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मौलाना तौकीर रजा : बनेंगे कांग्रेस के 'संकटमोचक' या 'परेशानी का सबब', हिंदू विरोधी छवि

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए कांग्रेस ने विवादास्पद मौलाना तौकीर रजा का समर्थन लिया है. रजा ने कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार करने का भरोसा दिया है. हालांकि, प्रदेश में उनकी छवि हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान देने की रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कहीं कांग्रेस 'रिस्क' तो नहीं ले रही है. कांग्रेस के कुछ नेताओं ने रजा के समर्थन पर आपत्ति भी जताई है. पढ़िए एक रिपोर्ट.

maulana tauqeer raza
मौलाना तौकीर रजा
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Published : Jan 19, 2022, 5:51 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 32 साल से कांग्रेस की सरकार नहीं है, लेकिन इसके लिए पार्टी के नेता मेहनत जरूर कर रहे हैं. इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है. रजा हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयानों के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या हिंदुओं का समर्थन कांग्रेस को मिलेगा ? क्या वाकई तौकीर रजा मुसलमानों को कांग्रेस के वोटबैंक में जोड़ पाएंगे ? क्या वो यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के लिए संकटमोचक बनंगे या फिर पार्टी के लिए कोई बड़ा संकट खड़ा कर देंगे.

मौलाना तौकीर रजा की छवि हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान देने की रही है. बात-बात पर फतवा जारी करते हैं. सभी पार्टियों पर विवादित टिप्पणी करते हैं. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भी नहीं बख्शते हैं. सोमवार को मौलाना तौकीर रजा ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया था. अभी वो प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से काफी प्रभावित दिख रहे हैं. हालांकि पहले वो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तारीफ करते नहीं थकते थे.

इस बार वो अखिलेश से खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि अखिलेश सरकार के दौरान 176 दंगे हुए थे. इसमें मुस्लिम प्रभावित हुए और अखिलेश ने कुछ नहीं किया. उन्होंने दंगा विरोधी कानून तक नहीं बनाया. इसके बावजूद वो इस बार भी चुनाव से पहले मुलाकात करने अखिलेश यादव से ही गए थे. उन्होने समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन अखिलेश ने टरका दिया. इसके बाद वो बहुजन समाज पार्टी के संपर्क में भी रहे, लेकिन यहां भी उनकी दाल नहीं गली.

आखिर में वह कांग्रेस के दरवाजे पर दस्तक देने पहुंचे. प्रियंका गांधी से मिले. अपनी बात रखी. प्रियंका ने भरोसा दिया कि कांग्रेस की सरकार बनने पर हम दंगा विरोधी कानून लाएंगे. फिर क्या पल भर में ही मौलाना तौकीर कांग्रेस के हो गए. मौलाना के कांग्रेस ज्वाइन करने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी कम है, नाराजगी ज्यादा है. पार्टी के साथ जुड़े हिंदू कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का मानना है कि मौलाना मुसलमानों के वोट तो कांग्रेस को दिलवा नहीं पाएंगे. हां, उनके भड़काऊ बयान हिंदू मतदाताओं को जरूर कांग्रेस पार्टी से दूर कर देंगे. मौलाना की वजह से कांग्रेस पार्टी की छवि सुधारने के बजाय और धूमिल हो सकती है. कांग्रेस नेता प्रियंका के सामने इस फैसले का विरोध करने से बच रहे हैं.

मौलाना तौकीर रजा कभी प्रधानमंत्री को 'आतंकवादी' बताते हैं, तो कभी साधु-संतों पर 'अभद्र' टिप्पणी करते हैं. वो बयानों से मुसलमान नौजवानों को हिंदुओं के खिलाफ भड़काने का भी कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. मौलाना ने कहा था कि मैं हिंदू समाज को कहना चाहता हूं कि जिस दिन हमारे नौजवानों ने कानून अपने हाथ में ले लिया, जिस दिन वे बेकाबू हो जाएंगे, तुम्हें हिंदुस्तान में कहीं पनाह नहीं मिलेगी. हिंदुस्तान का नक्शा हमेशा के लिए बदल जाएगा.

उन्होंने कहा था कि मैं जनसंख्या कानून का स्वागत करता हूं. असल में ये कानून हिंदुओं के खिलाफ है. उनके ज्यादा बच्चे होते हैं. उन्हें सरकारी योजनाओं से वंचित रखने के लिए कानून लाया गया है. रावण ने संत का रूप रखकर सीता का हरण किया था. आज ये साधु भी उसी रावण के वंशज हैं. उसी के पैरोकार हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि 2009 में हम कांग्रेस के साथ थे. कांग्रेस को जिताया. उस वक्त हमने मंच से बात कही थी कि कांग्रेस को मुसलमानों ने पैरोल पर छोड़ा है. अगर आपका काम आगे ठीक रहेगा, तो आपके बारे में आगे सोचा जाएगा. बाटला हाउस एनकाउंटर की जांच फिर भी नहीं कराई. ये ठीक नहीं किया.

स्वयं को धर्मगुरु बताने वाले तौकीर रजा ने 2001 में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल की स्थापना की थी. मौलाना ने 2009 में कांग्रेस को, 2012 में समाजवादी पार्टी को और 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी को समर्थन दिया था. अब 2022 के विधानसभा चुनाव में मौलाना कांग्रेस का हाथ पकड़कर सरकार बनाने का रास्ता खोज रहे हैं. अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहने वाले मौलाना तौकीर रजा पर कई केस भी दर्ज हुए. साल 2010 के बरेली दंगों में तो उनकी गिरफ्तारी तक हो गई थी. ऐसे में उनका हर विवादित भाषण एक बार फिर चर्चा में आ गया है, जो कांग्रेस पार्टी के लिए सत्ता की राह आसान करने के बजाय और भी मुश्किल कर सकता है.

कैसी छवि रही है मौलाना तौकीर रजा की, देखें

उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की स्थिति की अगर बात की जाए तो तकरीबन 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं और प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से करीब 140 सीटों पर नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. 2017 में जब भारतीय जनता पार्टी की लहर चली थी, तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुआ था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उन्हें राज्य के 80 फीसदी लोगों का समर्थन है. अब कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों ने मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का भी खेल शुरू कर दिया है. मौलाना तौकीर रजा उसी खेल का एक हिस्सा हैं. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि मौलाना तौकीर रजा ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का एलान किया है. निश्चित तौर पर कांग्रेस पार्टी को उनके समर्थन से काफी ताकत मिलेगी. भारतीय जनता पार्टी डूब रही है. भाजपा वोट का ध्रुवीकरण करना चाहती है.

ये भी पढ़ें : UP Assembly Election : भाजपा, अपना दल और निषाद पार्टी के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बनी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 32 साल से कांग्रेस की सरकार नहीं है, लेकिन इसके लिए पार्टी के नेता मेहनत जरूर कर रहे हैं. इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है. रजा हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयानों के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या हिंदुओं का समर्थन कांग्रेस को मिलेगा ? क्या वाकई तौकीर रजा मुसलमानों को कांग्रेस के वोटबैंक में जोड़ पाएंगे ? क्या वो यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के लिए संकटमोचक बनंगे या फिर पार्टी के लिए कोई बड़ा संकट खड़ा कर देंगे.

मौलाना तौकीर रजा की छवि हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान देने की रही है. बात-बात पर फतवा जारी करते हैं. सभी पार्टियों पर विवादित टिप्पणी करते हैं. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भी नहीं बख्शते हैं. सोमवार को मौलाना तौकीर रजा ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया था. अभी वो प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से काफी प्रभावित दिख रहे हैं. हालांकि पहले वो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तारीफ करते नहीं थकते थे.

इस बार वो अखिलेश से खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि अखिलेश सरकार के दौरान 176 दंगे हुए थे. इसमें मुस्लिम प्रभावित हुए और अखिलेश ने कुछ नहीं किया. उन्होंने दंगा विरोधी कानून तक नहीं बनाया. इसके बावजूद वो इस बार भी चुनाव से पहले मुलाकात करने अखिलेश यादव से ही गए थे. उन्होने समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन अखिलेश ने टरका दिया. इसके बाद वो बहुजन समाज पार्टी के संपर्क में भी रहे, लेकिन यहां भी उनकी दाल नहीं गली.

आखिर में वह कांग्रेस के दरवाजे पर दस्तक देने पहुंचे. प्रियंका गांधी से मिले. अपनी बात रखी. प्रियंका ने भरोसा दिया कि कांग्रेस की सरकार बनने पर हम दंगा विरोधी कानून लाएंगे. फिर क्या पल भर में ही मौलाना तौकीर कांग्रेस के हो गए. मौलाना के कांग्रेस ज्वाइन करने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी कम है, नाराजगी ज्यादा है. पार्टी के साथ जुड़े हिंदू कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का मानना है कि मौलाना मुसलमानों के वोट तो कांग्रेस को दिलवा नहीं पाएंगे. हां, उनके भड़काऊ बयान हिंदू मतदाताओं को जरूर कांग्रेस पार्टी से दूर कर देंगे. मौलाना की वजह से कांग्रेस पार्टी की छवि सुधारने के बजाय और धूमिल हो सकती है. कांग्रेस नेता प्रियंका के सामने इस फैसले का विरोध करने से बच रहे हैं.

मौलाना तौकीर रजा कभी प्रधानमंत्री को 'आतंकवादी' बताते हैं, तो कभी साधु-संतों पर 'अभद्र' टिप्पणी करते हैं. वो बयानों से मुसलमान नौजवानों को हिंदुओं के खिलाफ भड़काने का भी कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. मौलाना ने कहा था कि मैं हिंदू समाज को कहना चाहता हूं कि जिस दिन हमारे नौजवानों ने कानून अपने हाथ में ले लिया, जिस दिन वे बेकाबू हो जाएंगे, तुम्हें हिंदुस्तान में कहीं पनाह नहीं मिलेगी. हिंदुस्तान का नक्शा हमेशा के लिए बदल जाएगा.

उन्होंने कहा था कि मैं जनसंख्या कानून का स्वागत करता हूं. असल में ये कानून हिंदुओं के खिलाफ है. उनके ज्यादा बच्चे होते हैं. उन्हें सरकारी योजनाओं से वंचित रखने के लिए कानून लाया गया है. रावण ने संत का रूप रखकर सीता का हरण किया था. आज ये साधु भी उसी रावण के वंशज हैं. उसी के पैरोकार हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि 2009 में हम कांग्रेस के साथ थे. कांग्रेस को जिताया. उस वक्त हमने मंच से बात कही थी कि कांग्रेस को मुसलमानों ने पैरोल पर छोड़ा है. अगर आपका काम आगे ठीक रहेगा, तो आपके बारे में आगे सोचा जाएगा. बाटला हाउस एनकाउंटर की जांच फिर भी नहीं कराई. ये ठीक नहीं किया.

स्वयं को धर्मगुरु बताने वाले तौकीर रजा ने 2001 में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल की स्थापना की थी. मौलाना ने 2009 में कांग्रेस को, 2012 में समाजवादी पार्टी को और 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी को समर्थन दिया था. अब 2022 के विधानसभा चुनाव में मौलाना कांग्रेस का हाथ पकड़कर सरकार बनाने का रास्ता खोज रहे हैं. अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहने वाले मौलाना तौकीर रजा पर कई केस भी दर्ज हुए. साल 2010 के बरेली दंगों में तो उनकी गिरफ्तारी तक हो गई थी. ऐसे में उनका हर विवादित भाषण एक बार फिर चर्चा में आ गया है, जो कांग्रेस पार्टी के लिए सत्ता की राह आसान करने के बजाय और भी मुश्किल कर सकता है.

कैसी छवि रही है मौलाना तौकीर रजा की, देखें

उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की स्थिति की अगर बात की जाए तो तकरीबन 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं और प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से करीब 140 सीटों पर नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. 2017 में जब भारतीय जनता पार्टी की लहर चली थी, तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुआ था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उन्हें राज्य के 80 फीसदी लोगों का समर्थन है. अब कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों ने मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का भी खेल शुरू कर दिया है. मौलाना तौकीर रजा उसी खेल का एक हिस्सा हैं. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि मौलाना तौकीर रजा ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का एलान किया है. निश्चित तौर पर कांग्रेस पार्टी को उनके समर्थन से काफी ताकत मिलेगी. भारतीय जनता पार्टी डूब रही है. भाजपा वोट का ध्रुवीकरण करना चाहती है.

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