नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह महीनेभर में बताए कि जिला स्तर पर पर्याप्त डॉक्टर कैसे उपलब्ध कराएगी. चिकित्सा सेवाओं की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि अधिकारियों के मुताबिक योग्य डॉक्टरों की कमी है, जो 'जिला स्तर पर चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता की अच्छी तस्वीर नहीं पेश करती है.'
दरअसल कोर्ट के संज्ञान में आया है कि राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से 3620 पद भरे जाने थे, लेकिन केवल 1881 डॉक्टरों का चयन किया जा सका. करीब 18 सौ पद खाली पड़े हैं. एक साल में डॉक्टर सेवानिवृत्त भी होंगे. ऐसे में स्त्री रोग विशेषज्ञ, एनेस्थेटिस्ट, बाल रोग विशेषज्ञ और सामान्य चिकित्सकों की कमी है. राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि अस्पतालों में भर्ती की जा रही है.
ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच प्रदान करने के लिए 'एम्बुलेंस एट कॉल' योजना शुरू की गई है. जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में परिवर्तित किया गया है. अस्पतालों ने उन लोगों के लिए कोटा प्रणाली शुरू की जो पहले से ही जिला अस्पतालों में विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए काम कर रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि ये उपाय लंबी अवधि के लिए ठीक हैं लेकिन तत्काल उपाय किए जाने जरूरी हैं. ठीक वैसे ही जैसे कि रिक्तियों को भरने तक सेवानिवृत्त होने वाले डॉक्टरों को बनाए रखना जरूरी हैं. कोर्ट ने सुझाव दिया कि विशेषज्ञों के लिए जिला स्तर की पोस्टिंग में इच्छुक होने के लिए पर्याप्त पारिश्रमिक की संभावना की भी जांच की जा सकती है.'