भोपाल। विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में सरकार ने लिखित उत्तर दिया है कि आउट सोर्सिंग के जरिए शासन के विभिन्न विभागों में काम कर रहे कम्प्यूटर ऑपरेटर जो सहायक ग्रेड तीन पर काम कर रहे हैं, उन्हें सरकार 29 हजार 572 रुपए मासिक वेतन दे रही है. लेकिन हैरत की बात ये है कि इसी पद पर कटनी के बरही में काम कर रहे सहायक ग्रेड तीन के पंकज चतुर्वेदी तो इसका आधा वेतन भी नहीं पा रहे. पंकज के अकाउंट में वेतन के नाम पर राशि पहुंचती है नौ हजार आठ सौ 81 रुपए.
आउट सोर्स कर्मचारी, कहां क्या गड़बड़ी : आउट सोर्स कर्मचारी सरकार के सिस्टम में उस हैसियत में हैं कि जिनके बिना सरकार का काम भी नहीं चलना, लेकिन वो सरकार की ऐसी रीढ़ भी नहीं कहलाते कि कम से कम वो नाइंसाफी से बचा लिये जाएं. हैरत की बात ये है कि ऑनलाईन हो रहे सरकारी विभागों की कमान हाथों में लिए ये आउट सोर्स कर्मचारी भले ग्रेड – थ्री की पोजीशन पर काम कर रहे हों, लेकिन सरकार इन्हें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही मान रही है. कटनी में आउट सोर्स कम्प्यूटर ऑपरेटर पंकज चतुर्वेदी का पद सहायक ग्रेड तीन है लेकिन वे कहते हैं कि वेतन तो उन्हें कलेक्टर रेट से ही मिलता है. नौ हजार आठ सौ 81 रुपए. वे कहते हैं "एक तो 2009 के बाद से एमपी में सरकार ने कलेक्टर रेट रिवाइज़ ही नहीं किए. दूसरा संविदा सहायक ग्रेड थ्री पर हम काम भले कर रहे हों सरकार हमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी में ही रखे हुए है." इन्हीं की तरह हैं मानू धुर्वे स्वास्थ्य विभाग में संजीवनी क्लीनिक छिंदवाड़ा में 2019 से कार्यरत हैं, लेकिन मासिक वेतन वही सात और आठ हजार के आस पास. [MP outsource Employees salary Froud]
विधानसभा जो बताया वो वेतन चौंकाने वाला : विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन की जानकारी तालिका के अनुसार दी है. इस तालिका के अनुसार कार्यालय सहायक ग्रेड-3 को 29 हजार 572 रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है. कशुल कम्पूयटर ऑपरेटर को 28 हजार तीन सौ पचपन रुपए मासिक वेतन है, आईडी सलाहकार मैनेजर को 38 हज़ार 556 रुपए मासिक वेतन के रूप में दिए जा रहे हैं. डाटा एंट्री ऑपरेटर का वेतन 15 हजार 727 रुपए है और वाहन चालक का 15 हजार पांच सौ सत्यासी रुपए मासिक वेतन है.
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वेतन की चोरी एजेंसी अधिकारियों की मिलीभगत: मध्यप्रदेश कांग्रेस आउटसोर्स एवं संविदा कर्मचारी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा के मुताबिक आउटसोर्सकर्मियों के वेतन में 15 हजार तक की चोरी एजेंसियां और अधिकारियों की मिलीभगत से हो रही हैं, सरकार ने कंप्यूटर आपरेटर के वेतन के बारे में बताया है कि 28,355 रूपए महीना मिल रहा है, लेकिन मिल रहा है 5 से 12 हजार तक. लोकसेवा केंद्रों, सहकारिता, स्वास्थ्य विभाग आदि में 5 हजार तक ही वेतन मिल पा रहा है. मध्य प्रदेश कांग्रेस आउटसोर्स एवं संविदा कर्मचारी प्रकोष्ठ अस्थाई कर्मचारियों के आर्थिक हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसके तहत प्रदेश भर में धरने प्रदर्शन जारी हैं, भाजपा सरकार द्वारा आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारियों के साथ किए जा रहे अन्याय को समाप्त कराने के लिए 18 दिसंबर को प्रदेशभर के हजारों आउटसोर्स कर्मचारी भोपाल में हल्लाबोल आंदोलन करेंगे.[MP outsource Employees Salary Mismatch]