वाराणसी: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती(Shankaracharya Swami Swaroopananda) के शरीर त्यागने के बाद सोमवार को नए शंकराचार्य की घोषणा कर दी गई. वाराणसी के श्री विद्या मठ और ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ की जिम्मेदारी संभालने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर बद्रीनाथ के ज्योतिष पीठ का प्रमुख घोषित किया गया है, जबकि स्वामी सदानंद को द्वारका ज्योतिष पीठ का प्रमुख बनाया गया है. काशी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के आदेश पर बड़े-बड़े आंदोलन की रूपरेखा खींचकर उसे आगे बढ़ाने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के सबसे करीबी शिष्य माने जाते है.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती संभालेंगे श्री विद्या मठ की जिम्मेदारी
वाराणसी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का श्री विद्या मठ नाम से एक बड़ा आश्रम है. गंगा तट पर हरिश्चंद्र घाट से सटे इस आश्रम की जिम्मेदारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को दी गई है. इसके अलावा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य की तरफ से पहले से ही ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे. आज शंकराचार्य के प्रतिनिधि के तौर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के नाम की घोषणा के बाद काशी में इतना बड़ा गौरव मिलने की खुशी भी जाहिर की जा रही है.
उमाकांत पांडेय से बने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का पुराना नाम उमाकांत पांडेय था. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति में सक्रिय होते हुए उन्होंने कम उम्र में ही सन्यास ग्रहण कर लिया था और वाराणसी के श्री विद्या मठ पहुंचकर ब्रह्मचारी की शिक्षा ली थी. यहां पर उनका नाम ब्रह्मचारी आनंद स्वरूप रखा गया था, लेकिन बाद में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से उन्होंने दंडी शिक्षा ग्रहण की और उनका नाम स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती रखा गया.
गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने के लिए किया था आमरण अनशन
स्वामी स्वरूपानंद से शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह उनके सबसे करीबी शिष्यों में शामिल हो गए. यही वजह है कि जब 2008 में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गंगा सेवा अभियान की घोषणा की तो वाराणसी में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ही इस आंदोलन की पूरी रूपरेखा तैयार की और 112 दिनों तक काशी में अनवरत आमरण अनशन चलता रहा. जिसमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी अन्न जल त्याग कर जिद पकड़ ली और गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने और उसको साफ सुथरा करने की मांग लेकर आमरण अनशन पर बैठ गए.
राम मंदिर को लेकर छेड़े गए आंदोलन की तैयार की रूपरेखा
हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां स्वामी स्वरूपानंद के निर्देश पर उन्होंने अनशन खत्म किया. इसके बाद कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह समेत कई अन्य लोग उनसे मिलने पहुंचे. इसके अलावा वाराणसी में राम मंदिर को लेकर छेड़े गए आंदोलन की पूरी रूपरेखा भी हाल ही में उन्होंने ही तैयार की. हर घर स्वर्ण को लेकर आंदोलन करते हुए घर घर से सोने का कलेक्शन करके राम मंदिर निर्माण से पहले रामलला के लिए स्वर्ण मंदिर बनवाने का काम भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के सांनिध्य में ही संपन्न हुआ था.
वाराणसी में शिवलिंग पर अभिषेक करने की मांग को लेकर किया था आमरण अनशन
इसके अतिरिक्त जब वाराणसी में दो हजार अट्ठारह उन्नीस में श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण शुरू हुआ था और मंदिर तोड़े जाने के बाद का विरोध हो रहा था. उस वक्त स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती नहीं इस पूरे आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर विरोध दर्ज कराते हुए अनशन शुरू किया था. इतना ही नहीं अभी हाल ही के दिनों में ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग पर अभिषेक करने की मांग को लेकर उन्होंने एक यात्रा निकालने की घोषणा की और वहां पहुंचकर शिवलिंग पर अभिषेक करने की बात कही थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोका और उसके बाद वह आंदोलन करते हुए आमरण अनशन पर बैठ गए 3 दिन के अनशन के बाद उनकी सेहत लगातार गिरती गई. इसके बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निर्देश पर उन्होंने अनशन समाप्त कर आंदोलन जारी रखने की बात कही.
गणेश प्रतिमा विसर्जन विवाद को लेकर निकाली थी प्रतिकार यात्रा
इन आंदोलनों के अलावा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती एक वजह से और चर्चा में आए थे 2015 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गंगा में प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगाए जाने के बाद गणेश प्रतिमा विसर्जन को लेकर शुरू हुए विवाद में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्रतिकार यात्रा निकाली थी. जिसमे अखिलेश यादव की सरकार में उनपर जबरदस्त लाठीचार्ज हुआ था. जिसमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और उनके शिष्यों साथ संत समाज के लोगों को गोदौलिया चौराहे पर पुलिस ने बड़ी बेरहमी से मारा था. जिसे लेकर बाद में बड़ा मुद्दा बना, हाल ही में विधानसभा चुनावों के दौरान अखिलेश यादव ने भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से मिलकर अपनी गलती पर माफी भी मांगी थी.
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काशी में किया धर्म संसद का आयोजन
इन कार्यक्रमों के अलावा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम मंदिर समेत अन्य मामलों को लेकर काशी में धर्म संसद का भी आयोजन किया था, जिसमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को ही पूरे कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. काशी के बाद प्रयागराज कुंभ में भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से ही धर्म संसद का आयोजन हुआ था.
संत के साथ वक्ता के रूप में जाने जातें हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
फिलहाल स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को एक संत के साथ बड़े ही मुख्य वक्ता के तौर पर भी जाना जाता है. काशी में रहते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निर्देश पर सारे आंदोलन को आगे बढ़ाने का काम करते रहे हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती काशी में रहकर ही सारे धार्मिक अनुष्ठान और अन्य चीजों को भी आगे बढ़ाते रहे हैं.
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