नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा नगालैंड में दशकों पुरानी उग्रवाद की समस्या का अंतिम समाधान निकालने की खबरों के बीच नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-IM) का इसाक मुइवा गुट ने बृहस्पतिवार को दोहराया कि 'सहयोगियों' पर आधारित किसी भी समाधान का निष्कर्ष एक बड़ा डिजास्टर(नकारात्मक परिणाम) होगा.
ईटीवी भारत को भेजे गए एक बयान में संगठन ने कहा, 'बता दें कि इन्हीं लोगों को भारत सरकार द्वारा नगाओं के अधिकार के खिलाफ अपने हितों की रक्षा के लिए एक तीसरी ताकत/पार्टी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. हम यह दावा करते हैं कि 'सहयोगियों' के आधार पर किसी भी समाधान से केवल एक बड़े डिजास्टर का रास्ता निकलेगा. एनएससीएन 16 बिंदुओं के समझौते (2015 फ्रेमवर्क समझौते) को फिर से संपादित करने वाली ताकतों से अच्छी तरह से वाकिफ है. NSCN अन्य नगा सशस्त्र समूहों के समूह, नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों (NNPG) की बात कर रहा था. एनएससीएन के साथ 2015 में हस्ताक्षरित रूपरेखा समझौते के दौरान केंद्र सरकार ने अन्य नगा सशस्त्र समूहों को एनएनपीजी के तत्वावधान में लाने का विकल्प चुना.
संगठन ने कहा, 'यह भी बता दें कि बातचीत शुरू होने से पहले ही वे बिना किसी झिझक के भारतीय संविधान के समक्ष सरेंडर कर चुके और इसे स्वीकार कर चुके हैं. यह उस चीज के खिलाफ है जिसके लिए हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों की मौत हुई है. यह केवल एक चमकता हुआ निवाला होगा जो बाद में भारत-नगा इतिहास की भूल को दोहराने के लिए कड़वा होगा.' गौरतलब है कि अंतिम समाधान से पहले अलग ध्वज और संविधान की मांग प्रमुख रूप से जारी वार्ता के लिए बाधा बनी.
समूह एनएनपीजी द्वारा जारी हालिया बयान का जिक्र कर रहा था जिसमें कहा गया था कि समारोह के दौरान या उसके बाद कोई विरोध नहीं हुआ था (2015 फ्रेमवर्क समझौता) और जैसे-जैसे दिन हफ्तों, महीनों और वर्षों में बदल गए, फ्रेमवर्क समझौता की बेतुकी व्याख्या नगाओं के गले से उतरी जा रही है. लेकिन एक ही सच्चाई है. लोगों ने काफी देखा और सुना है. एनएनपीजी ने हाल ही में कहा, 'वर्ष 2017 में जो समझौते किये गए उस दौरान नागा जनजातियों, प्रथागत संस्थानों, चर्च और शीर्ष नागरिक समाजों द्वारा इसे समर्थन दिया गया था. वहीं, अहोम, मैतेई, कुकी और अरुणाचल प्रदेश के आदिवासी नेताओं से परामर्श किया गया था.'
घटनाक्रम से वाकिफ नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने पिछले महीने सभी संबंधितों से एक साथ आने और नगा शांति वार्ता को सुलझाने का आग्रह किया था. रियो ने कहा, ' भारत सरकार और एनएससीएन के बीच फ्रेमवर्क समझौते पर 3 अगस्त, 2015 को हस्ताक्षर किए गए थे. और 17 नवंबर, 2017 को भारत सरकार और नागा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों (एनएनपीजी) के बीच सहमत स्थिति पर हस्ताक्षर किए गए थे. दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य एक सौहार्दपूर्ण समाधान वार्ता 31 अक्टूबर, 2019 को संपन्न हुई.'
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समूह ने नागा शांति वार्ता के लिए केंद्र सरकार के प्रतिनिधि आरएन रवि पर 2015 में हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क समझौते को फिर से संपादित करने का आरोप लगाया. तमिलनाडु के मौजूदा राज्यपाल रवि को नगा शांति वार्ता को हल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुना था. NSCN-IM ने दशकों के विद्रोह के बाद 1997 में भारत सरकार के साथ युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए.