श्रीनगर : जम्मू और कश्मीर में भारत में सबसे कम बाल विवाह होते हैं. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, गोवा और नगालैंड में 7 फीसदी और केरल तथा पुडुचेरी में यह आंकड़ा 8 फीसदी है. यह जानकारी नेशनल फैमिली हेल्थ के एक नए सर्वेक्षण में सामने आई है. सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, देश में 6 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की कानून द्वारा निर्धारित उम्र से पहले कर दी जाती है.
इनमें आंध्र प्रदेश में 33%,असम में 32%, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में 28%, तेलंगाना में 27% के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्रत्येक में 25% है. इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ अब लड़कों के समान ही लड़कियों के भविष्य पर भी ध्यान दिया जा रहा है. वहीं माता-पिता अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ भविष्य के लिए पर्याप्त अवसर भी देते हैं ताकि उन्हें आगे जाकर कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.
भारत में 18-29 आयु वर्ग की लगभग 25 फीसदी महिलाओं की शादी विवाह की न्यूनतम कानूनी आयु 18 वर्ष से पहले हो जाती है. हालांकि इससे पहले कश्मीर में भी बाल विवाह बड़े पैमाने पर होता था. लेकिन अब लाडली बेटी, हौसला जैसी कई सरकारी योजनाएं महिलाओं को सशक्त बना रही हैं. वहीं कानून प्रवर्तन एजेंसियां भी बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 को केंद्र शासित प्रदेश में सख्ती से लागू कर रही हैं.
इस संबंध में फिजा फिरदौस एडवोकेट का कहना है कि सार्वभौमिक शिक्षा और महिला सशक्तिकरण और कम उम्र में शादी के खिलाफ सख्त कानूनों ने भी बाल विवाह को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि लाडली बेटी, हुसला और अन्य सरकारी योजनाएं भी मददगार रहीं. वहीं एक दूसरा पहलू यह भी है कि वर्तमान में हमारे समाज में हजारों लड़कियां शादी की उम्र की दहलीज पार कर चुकी हैं लेकिन दहेज, रीति-रिवाजों और अन्य सामाजिक नवाचारों की वजह से वह बता नहीं पा रही हैं. एक अनुमान के मुताबिक, 50,000 से ज्यादा कश्मीरी महिलाएं शादी की उम्र पार करने के बाद भी वर नहीं ढूंढ पाई हैं. कानून के मुताबिक देश में महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल है, जबकि पुरुष 21 साल की उम्र से शादी कर सकते हैं.
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