लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के खंजनपुर के ढकईया गांव में शुक्रवार की रात जंगल से निकलकर एक बाघिन घर में घुस गई. इसके बाद गांव में भगदड़ मच गई. वन विभाग और पुलिस की टीम ने रात में ही गांव में डेरा डाल दिया. फिर काफी देर काम्बिंग के बाद बाघिन को ट्रेंकुलाइज किया गया.
शुक्रवार रात करीब 11 बजे गांव के एक मकान में बाघिन घुस गई. गांव के आसपास क्षेत्र में इससे पहले भी बाघिन की चहलकदमी देखी जा रही थी. एक ग्रामीण ने जब कुत्ता समझकर उसे भगाने की कोशिश की तो वह दहाड़ उठी. इस पर ग्रामीण ने शोर मचाया तो बाघिन एक झाड़ियों में चली गई. धीरे-धीरे यह सूचना पूरे गांव में फैल गई. गांव के ही नसीम और उनके साथियों ने अपने चौपहिया वाहन में बैठकर जब गांव में देखा तो उनको बाघिन शेरसिंह की झोपड़ी में चारपाई के पास दिखी. शेरसिंह पहले ही अपने भाई के पक्के मकान में बचकर जा चुका था.
झोपड़ी में कार की लाइट लगी तो बाघिन ने झोपड़ी से निकलकर कार पर हमला किया और झाड़ियों में चली गई. जिन लोगों के घर कच्चे बने थे और दरवाजे नहीं थे, उन्होंने दूसरों के पक्के घरों में सहारा लिया. इस दौरान बाघिन ने गांव में कई जानवरों पर भी हमला किया. वन विभाग की टीम को खबर दी गई. दुधवा टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू टीम गांव में पहुंच गई.
घण्टों की मशक्कत के बाद बाघिन को काबू करने के लिए ट्रैंकुलाइज करने की व्यवस्था की गई. टीम ने बाघिन को ट्रैंकुलाइज किया पर सुबह होने पर उसने दम तोड़ दिया.दुधवा के फील्ड डायरेक्टर ने कहा कि बाघिन की उम्र दो साल थी. उसके कैनाइन टूटे हुए थे. सड़क पर चलने से बाघिन के नाखून भी टूट गए थे. हम बाघिन को बचा नहीं पाए. मौत के कारणों की जांच की जा रही है.
शनिवार सुबह बाघिन का शव मिलने के बाद कई सवाल खड़े होते हैं कि आखिर मौत कैसे हुई? क्या ट्रैंकुलाइजिंग की ओवर डोज से दो साल की बाघिन की मौत हुई या किसी हमले से? डीएफओ बफरजोन सुन्दरेशा के अनुसार बाघिन की मौत के कारणों का पता किया जा रहा. उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. रिपोर्ट आने बाद ही कुछ कहा जा सकता है.