उसने एक बिल्डर से 5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी और उससे 80 लाख रुपये ले लिए थे.
24 मार्च की रात को राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में पुलिस बल को जांच के लिए जेल के अंदर भेजा. सूरत की सेंट्रल जेल से नशीला पदार्थ और मोबाइल समेत कई सामान बरामद किए गए और कैदियों ने बैरकों में आग भी लगा दी. पुलिस द्वारा कई दिन से मामले की जांच की जा रही है. लेकिन, अभी तक किसी भी कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है. पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस पूरे मामले की जांच की जा रही है. क्राइम ब्रांच और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को जांच सौंपी गई है.
कहा जाता है कि गुजरात की जेल में परिंदा भी पर नहीं मार सकता तो कुख्यात गैंगस्टर की मदद कौन कर रहा था? इस अध्याय में उन सभी लोगों पर कार्रवाई की जा रही है, जो हत्याकांड में शामिल थे. लेकिन जिस जेल से नरसंहार की योजना बनाई गई थी, वहां के जिम्मेदार कर्मचारी या अधिकारी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हालांकि, गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने कहा है कि जब भी कोई मामला सामने आता है तो उसकी पहले जांच की जाती है. ऐसे में किसी तरह का बयान देना जरूरी नहीं है. जांच पूरी होने के बाद इसका जवाब जेल डीजी देंगे.
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