मैसूर: एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर समेत तीन लोगों के खिलाफ कर्तव्य में कोताही बरतने के मामले में शिकायत दर्ज की गई है. मामला 12 साल के बच्चे को भर्ती न करने का है. कर्तव्य में कोताही बरतने के मामले में एक न्यायाधीश ने शिकायत दी थी.
मैसूर की प्रथम अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एजे शिल्पा द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर मैसूर के चेलुवम्बा अस्पताल की डॉक्टर डॉ. चैत्रा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
ये है मामला : कोडागु स्थित एक दंपति की 12 वर्षीय बेटी को सांस लेने में दिक्कत थी. इसलिए, वे 26 अक्टूबर की रात को अपनी बेटी को चेलुवम्बा अस्पताल ले गए. दंपति कोडागु के रहने वाले हैं और जज शिल्पा के गृहनगर से हैं. उनके अनुरोध पर 26 अक्टूबर की रात जज शिल्पा खुद चेलुवम्बा अस्पताल पहुंचीं और डॉक्टरों से लड़की को भर्ती करने के लिए कहा.
लेकिन रात की पाली में काम करने वाली डॉक्टर चैत्रा ने कहा कि यहां कोई बेड उपलब्ध नहीं है, इसलिए उन्हें एक निजी अस्पताल में भेजा गया. माता-पिता बच्चे को लेकर निजी अस्पताल में भर्ती कराने गए. निजी अस्पताल में दंपति से कहा गया कि प्रतिदिन 25,000 से 30,000 रुपये खर्च होंगे.
फिर उस रात लड़की को फिर से सरकारी अस्पताल लाया गया और जज ने दंपति की ओर से कुछ घंटों तक लड़ाई लड़ी. आख़िरकार वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया. 4 नवंबर को अप्रभावी उपचार के कारण 12 वर्षीय लड़की की मृत्यु हो गई.
इस संबंध में जज शिल्पा ने देवराज पुलिस थाने और लोकायुक्त से शिकायत की है कि ड्यूटी पर तैनात डॉ. चैत्रा ने समय पर इलाज नहीं कर लापरवाही बरती. लॉ एंड ऑर्डर डीसीपी मुथुराज ने ईटीवी भारत को बताया कि शिकायत में एक डॉक्टर समेत तीन लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया गया है.