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वैध रजिस्ट्रेशन के बिना वाहन चलाने पर रद्द किया जा सकता का बीमा का दावा : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई वाहन वैध रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) के बिना उपयोग/चालित किया जाता है तो इंश्योरेंस क्लेम ( बीमा दावा) खारिज किया जा सकता है, क्योंकि यह बीमा के अनुबंध के नियमों और शर्तों का मौलिक उल्लंघन होगा.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 30, 2021, 7:54 PM IST

Updated : Sep 30, 2021, 9:32 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अस्थायी पंजीकरण वाली कार की चोरी के दावे को खारिज करते हुए कहा कि अगर वाहन का वैध पंजीकरण नहीं है तो बीमा दावे से इनकार किया जा सकता है. न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर पॉलिसी के नियमों और शर्तों का मौलिक उल्लंघन होता है तो बीमा राशि का दावा खारिज करने योग्य है.

न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा, ‘‘कानून के बारे में इस अदालत का मानना है कि जब एक बीमा योग्य घटना जिसके परिणामस्वरूप देयता हो सकती है, उसमें बीमा अनुबंध में निहित शर्तों का कोई मौलिक उल्लंघन नहीं होना चाहिए.

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के एक आदेश को चुनौती देने वाली यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की गईं, जिसने कंपनी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था. पुनर्विचार याचिका में कंपनी ने राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, सर्किट बेंच, बीकानेर के आदेश को चुनौती दी थी.

मामले के अनुसार, राजस्थान निवासी सुशील कुमार गोदारा ने पंजाब में कहीं, अपनी बोलेरो कार के लिए बीमाकर्ता से एक बीमा पॉलिसी प्राप्त की, हालांकि, वह राजस्थान के श्रीगंगानगर का निवासी था.

जिस वाहन की बीमा राशि 6.17 लाख थी, उसका अस्थायी पंजीकरण 19 जुलाई 2011 को समाप्त हो गया था. चूंकि शिकायतकर्ता एक निजी ठेकेदार था, व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उसे शहर से बाहर रहना पड़ता था.

28 जुलाई 2011 को शिकायतकर्ता व्यवसाय के सिलसिले में जोधपुर गया और रात में एक गेस्ट हाउस में रुका, जहां उसका वाहन परिसर के बाहर खड़ा था. सुबह उसने देखा कि कार चोरी हो गई है.

उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 379 (चोरी) के तहत आरोप लगाते हुए जोधपुर में एक प्राथमिकी दर्ज कराई. हालांकि, 30 नवंबर, 2011 को पुलिस ने एक अंतिम रिपोर्ट दर्ज की थी जिसमें कहा गया था कि वाहन का पता नहीं चल पाया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि चोरी के दिन वाहन को वैध पंजीकरण के बिना चलाया/उपयोग किया गया था, जो मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 39 और 192 का स्पष्ट उल्लंघन है.

न्यायालय ने कहा कि इससे पॉलिसी के मौलिक नियमों और शर्तों का उल्लंघन होता है, जिससे बीमाकर्ता पॉलिसी को अस्वीकार करने का अधिकार देता है.

यह भी पढ़ें- पुणे गैंगरेप : सजा बरकरार, HC ने पीड़िता से आपत्तिजनक सवालों पर जताई नाराजगी

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अस्थायी पंजीकरण वाली कार की चोरी के दावे को खारिज करते हुए कहा कि अगर वाहन का वैध पंजीकरण नहीं है तो बीमा दावे से इनकार किया जा सकता है. न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर पॉलिसी के नियमों और शर्तों का मौलिक उल्लंघन होता है तो बीमा राशि का दावा खारिज करने योग्य है.

न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा, ‘‘कानून के बारे में इस अदालत का मानना है कि जब एक बीमा योग्य घटना जिसके परिणामस्वरूप देयता हो सकती है, उसमें बीमा अनुबंध में निहित शर्तों का कोई मौलिक उल्लंघन नहीं होना चाहिए.

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के एक आदेश को चुनौती देने वाली यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की गईं, जिसने कंपनी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था. पुनर्विचार याचिका में कंपनी ने राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, सर्किट बेंच, बीकानेर के आदेश को चुनौती दी थी.

मामले के अनुसार, राजस्थान निवासी सुशील कुमार गोदारा ने पंजाब में कहीं, अपनी बोलेरो कार के लिए बीमाकर्ता से एक बीमा पॉलिसी प्राप्त की, हालांकि, वह राजस्थान के श्रीगंगानगर का निवासी था.

जिस वाहन की बीमा राशि 6.17 लाख थी, उसका अस्थायी पंजीकरण 19 जुलाई 2011 को समाप्त हो गया था. चूंकि शिकायतकर्ता एक निजी ठेकेदार था, व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उसे शहर से बाहर रहना पड़ता था.

28 जुलाई 2011 को शिकायतकर्ता व्यवसाय के सिलसिले में जोधपुर गया और रात में एक गेस्ट हाउस में रुका, जहां उसका वाहन परिसर के बाहर खड़ा था. सुबह उसने देखा कि कार चोरी हो गई है.

उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 379 (चोरी) के तहत आरोप लगाते हुए जोधपुर में एक प्राथमिकी दर्ज कराई. हालांकि, 30 नवंबर, 2011 को पुलिस ने एक अंतिम रिपोर्ट दर्ज की थी जिसमें कहा गया था कि वाहन का पता नहीं चल पाया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि चोरी के दिन वाहन को वैध पंजीकरण के बिना चलाया/उपयोग किया गया था, जो मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 39 और 192 का स्पष्ट उल्लंघन है.

न्यायालय ने कहा कि इससे पॉलिसी के मौलिक नियमों और शर्तों का उल्लंघन होता है, जिससे बीमाकर्ता पॉलिसी को अस्वीकार करने का अधिकार देता है.

यह भी पढ़ें- पुणे गैंगरेप : सजा बरकरार, HC ने पीड़िता से आपत्तिजनक सवालों पर जताई नाराजगी

Last Updated : Sep 30, 2021, 9:32 PM IST
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