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पैंगोंग इलाके से तीन चरणों में वापस होंगी भारत-चीन की सेनाएं

भारत-चीन सीमा तनाव को लेकर एक अहम घटनाक्रम सामने आया है, जिससे विवाद जल्द ही हल किया जा सकता है, क्योंकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख सेक्टर के कुछ हिस्सों में विघटन पर सहमति बनी है.

पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र
पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र
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Published : Nov 11, 2020, 2:50 PM IST

नई दिल्ली : भारत और चीन की सेनाएं साल 2021 की शुरुआत या अप्रैल-मई में तय की गई समय सीमा से पहले अपने-अपने मोर्चे पर वापस लौट जाएंगी. सैन्य सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई के सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है.

दरअसल, 6 नवंबर को चुशूल में हुई 8वीं कमांडर-स्तरीय वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच विघटन योजना पर चर्चा की गई थी.

एएनआई ने सैन्य सूत्रों के हवाले से विघटन की योजना की जानकारी दी है. इसमें बताया गया है कि पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में वार्ता से एक सप्ताह की अवधि में तीन चरणों में यह योजना लागू की जानी है.

विघटन योजना के अनुसार, सीमा पर तैनात टैंक और बख्तरबंद कर्मियों के वाहक और बख्तरबंद वाहनों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से एक महत्वपूर्ण दूरी तक वापस लौटना है. इस बात के लिए दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है.

गौरतलब है कि दोनों सेनाओं के बीच हुई चर्चाओं के अनुसार, एक दिन के भीतर टैंक और बख्तरबंद कर्मियों के विघटन को अंजाम दिया जाना था. वार्ता 6 नवंबर को हुई थी जिसमें विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव और सैन्य संचालन महानिदेशालय के ब्रिगेडियर घई ने हिस्सा लिया था.

नई दिल्ली : भारत और चीन की सेनाएं साल 2021 की शुरुआत या अप्रैल-मई में तय की गई समय सीमा से पहले अपने-अपने मोर्चे पर वापस लौट जाएंगी. सैन्य सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई के सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है.

दरअसल, 6 नवंबर को चुशूल में हुई 8वीं कमांडर-स्तरीय वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच विघटन योजना पर चर्चा की गई थी.

एएनआई ने सैन्य सूत्रों के हवाले से विघटन की योजना की जानकारी दी है. इसमें बताया गया है कि पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में वार्ता से एक सप्ताह की अवधि में तीन चरणों में यह योजना लागू की जानी है.

विघटन योजना के अनुसार, सीमा पर तैनात टैंक और बख्तरबंद कर्मियों के वाहक और बख्तरबंद वाहनों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से एक महत्वपूर्ण दूरी तक वापस लौटना है. इस बात के लिए दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है.

गौरतलब है कि दोनों सेनाओं के बीच हुई चर्चाओं के अनुसार, एक दिन के भीतर टैंक और बख्तरबंद कर्मियों के विघटन को अंजाम दिया जाना था. वार्ता 6 नवंबर को हुई थी जिसमें विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव और सैन्य संचालन महानिदेशालय के ब्रिगेडियर घई ने हिस्सा लिया था.

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