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परमाणु प्रयोग के मुहाने पर खड़ी दुनिया, कहां गया बुडापेस्ट समझौता: मेनन - बुडापेस्ट ज्ञापन का क्या हुआ

भारत के पूर्व एनएसए व विदेश सचिव शिव शंकर मेनन का कहना है कि यूक्रेन युद्ध 12वें सप्ताह में प्रवेश कर चुका है. राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन और उसके सहयोगियों को परमाणु हथियारों का उपयोग करने की धमकी के साथ ही परमाणु प्रसार पर विवादास्पद बहस को फिर से जन्म दे दिया है.

Menon
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Published : May 14, 2022, 3:43 PM IST

नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में शुक्रवार को भारत की सुरक्षा के लिए परमाणु चुनौतियां विषय पर आयोजित कार्यक्रम में श्रोताओं को संबोधित करते हुए शिव शंकर मेनन ने कहा कि भारत के भीतर परमाणु संदर्भ कई तरह से बदल गया है. जैसे कि प्रौद्योगिकी परिवर्तन और सुधार. यह वास्तविक खतरा बन गया है.

बुडापेस्ट ज्ञापन के बारे में बात करते हुए जिसने 1994 में यूक्रेन के साथ एक स्वतंत्र और एक संप्रभु यूक्रेन की नींव रखी, उस समय यूक्रेन ने अपने तीसरे सबसे बड़े परमाणु शस्त्रागार को आत्मसमर्पण कर दिया. मेनन ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और चीन ने वादा किया था यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा की जाएगी. लेकिन हम जो देख रहे हैं वह स्थापित प्रोटोकॉल का घोर उल्लंघन है जिसमें यूक्रेन की मदद करने वाले कोई हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं.

स्वतंत्रता के बदले में यूक्रेन ने अपने सभी परमाणु शस्त्रागार को आत्मसमर्पण कर दिया और हम इसके प्रभाव को देख रहे हैं. भारत की परमाणु नीति यानी पहले उपयोग नहीं को बनाए रखती है. मेनन का मानना ​​है कि युद्ध क्षेत्र में परमाणु हथियारों का उपयोग अत्यंत खतरनाक है और तर्कसंगत विचार नहीं है. यह बहुत विनाश ला सकता है लेकिन हम जो देख रहे हैं वह राजनीतिक मोर्चे पर निवारक के रूप में परमाणु शब्द का उपयोग है. बयान में पाकिस्तान की परमाणु शस्त्रागार का उपयोग करने की धमकी का उपयोग करने की नीति पर प्रकाश डाला गया है. जो वास्तव में राजनीतिक प्रतिरोध के रूप में परमाणु खतरे का उपयोग करने का एक प्रक्षेपण है.

मेनन आगे कहते हैं कि चीन में एक बड़ी बहस चल रही है. वहां बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है. उनके परमाणु ढेर में बड़े सुधार लाए जा रहे हैं. आपको यह देखने की जरूरत है कि AUKUS क्या करता है? और चीन उनका मुकाबला कैसे कर रहा है. मेनन कहते हैं कि चीन उस आधार को बदलने की कोशिश कर रहा है, जिसके आधार पर अन्य दो बड़ी शक्तियों (पी 2) के साथ उसके परमाणु संबंध हैं.

डॉ मनप्रीत सेठी (सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज) ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस परमाणु खतरे के साथ रहता है, जिसके बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बात की थी, जब पुतिन परमाणु उपयोग के खतरे का उपयोग करने की धमकी दे रहे थे. यह हम दशकों से देख रहे हैं. डॉ. सेठी का कहना है कि चीन न केवल व्यापार और वित्तीय क्षेत्र में बल्कि रक्षा क्षेत्र में भी कड़ी प्रतिस्पर्धा देने के लिए रक्षा क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है.

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान के हेरात में तालिबानी फरमान, रेस्तरां में साथ खाना नहीं खा सकेंगे पति पत्नी

आतंकवाद को रोकने पर डॉ सेठी का कहना है कि भारत ने 2016 और 2019 में हवाई हमलों के जरिए आतंकियों पर हमला करके अच्छी सोच दिखाई. उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान को अच्छी प्रतिक्रिया थी. यदि रूस चल रहे युद्ध में परमाणु का उपयोग करता है तो यह पारंपरिक प्रथा बन सकती है और हमारे विरोधियों द्वारा इसका इस्तेमाल हमारे खिलाफ किया जा सकता है.

नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में शुक्रवार को भारत की सुरक्षा के लिए परमाणु चुनौतियां विषय पर आयोजित कार्यक्रम में श्रोताओं को संबोधित करते हुए शिव शंकर मेनन ने कहा कि भारत के भीतर परमाणु संदर्भ कई तरह से बदल गया है. जैसे कि प्रौद्योगिकी परिवर्तन और सुधार. यह वास्तविक खतरा बन गया है.

बुडापेस्ट ज्ञापन के बारे में बात करते हुए जिसने 1994 में यूक्रेन के साथ एक स्वतंत्र और एक संप्रभु यूक्रेन की नींव रखी, उस समय यूक्रेन ने अपने तीसरे सबसे बड़े परमाणु शस्त्रागार को आत्मसमर्पण कर दिया. मेनन ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और चीन ने वादा किया था यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा की जाएगी. लेकिन हम जो देख रहे हैं वह स्थापित प्रोटोकॉल का घोर उल्लंघन है जिसमें यूक्रेन की मदद करने वाले कोई हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं.

स्वतंत्रता के बदले में यूक्रेन ने अपने सभी परमाणु शस्त्रागार को आत्मसमर्पण कर दिया और हम इसके प्रभाव को देख रहे हैं. भारत की परमाणु नीति यानी पहले उपयोग नहीं को बनाए रखती है. मेनन का मानना ​​है कि युद्ध क्षेत्र में परमाणु हथियारों का उपयोग अत्यंत खतरनाक है और तर्कसंगत विचार नहीं है. यह बहुत विनाश ला सकता है लेकिन हम जो देख रहे हैं वह राजनीतिक मोर्चे पर निवारक के रूप में परमाणु शब्द का उपयोग है. बयान में पाकिस्तान की परमाणु शस्त्रागार का उपयोग करने की धमकी का उपयोग करने की नीति पर प्रकाश डाला गया है. जो वास्तव में राजनीतिक प्रतिरोध के रूप में परमाणु खतरे का उपयोग करने का एक प्रक्षेपण है.

मेनन आगे कहते हैं कि चीन में एक बड़ी बहस चल रही है. वहां बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है. उनके परमाणु ढेर में बड़े सुधार लाए जा रहे हैं. आपको यह देखने की जरूरत है कि AUKUS क्या करता है? और चीन उनका मुकाबला कैसे कर रहा है. मेनन कहते हैं कि चीन उस आधार को बदलने की कोशिश कर रहा है, जिसके आधार पर अन्य दो बड़ी शक्तियों (पी 2) के साथ उसके परमाणु संबंध हैं.

डॉ मनप्रीत सेठी (सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज) ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस परमाणु खतरे के साथ रहता है, जिसके बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बात की थी, जब पुतिन परमाणु उपयोग के खतरे का उपयोग करने की धमकी दे रहे थे. यह हम दशकों से देख रहे हैं. डॉ. सेठी का कहना है कि चीन न केवल व्यापार और वित्तीय क्षेत्र में बल्कि रक्षा क्षेत्र में भी कड़ी प्रतिस्पर्धा देने के लिए रक्षा क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है.

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आतंकवाद को रोकने पर डॉ सेठी का कहना है कि भारत ने 2016 और 2019 में हवाई हमलों के जरिए आतंकियों पर हमला करके अच्छी सोच दिखाई. उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान को अच्छी प्रतिक्रिया थी. यदि रूस चल रहे युद्ध में परमाणु का उपयोग करता है तो यह पारंपरिक प्रथा बन सकती है और हमारे विरोधियों द्वारा इसका इस्तेमाल हमारे खिलाफ किया जा सकता है.

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