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हैदरपोरा मुठभेड़ : कोर्ट के आदेश के बाद भी परिवार को बेटे का शव मिलने का इंतजार

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने 27 मई को आमिर माग्रे का शव कब्र से निकालने तथा अंतिम संस्कार के लिए उसके परिवार को सौंपने का आदेश दिया था. आमिर माग्रे उन चार लोगों में से एक था, जो 15 नवंबर 2021 को श्रीनगर के बाहरी इलाके में हैदरपोरा में मारे गए थे. पुलिस ने दावा किया था कि ये सभी आतंकवादी थे और उनका शव उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में दफना दिया गया था.

Amir Magre
हैदरपोरा मुठभेड़
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Published : May 29, 2022, 9:14 PM IST

Updated : May 29, 2022, 9:50 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए आमिर माग्रे का शव अभी तक उनके परिवार को नहीं सौंपा गया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए आमिर माग्रे के पिता लतीफ माग्रे ने मांग की कि अदालत के आदेश के अनुसार उनके बेटे का शव जल्द से जल्द उन्हें सौंपा जाए. साथ ही उन्होंने इस मामले में दोषी अधिकारियों को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की मांग की.

आमिर माग्रे के परिवार को बेटे का शव मिलने का इंतजार

लतीफ माग्रे ने हाई कोर्ट के फैसले की सराहना की और अदालत, उनके वकील और अन्य लोगों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि फिलहाल हमने केवल शव की वापसी के लिए मामला दर्ज कराया था, शव मिलने के बाद भी दोषियों को सजा दिलाने को लेकर हमारी लड़ाई जारी रहेगी. लतीफ ने कहा कि उपराज्यपाल ने इस मामले में जांच के लिए एक कमेटी बनाने की बात कही थी, लेकिन जब हमें मामले में कोई प्रगति नहीं दिखी तो हमें हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा.

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई को समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए शुक्रवार (27 मई) को आमिर माग्रे का शव कब्र से निकालने तथा अंतिम संस्कार के लिए उसके परिवार को सौंपने का आदेश दिया था. आमिर माग्रे उन चार लोगों में से एक था, जो 15 नवंबर 2021 को श्रीनगर के बाहरी इलाके में हैदरपोरा में मारे गए थे. पुलिस ने दावा किया था कि ये सभी आतंकवादी थे और उनका शव उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में दफना दिया गया था.

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 2020 में फैसला किया था कि वह 'आतंकवादियों' के शव उनके परिवार के सदस्यों को नहीं सौंपेगी और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति से बचने के लिए अलग स्थानों पर उनका शव दफनाएगी. हालांकि, मुठभेड़ की प्रमाणिकता को लेकर जन आक्रोश के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन दबाव में आया और उसने अल्ताफ अहमद भट तथा डॉ. मुदासिर गुल के शव कब्र से निकाले तथा उनके परिवार के सदस्यों को सौंपे. मुठभेड़ के बारे में पुलिस के दावों पर सवाल उठाए जाने के बीच जम्मू कश्मीर सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था.

यह भी पढ़ें- हैदरपोरा मुठभेड़ मामला : पिछले साल मारा गया था युवक, हाईकोर्ट ने शव सौंपने का दिया आदेश

आमिर के पिता मोहम्मद लतीफ माग्रे ने अपनी वकील दीपिका सिंह राजावत के जरिए पुलिस के दावों का विरोध किया और कहा कि वह प्रतिवादियों (पुलिस/प्रशासन) के दावे से पूरी तरह असंतुष्ट है कि वह एक आतंकवादी था और मुठभेड़ में मारा गया तथा अत: उन्होंने हस्तक्षेप के लिए प्रशासन का रुख किया. आदेश में कहा गया है कि माग्रे की शिकायत है कि प्रतिवादियों ने बहुत आसानी से उनके बेटे को आतंकवादी ठहरा दिया और उन्हें शव को गरिमापूर्ण तरीके से दफनाने भी नहीं दिया.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए आमिर माग्रे का शव अभी तक उनके परिवार को नहीं सौंपा गया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए आमिर माग्रे के पिता लतीफ माग्रे ने मांग की कि अदालत के आदेश के अनुसार उनके बेटे का शव जल्द से जल्द उन्हें सौंपा जाए. साथ ही उन्होंने इस मामले में दोषी अधिकारियों को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की मांग की.

आमिर माग्रे के परिवार को बेटे का शव मिलने का इंतजार

लतीफ माग्रे ने हाई कोर्ट के फैसले की सराहना की और अदालत, उनके वकील और अन्य लोगों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि फिलहाल हमने केवल शव की वापसी के लिए मामला दर्ज कराया था, शव मिलने के बाद भी दोषियों को सजा दिलाने को लेकर हमारी लड़ाई जारी रहेगी. लतीफ ने कहा कि उपराज्यपाल ने इस मामले में जांच के लिए एक कमेटी बनाने की बात कही थी, लेकिन जब हमें मामले में कोई प्रगति नहीं दिखी तो हमें हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा.

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई को समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए शुक्रवार (27 मई) को आमिर माग्रे का शव कब्र से निकालने तथा अंतिम संस्कार के लिए उसके परिवार को सौंपने का आदेश दिया था. आमिर माग्रे उन चार लोगों में से एक था, जो 15 नवंबर 2021 को श्रीनगर के बाहरी इलाके में हैदरपोरा में मारे गए थे. पुलिस ने दावा किया था कि ये सभी आतंकवादी थे और उनका शव उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में दफना दिया गया था.

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 2020 में फैसला किया था कि वह 'आतंकवादियों' के शव उनके परिवार के सदस्यों को नहीं सौंपेगी और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति से बचने के लिए अलग स्थानों पर उनका शव दफनाएगी. हालांकि, मुठभेड़ की प्रमाणिकता को लेकर जन आक्रोश के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन दबाव में आया और उसने अल्ताफ अहमद भट तथा डॉ. मुदासिर गुल के शव कब्र से निकाले तथा उनके परिवार के सदस्यों को सौंपे. मुठभेड़ के बारे में पुलिस के दावों पर सवाल उठाए जाने के बीच जम्मू कश्मीर सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था.

यह भी पढ़ें- हैदरपोरा मुठभेड़ मामला : पिछले साल मारा गया था युवक, हाईकोर्ट ने शव सौंपने का दिया आदेश

आमिर के पिता मोहम्मद लतीफ माग्रे ने अपनी वकील दीपिका सिंह राजावत के जरिए पुलिस के दावों का विरोध किया और कहा कि वह प्रतिवादियों (पुलिस/प्रशासन) के दावे से पूरी तरह असंतुष्ट है कि वह एक आतंकवादी था और मुठभेड़ में मारा गया तथा अत: उन्होंने हस्तक्षेप के लिए प्रशासन का रुख किया. आदेश में कहा गया है कि माग्रे की शिकायत है कि प्रतिवादियों ने बहुत आसानी से उनके बेटे को आतंकवादी ठहरा दिया और उन्हें शव को गरिमापूर्ण तरीके से दफनाने भी नहीं दिया.

Last Updated : May 29, 2022, 9:50 PM IST
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