ETV Bharat / bharat

SC ने केंद्र को हिंदू उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों में संशोधन पर विचार करने का निर्देश दिया - भूमि अधिग्रहण

सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने कहा कि वसीयत नहीं होने की स्थिति में जनजाति समुदाय की महिलाओं के पास पुरुषों के समान हक हैं. पढ़िए पूरी खबर...

supreme court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Dec 9, 2022, 9:44 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने शुक्रवार को कहा कि वसीयत नहीं होने की स्थिति में जनजाति समुदाय की महिलाओं के पास पुरुषों के समान हक हैं. न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस मामले की समीक्षा करने और हिंदू उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों में संशोधन करने पर विचार करने के लिए कहा ताकि इसे अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू किया जा सके. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जब गैर-आदिवासी की बेटी अपने पिता की संपत्ति में समान हिस्से की हकदार है, तो आदिवासी समुदायों की बेटी को इस तरह के अधिकार से वंचित करने का कोई कारण नहीं है.

हिंदू उत्तराधिकार कानून की धारा 2 (2) के मुताबिक हिंदू उत्तराधिकार कानून अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होगा. न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि उत्तरजीविता के अधिकार से वंचित करने का कोई उचित आधार नहीं है. पीठ ने केंद्र सरकार को हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत प्रदान की गई छूट को वापस लेने पर विचार करने का निर्देश दिया.

पीठ ने कहा, 'हमें उम्मीद और विश्वास है कि केंद्र सरकार इस मामले में विचार करेगी और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 और 21 के तहत प्रदान किये गये समानता के अधिकार के मद्देनजर उचित निर्णय लेगी.' पीठ ने कहा कि भारतीय संविधान के 70 साल बाद भी आदिवासी समुदाय की बेटियों को समान अधिकार नहीं मिला, इसलिए केंद्र सरकार इस मामले में विचार करे और जरूरत हो तो हिंदू उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों में संशोधन करे.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने शुक्रवार को कहा कि वसीयत नहीं होने की स्थिति में जनजाति समुदाय की महिलाओं के पास पुरुषों के समान हक हैं. न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस मामले की समीक्षा करने और हिंदू उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों में संशोधन करने पर विचार करने के लिए कहा ताकि इसे अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू किया जा सके. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जब गैर-आदिवासी की बेटी अपने पिता की संपत्ति में समान हिस्से की हकदार है, तो आदिवासी समुदायों की बेटी को इस तरह के अधिकार से वंचित करने का कोई कारण नहीं है.

हिंदू उत्तराधिकार कानून की धारा 2 (2) के मुताबिक हिंदू उत्तराधिकार कानून अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होगा. न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि उत्तरजीविता के अधिकार से वंचित करने का कोई उचित आधार नहीं है. पीठ ने केंद्र सरकार को हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत प्रदान की गई छूट को वापस लेने पर विचार करने का निर्देश दिया.

पीठ ने कहा, 'हमें उम्मीद और विश्वास है कि केंद्र सरकार इस मामले में विचार करेगी और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 और 21 के तहत प्रदान किये गये समानता के अधिकार के मद्देनजर उचित निर्णय लेगी.' पीठ ने कहा कि भारतीय संविधान के 70 साल बाद भी आदिवासी समुदाय की बेटियों को समान अधिकार नहीं मिला, इसलिए केंद्र सरकार इस मामले में विचार करे और जरूरत हो तो हिंदू उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों में संशोधन करे.

ये भी पढ़ें - मुस्लिम लड़कियों के लिए भी शादी की उम्र 18 हो, याचिका पर SC ने केंद्र को भेजा नोटिस

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.