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ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एएसआई टीम को मिला 10 दिन का अतिरिक्त समय, मुस्लिम पक्ष ने जताया विरोध

वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के बाद इसकी रिपोर्ट (ASI gyanvapi survey report extra time) दाखिल की जानी थी, लेकिन टीम ने इसके लिए कोर्ट से 15 दिनों का समय मांगा था, कोर्ट ने 10 दिनों का समय दिया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 18, 2023, 4:39 PM IST

Updated : Nov 18, 2023, 5:27 PM IST

वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर का सर्वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर से पूरा कर लिया गया है. इसकी रिपोर्ट सौंपी जानी थी, लेकिन इसमें कुछ अपडेट शामिल नहीं हो पाए थे. इसके लिए एएसआई ने कोर्ट से 15 दिनों का अतिरिक्त समय मांगा था. इस पर शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई थी. आज जिला जज डॉ. अजय कृष्णा विश्वेश की तरफ से 15 दिन की जगह 10 दिन का वक्त मौखिक रूप से दिया गया. लिखित आदेश का इंतजार है. दोनों पक्षों को सुने जाने के दौरान प्रतिवादी यानी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से बार-बार समय दिए जाने का विरोध किया गया. इसे गलत बताते हुए कंटेंट आफ कोर्ट का मामला बताया गया. हालांकि कोर्ट ने इसे नजरअंदाज कर दिया. कोर्ट ने 28 नवंबर तक रिपोर्ट सबमिट करने के लिए कहा है.

एएसआई की तरफ से वकील ने दिया था प्रार्थना पत्र : यह चौथा मौका है जब एएसआई की टीम सर्वे के संदर्भित कार्यों को पूर्ण करने के लिए कोर्ट से समय मांग रही है. इसके पहले तीन बार टीम ने सर्वे आगे बढ़ाए जाने के लिए मोहलत मांगी थी. इसके बाद रिपोर्ट सबमिट करने के लिए भी अतिरिक्त वक्त मांगा था. कल आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम की तरफ से उनके वकील ने प्रार्थना पत्र देकर जिला न्यायालय से अतिरिक्त समय मांगा था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से स्टैंडिंग गवर्नमेंट काउंसिल से वकील अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर 15 दिन का समय रिपोर्ट सबमिट करने के लिए मांगा था.

समय देने पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति : वादी पक्ष की अधिवक्ता सुधीर कुमार त्रिपाठी ने बताया कि कोर्ट ने इस पर सुनवाई जैसे ही शुरू की तो आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के वकील ने अपना पक्ष रखा. हिंदू पक्ष की तरफ से तो कोई विरोध नहीं किया गया लेकिन प्रतिवादी यानी मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया. उनका कहना था कि बार-बार कोर्ट के आदेश के बाद भी रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई. बार-बार अतिरिक्त समय मांगा जा रहा है जो उचित नहीं है. ऐसे में इन्हें समय नहीं दिया जाना चाहिए हालांकि कोर्ट ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया और मौखिक रूप से एएसआई को 10 दिन के अंदर हर हाल में रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया.

सौ दिनों के सर्वे में मिले तीन सौ से ज्यादा साक्ष्य : लगभग 100 दिनों तक चल सर्वे के बाद 300 से ज्यादा साक्ष्य इकट्ठा करके इसे जिला अधिकारी वाराणसी की निगरानी में सील बंद कमरे में रखवाया गया है. कोर्ट ने 17 नवंबर को रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश टीम को दिया था. टीम इस पर काम भी कर रही थी. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कुछ तकनीकी जानकारी के साथ अन्य चीजों को शामिल किए जाने के बाद इसमें कुछ अपडेट किए जाने हैं. इसे लेकर रिपोर्ट को अभी तैयार नहीं माना जा रहा है. सबसे महत्वपूर्ण बिंदु सर्वे के दौरान लगभग एक महीने तक चले रडार सिस्टम की जांच रिपोर्ट का तैयार न होना इसकी वजह मानी जा रही है. यही वजह है कि एएसआई की टीम रिपोर्ट सबमिट करने के लिए अतिरिक्त वक्त चाह रही है.

40 सदस्यीय टीम ने किया सर्वे : 21 जुलाई को दिए गए कोर्ट के आदेश के बाद 24 जुलाई को एएसआई की टीम ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे शुरू किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद कमेटी की सुनवाई की वजह से सुप्रीम कोर्ट की तरफ से उसी दिन इस पर रोक लगा दी गई थी. बाद में हाईकोर्ट में सुनवाई पूर्ण होने के बाद 4 अगस्त से इस सर्वे की शुरुआत हुई थी. रडार तकनीक और एक्सरे सिस्टम और कार्बन डेटिंग समेत अन्य वैज्ञानिक तकनीकों से सर्वे करने वाली टीम अंदर साक्ष्य इकट्ठा कर रही थी. कानपुर और आईआईटी रुड़की की टीम भी शामिल हुई थी. लगभग 40 लोगों की टीम को डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी लीड कर रहे थे. आगरा की टीम भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वाराणसी, जयपुर और दिल्ली की टीम की महत्वपूर्ण भूमिका है. फिलहाल पिछले साल हुए कमीशन की कार्रवाई के दौरान मिली खंडित मूर्तियां धार्मिक चिन्ह आकृतियां पुष्प और घंटे की आकृतियों के अवशेष और पुरातन वक्त की मिट्टी के अलावा धार्मिक कलश और पत्थर के टुकड़ों को भी कोषागार के डबल लॉकर में रखने का काम किया गया है. इन साक्ष को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

व्यास जी के तहखाना मामले में 20 को होगी सुनवाई : वहीं एक अन्य मामले में भी आज कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई. व्यास जी के तहखाना को जिलाधिकारी वाराणसी के सुपुर्द किए जाने और नंदी के सामने बैरिकेडिंग हटाकर अंदर प्रवेश दिए जाने के संदर्भित आदेश पर सुनवाई करते हुए कोर्ट को आज इस पर अपना फैसला देना था, लेकिन इस मामले में 1991 से ज्ञानवापी मुकदमे में वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने एप्लीकेशन देकर इस मामले में पक्षकार बनते हुए उनकी बात सुने जाने के बाद ही कोई फैसला सुनाए जाने की अपील कोर्ट से की थी. इस पर कोर्ट ने आज उन्हें 1 घंटे सुना और पुनः सोमवार 20 नवंबर को उनकी बात सुनने के लिए तिथि निर्धारित की है. इसके बाद कोर्ट इस मामले में भी अपना फैसला सुनाएगा.

एएसआई सर्वे की मांग की गई थी. चार महिलाओं की अगुवाई में विष्णु शंकर जैन की तरफ से कोर्ट में अपनी दलीलों के जरिए सर्वे को बेहद जरूरी बताया था. 21 जुलाई को कोर्ट ने आदेश देकर वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दे दिया था. एएसआई ने 50 लोगों की टीम के साथ हिंदू पक्ष से आठ लोगों का मुस्लिम पक्ष से तीन लोगों के शामिल होने के आदेश भी दिए थे. वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि जो एएसआई की तरफ से 15 दिन का समय मांगा गया था, वादी गण द्वारा किसी तरह का विरोध नहीं हुआ है. अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ता की तरफ से विरोध किया गया.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी परिसर सर्वे: कोर्ट के बाहर समझौते के सवाल पर हिंदू पक्ष में दो फाड़, जानिए वजह

वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर का सर्वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर से पूरा कर लिया गया है. इसकी रिपोर्ट सौंपी जानी थी, लेकिन इसमें कुछ अपडेट शामिल नहीं हो पाए थे. इसके लिए एएसआई ने कोर्ट से 15 दिनों का अतिरिक्त समय मांगा था. इस पर शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई थी. आज जिला जज डॉ. अजय कृष्णा विश्वेश की तरफ से 15 दिन की जगह 10 दिन का वक्त मौखिक रूप से दिया गया. लिखित आदेश का इंतजार है. दोनों पक्षों को सुने जाने के दौरान प्रतिवादी यानी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से बार-बार समय दिए जाने का विरोध किया गया. इसे गलत बताते हुए कंटेंट आफ कोर्ट का मामला बताया गया. हालांकि कोर्ट ने इसे नजरअंदाज कर दिया. कोर्ट ने 28 नवंबर तक रिपोर्ट सबमिट करने के लिए कहा है.

एएसआई की तरफ से वकील ने दिया था प्रार्थना पत्र : यह चौथा मौका है जब एएसआई की टीम सर्वे के संदर्भित कार्यों को पूर्ण करने के लिए कोर्ट से समय मांग रही है. इसके पहले तीन बार टीम ने सर्वे आगे बढ़ाए जाने के लिए मोहलत मांगी थी. इसके बाद रिपोर्ट सबमिट करने के लिए भी अतिरिक्त वक्त मांगा था. कल आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम की तरफ से उनके वकील ने प्रार्थना पत्र देकर जिला न्यायालय से अतिरिक्त समय मांगा था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से स्टैंडिंग गवर्नमेंट काउंसिल से वकील अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर 15 दिन का समय रिपोर्ट सबमिट करने के लिए मांगा था.

समय देने पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति : वादी पक्ष की अधिवक्ता सुधीर कुमार त्रिपाठी ने बताया कि कोर्ट ने इस पर सुनवाई जैसे ही शुरू की तो आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के वकील ने अपना पक्ष रखा. हिंदू पक्ष की तरफ से तो कोई विरोध नहीं किया गया लेकिन प्रतिवादी यानी मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया. उनका कहना था कि बार-बार कोर्ट के आदेश के बाद भी रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई. बार-बार अतिरिक्त समय मांगा जा रहा है जो उचित नहीं है. ऐसे में इन्हें समय नहीं दिया जाना चाहिए हालांकि कोर्ट ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया और मौखिक रूप से एएसआई को 10 दिन के अंदर हर हाल में रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया.

सौ दिनों के सर्वे में मिले तीन सौ से ज्यादा साक्ष्य : लगभग 100 दिनों तक चल सर्वे के बाद 300 से ज्यादा साक्ष्य इकट्ठा करके इसे जिला अधिकारी वाराणसी की निगरानी में सील बंद कमरे में रखवाया गया है. कोर्ट ने 17 नवंबर को रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश टीम को दिया था. टीम इस पर काम भी कर रही थी. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कुछ तकनीकी जानकारी के साथ अन्य चीजों को शामिल किए जाने के बाद इसमें कुछ अपडेट किए जाने हैं. इसे लेकर रिपोर्ट को अभी तैयार नहीं माना जा रहा है. सबसे महत्वपूर्ण बिंदु सर्वे के दौरान लगभग एक महीने तक चले रडार सिस्टम की जांच रिपोर्ट का तैयार न होना इसकी वजह मानी जा रही है. यही वजह है कि एएसआई की टीम रिपोर्ट सबमिट करने के लिए अतिरिक्त वक्त चाह रही है.

40 सदस्यीय टीम ने किया सर्वे : 21 जुलाई को दिए गए कोर्ट के आदेश के बाद 24 जुलाई को एएसआई की टीम ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे शुरू किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद कमेटी की सुनवाई की वजह से सुप्रीम कोर्ट की तरफ से उसी दिन इस पर रोक लगा दी गई थी. बाद में हाईकोर्ट में सुनवाई पूर्ण होने के बाद 4 अगस्त से इस सर्वे की शुरुआत हुई थी. रडार तकनीक और एक्सरे सिस्टम और कार्बन डेटिंग समेत अन्य वैज्ञानिक तकनीकों से सर्वे करने वाली टीम अंदर साक्ष्य इकट्ठा कर रही थी. कानपुर और आईआईटी रुड़की की टीम भी शामिल हुई थी. लगभग 40 लोगों की टीम को डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी लीड कर रहे थे. आगरा की टीम भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वाराणसी, जयपुर और दिल्ली की टीम की महत्वपूर्ण भूमिका है. फिलहाल पिछले साल हुए कमीशन की कार्रवाई के दौरान मिली खंडित मूर्तियां धार्मिक चिन्ह आकृतियां पुष्प और घंटे की आकृतियों के अवशेष और पुरातन वक्त की मिट्टी के अलावा धार्मिक कलश और पत्थर के टुकड़ों को भी कोषागार के डबल लॉकर में रखने का काम किया गया है. इन साक्ष को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

व्यास जी के तहखाना मामले में 20 को होगी सुनवाई : वहीं एक अन्य मामले में भी आज कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई. व्यास जी के तहखाना को जिलाधिकारी वाराणसी के सुपुर्द किए जाने और नंदी के सामने बैरिकेडिंग हटाकर अंदर प्रवेश दिए जाने के संदर्भित आदेश पर सुनवाई करते हुए कोर्ट को आज इस पर अपना फैसला देना था, लेकिन इस मामले में 1991 से ज्ञानवापी मुकदमे में वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने एप्लीकेशन देकर इस मामले में पक्षकार बनते हुए उनकी बात सुने जाने के बाद ही कोई फैसला सुनाए जाने की अपील कोर्ट से की थी. इस पर कोर्ट ने आज उन्हें 1 घंटे सुना और पुनः सोमवार 20 नवंबर को उनकी बात सुनने के लिए तिथि निर्धारित की है. इसके बाद कोर्ट इस मामले में भी अपना फैसला सुनाएगा.

एएसआई सर्वे की मांग की गई थी. चार महिलाओं की अगुवाई में विष्णु शंकर जैन की तरफ से कोर्ट में अपनी दलीलों के जरिए सर्वे को बेहद जरूरी बताया था. 21 जुलाई को कोर्ट ने आदेश देकर वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दे दिया था. एएसआई ने 50 लोगों की टीम के साथ हिंदू पक्ष से आठ लोगों का मुस्लिम पक्ष से तीन लोगों के शामिल होने के आदेश भी दिए थे. वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि जो एएसआई की तरफ से 15 दिन का समय मांगा गया था, वादी गण द्वारा किसी तरह का विरोध नहीं हुआ है. अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ता की तरफ से विरोध किया गया.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी परिसर सर्वे: कोर्ट के बाहर समझौते के सवाल पर हिंदू पक्ष में दो फाड़, जानिए वजह

Last Updated : Nov 18, 2023, 5:27 PM IST
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