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खुदरा ऋण पूरी व्यवस्था के लिए पैदा कर सकते हैं जोखिम : आरबीआई

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार बैंकों का ग्रॉस एनपीए (GNPA) यानी फंसे कर्ज का आकार घटकर सितंबर में पांच प्रतिशत पर आ गया लेकिन मौजूदा वृहद-आर्थिक हालात बैंकों की सेहत पर असर डाल सकते हैं. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 की 'भारत में बैंकिंग के रुझान एवं प्रगति' रिपोर्ट को जारी की.

RBI report
आरबीआई प्रतिकात्मक तस्वीर.
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Published : Dec 28, 2022, 8:07 AM IST

मुंबई : बैंकों के लिए लंबे समय से फायदेमंद माने जाते रहे खुदरा ऋण पूरी प्रणाली के लिए ही जोखिम से भरपूर हो सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह कहा. हालांकि केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि पूरी प्रणाली के लिए यदि कोई जोखिम उत्पन्न होता भी है तो वह अपनी नीतियों के जरिए उससे निपटने में पूरी तरह सक्षम है. आरबीआई ने 2021-22 के लिए 'भारत में बैंकिंग रुझान और प्रगति' के बारे में कहा कि अनुभव के आधार पर मिले साक्ष्य बताते हैं कि बड़ी संख्या में खुदरा ऋण व्यक्ति विशेष या समूह विशेष को दिए जाते हैं तो इससे पूरी व्यवस्था के लिए जोखिम पैदा होता है.

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यहां बता दें कि खुदरा उधार वित्तीय क्षेत्र में व्यापक रूप से स्थापित व्यवसाय है और ऋण देने वाली संस्था के लिए महत्वपूर्ण मात्रा में लाभ अर्जित करता है. लोकप्रिय खुदरा उधार उत्पादों में व्यक्तिगत ऋण, क्रेडिट खातों की लाइन, क्रेडिट कार्ड, होम इक्विटी लाइन ऑफ क्रेडिट और बंधक शामिल हैं. आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया कि हाल के वर्षों में भारतीय बैंक एक-एक करके औद्योगिकी क्षेत्र से खुदरा ऋण का रुख कर रहे हैं और यह रुझान बैंकों के सभी समूहों में नजर आ रहा है चाहे वे बैंक राज्य के स्वामित्व वाले हों, निजी हों या फिर विदेशी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पूरी प्रणाली के लिए जोखिम बढ़ता है.

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कुछ दिनों पहले भी एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि जिस तरह पिछले वर्ष के कम आधार के कारण ऋण वृद्धि बहुत अधिक दिखती है, उसी तरह पिछले वर्षों के आधार प्रभाव की वजह से जमा वृद्धि भी काफी कम नजर आ रही है. आरबीआई द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार 2 दिसंबर तक बैंकों की ऋण वृद्धि 17.5 फीसदी रही जबकि इस दौरान जमा में 9.9 फीसदी का इजाफा हुआ. एक साल पहले इस अव​धि में ऋण वृद्धि 7.3 फीसदी और जमा वृद्धि 9.4 फीसदी थी.

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दास ने कहा था कि बीते एक साल में कुल ऋण वृद्धि 19 लाख करोड़ रुपये रही जबकि जमा वृद्धि 17.4 लाख करोड़ रुपये रही. उन्होंने कहा कि इसलिए इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए मेरा मानना है कि मौजूदा समय में ऋण वृद्धि को बेहतर कहा जा सकता है लेकिन उत्साहजनक स्तर से यह अभी काफी दूर है. दास के अनुसार वृद्धि के आंकड़े पिछले दो वर्षों में टाली गई ऋण की मांग अब बढ़ने तथा अर्थव्यवस्था के अंतर्निहित बुनियादी सिद्धांतों को दर्शाते हैं. उन्होंने कहा कि ताजा ऋण की भारित औसत उधारी दर करीब 117 आधार अंक बढ़ी है जबकि औसत जमा दर में 150 आधार अंक की बढ़ोतरी हुई है.

पढ़ें: गेम चेंजर साबित हो सकती है रिलायंस की ओर से पेश 5 करोड़ की विश्व स्तर पर वैध हेल्थ कवर

उन्होंने कहा था कि मेरा मानना है कि जमा दरों में तेजी आ रही है और इसमें थोड़ा और इजाफा हो सकता है. मुद्रास्फीति के अनुमान पर चर्चा करते हुए दास ने कहा कि अचानक आए किसी घटनाक्रम के मद्देनजर आरबीआई नियमित तौर पर कीमत का अनुमान लगाने के अपने मॉडल में सुधार करता रहता है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण से आंकड़ों के बजाय मुद्रास्फीति की दिशा और गति महत्त्वपूर्ण थी. उनके अनुसार मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति की दिशा यानी मुद्रास्फीति में तेजी या कमी की रफ्तार पर आधारित है.

वर्ष 2021-22 में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले बढ़े, राशि घटी: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई लेकिन इन मामलों में शामिल राशि एक साल पहले की तुलना में आधी से भी कम रह गई. 'भारत में बैंकों का रुझान एवं प्रगति' शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में 60,389 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़े 9,102 मामले सामने आए. वित्त वर्ष 2020-21 में ऐसे मामलों की संख्या 7,358 थी और इनमें 1.37 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी.

हालांकि उधारी गतिविधियों में धोखाधड़ी के मामलों में गिरावट का रुख देखा गया. पिछले वित्त वर्ष में ऐसे मामले घटकर 1,112 रह गए जिनमें 6,042 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी. वित्त वर्ष 2020-21 में धोखाधड़ी के 1,477 मामलों में 14,973 करोड़ रुपये संलिप्त थे. आरबीआई ने इस रिपोर्ट में कहा कि बैंक धोखाधड़ी की संख्या के संदर्भ में अब कार्ड या इंटरनेट से होने वाले लेनदेन पर ज्यादा जोर है. इसके अलावा नकदी में होने वाली धोखाधड़ी भी बढ़ रही है. इनमें एक लाख रुपये या अधिक राशि वाले धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं.

इसके साथ ही आरबीआई ने कहा कि जमा बीमा एवं क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) ने पिछले वित्त वर्ष में 8,516.6 करोड़ रुपये के दावों का निपटान किया. इसमें एक बड़ा हिस्सा अब बंद हो चुके पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के ग्राहकों का था.

पढ़ें: LIC बीमा कानून (संशोधन) विधेयक पारित होने पर समग्र लाइसेंस पर कर सकती है विचार

(इनपुट पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बैंकों के लिए लंबे समय से फायदेमंद माने जाते रहे खुदरा ऋण पूरी प्रणाली के लिए ही जोखिम से भरपूर हो सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह कहा. हालांकि केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि पूरी प्रणाली के लिए यदि कोई जोखिम उत्पन्न होता भी है तो वह अपनी नीतियों के जरिए उससे निपटने में पूरी तरह सक्षम है. आरबीआई ने 2021-22 के लिए 'भारत में बैंकिंग रुझान और प्रगति' के बारे में कहा कि अनुभव के आधार पर मिले साक्ष्य बताते हैं कि बड़ी संख्या में खुदरा ऋण व्यक्ति विशेष या समूह विशेष को दिए जाते हैं तो इससे पूरी व्यवस्था के लिए जोखिम पैदा होता है.

पढ़ें: लोन फ्रॉड मामले में सीबीआई ने धूत, कोचर परिवार से की एक साथ पूछताछ

यहां बता दें कि खुदरा उधार वित्तीय क्षेत्र में व्यापक रूप से स्थापित व्यवसाय है और ऋण देने वाली संस्था के लिए महत्वपूर्ण मात्रा में लाभ अर्जित करता है. लोकप्रिय खुदरा उधार उत्पादों में व्यक्तिगत ऋण, क्रेडिट खातों की लाइन, क्रेडिट कार्ड, होम इक्विटी लाइन ऑफ क्रेडिट और बंधक शामिल हैं. आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया कि हाल के वर्षों में भारतीय बैंक एक-एक करके औद्योगिकी क्षेत्र से खुदरा ऋण का रुख कर रहे हैं और यह रुझान बैंकों के सभी समूहों में नजर आ रहा है चाहे वे बैंक राज्य के स्वामित्व वाले हों, निजी हों या फिर विदेशी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पूरी प्रणाली के लिए जोखिम बढ़ता है.

पढ़ें: अजय सिंह को दोबारा स्पाइसजेट का निदेशक बनाने पर लगी मुहर

कुछ दिनों पहले भी एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि जिस तरह पिछले वर्ष के कम आधार के कारण ऋण वृद्धि बहुत अधिक दिखती है, उसी तरह पिछले वर्षों के आधार प्रभाव की वजह से जमा वृद्धि भी काफी कम नजर आ रही है. आरबीआई द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार 2 दिसंबर तक बैंकों की ऋण वृद्धि 17.5 फीसदी रही जबकि इस दौरान जमा में 9.9 फीसदी का इजाफा हुआ. एक साल पहले इस अव​धि में ऋण वृद्धि 7.3 फीसदी और जमा वृद्धि 9.4 फीसदी थी.

पढ़ें: दिल्ली, महाराष्ट्र नहीं बल्कि इन राज्यों में हैं सबसे ज्यादा परिवारों के पास कार

दास ने कहा था कि बीते एक साल में कुल ऋण वृद्धि 19 लाख करोड़ रुपये रही जबकि जमा वृद्धि 17.4 लाख करोड़ रुपये रही. उन्होंने कहा कि इसलिए इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए मेरा मानना है कि मौजूदा समय में ऋण वृद्धि को बेहतर कहा जा सकता है लेकिन उत्साहजनक स्तर से यह अभी काफी दूर है. दास के अनुसार वृद्धि के आंकड़े पिछले दो वर्षों में टाली गई ऋण की मांग अब बढ़ने तथा अर्थव्यवस्था के अंतर्निहित बुनियादी सिद्धांतों को दर्शाते हैं. उन्होंने कहा कि ताजा ऋण की भारित औसत उधारी दर करीब 117 आधार अंक बढ़ी है जबकि औसत जमा दर में 150 आधार अंक की बढ़ोतरी हुई है.

पढ़ें: गेम चेंजर साबित हो सकती है रिलायंस की ओर से पेश 5 करोड़ की विश्व स्तर पर वैध हेल्थ कवर

उन्होंने कहा था कि मेरा मानना है कि जमा दरों में तेजी आ रही है और इसमें थोड़ा और इजाफा हो सकता है. मुद्रास्फीति के अनुमान पर चर्चा करते हुए दास ने कहा कि अचानक आए किसी घटनाक्रम के मद्देनजर आरबीआई नियमित तौर पर कीमत का अनुमान लगाने के अपने मॉडल में सुधार करता रहता है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण से आंकड़ों के बजाय मुद्रास्फीति की दिशा और गति महत्त्वपूर्ण थी. उनके अनुसार मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति की दिशा यानी मुद्रास्फीति में तेजी या कमी की रफ्तार पर आधारित है.

वर्ष 2021-22 में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले बढ़े, राशि घटी: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई लेकिन इन मामलों में शामिल राशि एक साल पहले की तुलना में आधी से भी कम रह गई. 'भारत में बैंकों का रुझान एवं प्रगति' शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में 60,389 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़े 9,102 मामले सामने आए. वित्त वर्ष 2020-21 में ऐसे मामलों की संख्या 7,358 थी और इनमें 1.37 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी.

हालांकि उधारी गतिविधियों में धोखाधड़ी के मामलों में गिरावट का रुख देखा गया. पिछले वित्त वर्ष में ऐसे मामले घटकर 1,112 रह गए जिनमें 6,042 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी. वित्त वर्ष 2020-21 में धोखाधड़ी के 1,477 मामलों में 14,973 करोड़ रुपये संलिप्त थे. आरबीआई ने इस रिपोर्ट में कहा कि बैंक धोखाधड़ी की संख्या के संदर्भ में अब कार्ड या इंटरनेट से होने वाले लेनदेन पर ज्यादा जोर है. इसके अलावा नकदी में होने वाली धोखाधड़ी भी बढ़ रही है. इनमें एक लाख रुपये या अधिक राशि वाले धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं.

इसके साथ ही आरबीआई ने कहा कि जमा बीमा एवं क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) ने पिछले वित्त वर्ष में 8,516.6 करोड़ रुपये के दावों का निपटान किया. इसमें एक बड़ा हिस्सा अब बंद हो चुके पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के ग्राहकों का था.

पढ़ें: LIC बीमा कानून (संशोधन) विधेयक पारित होने पर समग्र लाइसेंस पर कर सकती है विचार

(इनपुट पीटीआई-भाषा)

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