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यूपी में घूस लेने में अव्वल साबित हो रहे पुलिसकर्मी और लेखपाल, पकड़ने के लिए ऐसे बुना जाता है जाल - एंट्री करप्शन संगठन

उत्तर प्रदेश में जीरो टाॅलरेंस की बात जोर शोर की जा रही है, लेकिन कुछ विभागों के अफसर और कर्मचारी सरकार के दावे को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं. एंटी करप्शन संगठन और विजिलेंस के बीते वर्षों के आंकड़ों में उत्तर प्रदेश पुलिस और राजस्व विभाग के लेखपाल घूसखोरी के मामले में अव्वल साबित हुए हैं.

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Published : Jul 8, 2023, 2:43 PM IST

Updated : Jul 8, 2023, 3:48 PM IST

यूपी में एंटी करप्शन संगठन और विजिलेंस की कार्रवाई पर पूर्व डीजीपी एके जैन की राय. देखें खबर

लखनऊ : यूपी में पुलिस और लेखपाल में इस बात को लेकर होड़ लगी हुई है कि कौन कितना अधिक भ्रष्टाचारी है. यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में घूस लेने वाले सरकारी कर्मचारियों को रंगे हाथ पड़ने वाली अलग-अलग एजेंसियों के आंकड़े यही कह रहे हैं. बीते पांच वर्षों में इन एजेंसियों ने कुल 18 विभागों के कर्मचारियों को घूस लेते ट्रैप किया. जिसमें सबसे अधिक लेखपाल और पुलिस ही रही है.

एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.


बीती 13 जुलाई को लखनऊ के बीकेटी निवासी लक्ष्मीकांत से जमीनी विवाद के मामले में बीकेटी थाना में तैनात दारोगा प्रदीप सिंह 25 हजार रुपये की डिमांड कर रहा था और न देने पर जेल भेजने की धमकी दे रहा था. एंटी करप्शन संगठन से पीड़ित लक्ष्मीकांत ने शिकायत की तो जाल बिछा कर दरोगा प्रदीप सिंह को घूस लेते रंगेहाथ पकड़ा गया. 15 मई को अंबेडकरनगर में मालीपुर थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर गोइथा गांव में चकरोड की पैमाइश करने के नाम पर लेखपाल श्रीराम तीन हजार रुपये घूस किसान से मांग रहा था. अयोध्या मंडल की एंटी करप्शन टीम ने जाल बिछाकर लेखपाल को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. यह दो केस तो बानगी भर हैं. ऐसे ही न कितने पुलिसकर्मियों और लेखपाल से लोगों का राब्ता पड़ता है. इस तरह के अधिकारियों से बिना सुविधा शुल्क दिए काम करवाना टेढ़ी खीर होती है.

एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.


बीते पांच वर्षों में एंटी करप्शन संगठन और विजिलेंस की ओर से कुल 18 प्रमुख विभागों के कर्मचारियों को ट्रैप किया गया है. इसमें पुलिस, राजस्व, पंचायतीराज, कोषागार, नगर निगम, बेसिक शिक्षा, गन्ना, यूपी पावर कॉर्पोरेशन, आवास विकास, ग्रामीण अभियंत्रण, लोक निर्माण, वित्त निगम, चिकित्सा, वन विभाग, बाट एवम माप, चिट्स फंड, परिवहन विभाग और विकास प्राधिकरण शामिल है. इन वर्षों में इन सभी 18 विभागों से जुड़ी ही सबसे अधिक शिकायते एसीओ और विजिलेंस को मिली हैं.

एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
बीकेटी में पकड़ा गया दारोगा.
बीकेटी में पकड़ा गया दारोगा.
ऐसे बिछाया जाता है जाल : डीआईजी विनोद कुमार मिश्रा कहते हैं कि सभी 18 यूनिट में डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी तैनात हैं. एसपी एंटी करप्शन ऑर्गनाइजेशन के अनुमोदन के बाद डिप्टी एसपी घूस मांगने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए ट्रैप करते हैं. इसके लिए सबसे पहले शिकायत मिलने के बाद ट्रैप प्लान तैयार किया जाता है. जिसमें शिकायतकर्ता को केमिकल लगे हुए नोट दिए जाते हैं. जिसके बाद शिकायतकर्ता घूस मांगने वाले कर्मी या अधिकारी के द्वारा बुलाए गए स्थान पर पहुंचता है. यहां आसपास पहले से ही एसीओ के कर्मचारी मौजूद रहते हैं. जैसे ही घूस मांगने वाला कर्मचारी नोट पकड़ते हैं, केमिकल घूस लेने वाले के हाथों में लग जाता है. इसी दौरान घूस लेने वाले को पकड़ लिया जाता है. इसके बाद इविडेंस के लिए घूस लेने वाले के हाथ केमिकल में डाले जाते हैं तो पानी गुलाबी हो जाता है. जिसके बाद यूनिट स्थानीय थाने में ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 को धारा 7 के तहत एफआईआर दर्ज कराती है, लेकिन इसकी जांच एंटी करप्शन यूनिट के इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी करते हैं.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.



सूबे के पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि विजिलेंस, एंटी करप्शन ऑर्गेनाइजेशन, ईओडब्ल्यू जैसी संस्थाएं जो पुलिस विभाग का एक अभिन्न अंग है, इनकी बड़ी उपयोगिता सिद्ध हुई है. हालांकि भ्रष्टाचार से संबंधित कई प्रकरणों में यह एजेंसियां कार्रवाई करने में विफल भी हो रही हैं. इसके पीछे का कारण, विभिन्न विभागों द्वारा अभियोजन की स्वीकृति देने में हीलाहवाली करना है. यदि यह स्वीकृति सुगमता से उपलब्ध हो और कड़ी कार्रवाई करने व छापे के अनुमति समय से मिले तो इसके परिणाम और भी अच्छे आएंगे. एक सत्य तो है कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को डर जरूर रहता है कि कहीं एंटी करप्शन की कार्रवाई न हो जाए. ऐसे में इन एजेंसियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है.


यह भी पढ़ें : CBI का हाईकोर्ट में बयान, सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जे की जांच एक माह में पूरी कर लेंगे

यूपी में एंटी करप्शन संगठन और विजिलेंस की कार्रवाई पर पूर्व डीजीपी एके जैन की राय. देखें खबर

लखनऊ : यूपी में पुलिस और लेखपाल में इस बात को लेकर होड़ लगी हुई है कि कौन कितना अधिक भ्रष्टाचारी है. यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में घूस लेने वाले सरकारी कर्मचारियों को रंगे हाथ पड़ने वाली अलग-अलग एजेंसियों के आंकड़े यही कह रहे हैं. बीते पांच वर्षों में इन एजेंसियों ने कुल 18 विभागों के कर्मचारियों को घूस लेते ट्रैप किया. जिसमें सबसे अधिक लेखपाल और पुलिस ही रही है.

एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.


बीती 13 जुलाई को लखनऊ के बीकेटी निवासी लक्ष्मीकांत से जमीनी विवाद के मामले में बीकेटी थाना में तैनात दारोगा प्रदीप सिंह 25 हजार रुपये की डिमांड कर रहा था और न देने पर जेल भेजने की धमकी दे रहा था. एंटी करप्शन संगठन से पीड़ित लक्ष्मीकांत ने शिकायत की तो जाल बिछा कर दरोगा प्रदीप सिंह को घूस लेते रंगेहाथ पकड़ा गया. 15 मई को अंबेडकरनगर में मालीपुर थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर गोइथा गांव में चकरोड की पैमाइश करने के नाम पर लेखपाल श्रीराम तीन हजार रुपये घूस किसान से मांग रहा था. अयोध्या मंडल की एंटी करप्शन टीम ने जाल बिछाकर लेखपाल को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. यह दो केस तो बानगी भर हैं. ऐसे ही न कितने पुलिसकर्मियों और लेखपाल से लोगों का राब्ता पड़ता है. इस तरह के अधिकारियों से बिना सुविधा शुल्क दिए काम करवाना टेढ़ी खीर होती है.

एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.


बीते पांच वर्षों में एंटी करप्शन संगठन और विजिलेंस की ओर से कुल 18 प्रमुख विभागों के कर्मचारियों को ट्रैप किया गया है. इसमें पुलिस, राजस्व, पंचायतीराज, कोषागार, नगर निगम, बेसिक शिक्षा, गन्ना, यूपी पावर कॉर्पोरेशन, आवास विकास, ग्रामीण अभियंत्रण, लोक निर्माण, वित्त निगम, चिकित्सा, वन विभाग, बाट एवम माप, चिट्स फंड, परिवहन विभाग और विकास प्राधिकरण शामिल है. इन वर्षों में इन सभी 18 विभागों से जुड़ी ही सबसे अधिक शिकायते एसीओ और विजिलेंस को मिली हैं.

एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
बीकेटी में पकड़ा गया दारोगा.
बीकेटी में पकड़ा गया दारोगा.
ऐसे बिछाया जाता है जाल : डीआईजी विनोद कुमार मिश्रा कहते हैं कि सभी 18 यूनिट में डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी तैनात हैं. एसपी एंटी करप्शन ऑर्गनाइजेशन के अनुमोदन के बाद डिप्टी एसपी घूस मांगने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए ट्रैप करते हैं. इसके लिए सबसे पहले शिकायत मिलने के बाद ट्रैप प्लान तैयार किया जाता है. जिसमें शिकायतकर्ता को केमिकल लगे हुए नोट दिए जाते हैं. जिसके बाद शिकायतकर्ता घूस मांगने वाले कर्मी या अधिकारी के द्वारा बुलाए गए स्थान पर पहुंचता है. यहां आसपास पहले से ही एसीओ के कर्मचारी मौजूद रहते हैं. जैसे ही घूस मांगने वाला कर्मचारी नोट पकड़ते हैं, केमिकल घूस लेने वाले के हाथों में लग जाता है. इसी दौरान घूस लेने वाले को पकड़ लिया जाता है. इसके बाद इविडेंस के लिए घूस लेने वाले के हाथ केमिकल में डाले जाते हैं तो पानी गुलाबी हो जाता है. जिसके बाद यूनिट स्थानीय थाने में ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 को धारा 7 के तहत एफआईआर दर्ज कराती है, लेकिन इसकी जांच एंटी करप्शन यूनिट के इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी करते हैं.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.
एंटी करप्शन संगठन की कार्यशैली.



सूबे के पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि विजिलेंस, एंटी करप्शन ऑर्गेनाइजेशन, ईओडब्ल्यू जैसी संस्थाएं जो पुलिस विभाग का एक अभिन्न अंग है, इनकी बड़ी उपयोगिता सिद्ध हुई है. हालांकि भ्रष्टाचार से संबंधित कई प्रकरणों में यह एजेंसियां कार्रवाई करने में विफल भी हो रही हैं. इसके पीछे का कारण, विभिन्न विभागों द्वारा अभियोजन की स्वीकृति देने में हीलाहवाली करना है. यदि यह स्वीकृति सुगमता से उपलब्ध हो और कड़ी कार्रवाई करने व छापे के अनुमति समय से मिले तो इसके परिणाम और भी अच्छे आएंगे. एक सत्य तो है कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को डर जरूर रहता है कि कहीं एंटी करप्शन की कार्रवाई न हो जाए. ऐसे में इन एजेंसियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है.


यह भी पढ़ें : CBI का हाईकोर्ट में बयान, सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जे की जांच एक माह में पूरी कर लेंगे

Last Updated : Jul 8, 2023, 3:48 PM IST
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