श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि कश्मीरी भाषा उनकी असली पहचान है. कश्मीर के लोग अपनी पहचान के लिए लड़ रहे हैं जो खतरे में है. पीडीपी प्रमुख ने यह टिप्पणी मंगलवार को श्रीनगर के टैगोर हॉल में डॉ. गजानफर अली गजल द्वारा लिखित 'क़तरें हुएंद शहर' नामक पुस्तक के विमोचन के लिए आयोजित एक समारोह में की.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुफ्ती ने कहा कि कश्मीरी भाषा हमारी पहचान के साथ-साथ एक बड़ा हथियार भी है. अतीत में हमने सारी लड़ाईयां अपनी मातृभाषा के साथ लड़ीं. लेकिन दुर्भाग्य से हमारी पहचान यानी हमारी मातृभाषा खतरे में है. परिणामस्वरुप हम बात नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हम असहज माहौल में रह रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर भाषा का अपना महत्व है और आज की पीढ़ी अपनी मातृभाषा के प्रति उचित रुचि नहीं दिखा रही है.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यहां तक कि मेरे अपने बच्चे भी ठीक से कश्मीरी भाषा नहीं बोल रहे हैं. इसलिए लोगों को उर्दू और कश्मीरी भाषाओं के बारे में जानना चाहिए जो हमारी आधिकारिक और मातृभाषा हैं. दोनों भाषाएं हमारी पहचान हैं. इससे पहले सोमवार को, पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया.
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के अवैध निरस्तीकरण को चुनौती देने वाली 2019 से लंबित याचिकाओं पर अंततः सुनवाई करने के माननीय SC के फैसले का स्वागत है. मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ न्याय होगा.
(एएनआई)