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हिरासत में मौत के आरोप पर असम DGP ने दी सफाई, थाने पर हमला मामले में 20 लोग गिरफ्तार - death in police custody assam

पुलिस हिरासत में मौत के दावे का असम डीजीपी ने खंडन किया है. उन्होंने कहा कि जानबूझकर मामले को उलझाया जा रहा है. डीजीपी ने कहा कि इस घटना की प्रतिक्रिया में जिन लोगों ने थाने पर हमला किया, इस मामले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस प्रमुख ने बताया कि जो लोग प्रदर्शन में शामिल थे, उनका उस व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है, जिसकी मृत्यु हुई है.

history sheeter involved assam police station arson
थाने में आगजनी में हिस्ट्रीशीटर शामिल
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Published : May 22, 2022, 4:31 PM IST

Updated : May 22, 2022, 5:59 PM IST

गुवाहाटी: असम पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भास्कर ज्योति महंत ने रविवार को कहा कि एक व्यक्ति के हिरासत में मौत के आरोप में स्थानीय लोगों ने बटाद्रवा पुलिस थाने में लोगों ने अगजनी की थी, जिसके बाद थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है. महंत ने कहा कि पुलिस थाने में आगजनी करने वालों में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे. उन्होंने दावा किया कि उनमें मृतक के शोक संतप्त रिश्तेदार नहीं थे, बल्कि हिस्ट्रीशीटर बदमाश थे. उन्होंने बताया कि यह एक साधारण कार्रवाई की प्रतिक्रिया में की गई घटना नहीं थी, बल्कि इसमें आगे भी बहुत कुछ है. पुलिस ने इस मामले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया है.

उन्होंने कहा, 'हमने इस दुर्भाग्यपूर्ण मौत को बहुत गंभीरता से लिया है और नगांव जिले के बटाद्रवा पुलिस थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है. अगर हमारी ओर से कोई गड़बड़ी हुई है, तो हम उसका पता लगाएंगे और कानून के मुताबिक दोषियों को दंडित करेंगे. इसके कोई दो तरीके नहीं हैं.'

असम के स्पेशल डीजीपी जीपी सिंह का बयान

वहीं रविवार सुबह बटाद्रवा पुलिस थाने पहुंचे असम के स्पेशल डीजीपी जीपी सिंह ने थाने का निरीक्षण किया. इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि, मामले की जांच की जा रही है कि कहीं ये घटना पूर्व निर्धारित तो नहीं थी क्योंकि थाने में आग लगाने के लिए ज्वलंतशील पदार्थ का भी इस्तेमाल किया गया. उन्होंने बताया कि मामले में किसी प्रकार के जेहादी मूवमेंट का पता लगाने के लिए एसआईटी का गठन भी किया गया है. अगर कोई पुलिसकर्मी मामले में दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

मामले पर डीजीपी महंत ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर विस्तार से बताया कि 39 वर्षीय सफीकुल इस्लाम को शराब के नशे में होने की शिकायत मिलने के बाद 20 मई को रात 9.30 बजे पुलिस थाने लाया गया था. उन्होंने बताया, 'वह वास्तव में थाने लाए जाने से पहले एक सड़क पर पड़ा हुआ था. चिकित्सकीय जांच के बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया. अगले दिन उसे रिहा कर दिया गया और उसकी पत्नी को सौंप दिया गया. उसकी पत्नी ने उसे कुछ पानी/भोजन भी दिया.'

  • Assam | We've detained 20 people in connection with setting fire to Batadraba police station yesterday, May 21. Four women whose names are coming in the case have also been detained. PS in-charge has been suspended. Further probe underway: Satyaraj Hazarika, DIG (Central Range) pic.twitter.com/Idy8mTkEWz

    — ANI (@ANI) May 22, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने बताया, 'बाद में उसने तबीयत बिगड़ने की शिकायत की और इसके बाद उसे एक के बाद एक दो अस्पतालों में ले जाया गया. दुर्भाग्य से, उसे मृत घोषित कर दिया गया.' उन्होंने कहा कि इसके बाद भीड़ ने यह आरोप लगाते हुए शनिवार दोपहर को थाने और कई दोपहिया वाहनों में आग लगा दी, कि मछली व्यापारी की मौत पुलिस की प्रताड़ना के कारण हुई. महंत ने हिंसक घटना का जिक्र करते हुए बताया, 'उस दिन बाद में क्या हुआ, हम सभी जानते हैं. कुछ स्थानीय शरारती तत्वों ने कानून को अपने हाथ में ले लिया और थाने में आग लगा दी. इनमें महिलाएं, पुरुष, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल थे. लेकिन जिस तैयारी के साथ वे आए थे और पुलिस पर उन्होंने जिस क्रूर और संगठित तरीके से हमला किया, उसने हमें गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया है.'

डीजीपी ने इस बात पर जोर दिया कि असम पुलिस को नहीं लगता कि हमलावर मृतक के शोक संतप्त परिजन थे, बल्कि यह पहचान कर ली गई है 'वे सभी खराब चरित्र के थे और उन लोगों के रिश्तेदार थे जिनका आपराधिक रिकॉर्ड थाने के भीतर सबूत के तौर पर था जो आग में जलकर नष्ट हो गए. इसलिए यह मत सोचिए कि यह एक साधारण क्रिया के बदले की गई प्रतिक्रिया की घटना है. इसमें और भी बहुत कुछ है.' महंत ने असम के लोगों को आश्वासन दिया कि उनका विभाग दोषी पाए गए किसी भी पुलिस कर्मी को नहीं बख्शेगा, लेकिन यह 'उन तत्वों के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई करेगा जो सोचते हैं कि वे पुलिस थानों को जलाकर भारतीय न्याय प्रणाली से बच सकते हैं.'

उन्होंने कहा, 'हम इसकी अनुमति नहीं देंगे. इसे सभी असामाजिक/आपराधिक तत्वों के लोग पहली और आखिरी चेतावनी समझें.' इससे पहले नगांव की पुलिस अधीक्षक लीना डोले ने शनिवार को कहा था कि आगजनी में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और अन्य की तलाश शुरू कर दी गई है. वहीं सलोनाबोरी गांव के मछली व्यापारी के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि पुलिस ने उसकी रिहाई के लिए 10,000 रुपए और एक बत्तख रिश्वत के रूप में मांगी थी और उसकी पत्नी शनिवार की सुबह एक बत्तख के साथ पुलिस थाने गई थी. उन्होंने दावा किया कि बाद में जब वह पैसे लेकर लौटी तो उसे पता चला कि उसके पति को नगांव सिविल अस्पताल ले जाया गया है. उन्होंने दावा किया कि वहां पहुंचने के बाद उसने अपने पति को मृत पाया.

यह भी पढ़ें-पुलिस शिविर के पास धान के खेत में दो पुलिसकर्मी मृत मिले

ग्रामीणों ने यातना के कारण व्यक्ति की मौत का आरोप लगाते हुए थाने का घेराव किया, कथित तौर पर ड्यूटी पर मौजूद कर्मियों के साथ मारपीट की और फिर इमारत को आग लगा दी. घटना के वीडियो में एक महिला को थाने के सामने खड़े दोपहिया वाहनों पर कुछ ज्वलनशील तरल पदार्थ छिड़कते और आग लगाते हुए देखा गया. कुछ ही देर में थाना आग की चपेट में आ गया और दमकल की गाड़ियों ने बाद में आग पर काबू पाया.

गुवाहाटी: असम पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भास्कर ज्योति महंत ने रविवार को कहा कि एक व्यक्ति के हिरासत में मौत के आरोप में स्थानीय लोगों ने बटाद्रवा पुलिस थाने में लोगों ने अगजनी की थी, जिसके बाद थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है. महंत ने कहा कि पुलिस थाने में आगजनी करने वालों में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे. उन्होंने दावा किया कि उनमें मृतक के शोक संतप्त रिश्तेदार नहीं थे, बल्कि हिस्ट्रीशीटर बदमाश थे. उन्होंने बताया कि यह एक साधारण कार्रवाई की प्रतिक्रिया में की गई घटना नहीं थी, बल्कि इसमें आगे भी बहुत कुछ है. पुलिस ने इस मामले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया है.

उन्होंने कहा, 'हमने इस दुर्भाग्यपूर्ण मौत को बहुत गंभीरता से लिया है और नगांव जिले के बटाद्रवा पुलिस थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है. अगर हमारी ओर से कोई गड़बड़ी हुई है, तो हम उसका पता लगाएंगे और कानून के मुताबिक दोषियों को दंडित करेंगे. इसके कोई दो तरीके नहीं हैं.'

असम के स्पेशल डीजीपी जीपी सिंह का बयान

वहीं रविवार सुबह बटाद्रवा पुलिस थाने पहुंचे असम के स्पेशल डीजीपी जीपी सिंह ने थाने का निरीक्षण किया. इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि, मामले की जांच की जा रही है कि कहीं ये घटना पूर्व निर्धारित तो नहीं थी क्योंकि थाने में आग लगाने के लिए ज्वलंतशील पदार्थ का भी इस्तेमाल किया गया. उन्होंने बताया कि मामले में किसी प्रकार के जेहादी मूवमेंट का पता लगाने के लिए एसआईटी का गठन भी किया गया है. अगर कोई पुलिसकर्मी मामले में दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

मामले पर डीजीपी महंत ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर विस्तार से बताया कि 39 वर्षीय सफीकुल इस्लाम को शराब के नशे में होने की शिकायत मिलने के बाद 20 मई को रात 9.30 बजे पुलिस थाने लाया गया था. उन्होंने बताया, 'वह वास्तव में थाने लाए जाने से पहले एक सड़क पर पड़ा हुआ था. चिकित्सकीय जांच के बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया. अगले दिन उसे रिहा कर दिया गया और उसकी पत्नी को सौंप दिया गया. उसकी पत्नी ने उसे कुछ पानी/भोजन भी दिया.'

  • Assam | We've detained 20 people in connection with setting fire to Batadraba police station yesterday, May 21. Four women whose names are coming in the case have also been detained. PS in-charge has been suspended. Further probe underway: Satyaraj Hazarika, DIG (Central Range) pic.twitter.com/Idy8mTkEWz

    — ANI (@ANI) May 22, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने बताया, 'बाद में उसने तबीयत बिगड़ने की शिकायत की और इसके बाद उसे एक के बाद एक दो अस्पतालों में ले जाया गया. दुर्भाग्य से, उसे मृत घोषित कर दिया गया.' उन्होंने कहा कि इसके बाद भीड़ ने यह आरोप लगाते हुए शनिवार दोपहर को थाने और कई दोपहिया वाहनों में आग लगा दी, कि मछली व्यापारी की मौत पुलिस की प्रताड़ना के कारण हुई. महंत ने हिंसक घटना का जिक्र करते हुए बताया, 'उस दिन बाद में क्या हुआ, हम सभी जानते हैं. कुछ स्थानीय शरारती तत्वों ने कानून को अपने हाथ में ले लिया और थाने में आग लगा दी. इनमें महिलाएं, पुरुष, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल थे. लेकिन जिस तैयारी के साथ वे आए थे और पुलिस पर उन्होंने जिस क्रूर और संगठित तरीके से हमला किया, उसने हमें गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया है.'

डीजीपी ने इस बात पर जोर दिया कि असम पुलिस को नहीं लगता कि हमलावर मृतक के शोक संतप्त परिजन थे, बल्कि यह पहचान कर ली गई है 'वे सभी खराब चरित्र के थे और उन लोगों के रिश्तेदार थे जिनका आपराधिक रिकॉर्ड थाने के भीतर सबूत के तौर पर था जो आग में जलकर नष्ट हो गए. इसलिए यह मत सोचिए कि यह एक साधारण क्रिया के बदले की गई प्रतिक्रिया की घटना है. इसमें और भी बहुत कुछ है.' महंत ने असम के लोगों को आश्वासन दिया कि उनका विभाग दोषी पाए गए किसी भी पुलिस कर्मी को नहीं बख्शेगा, लेकिन यह 'उन तत्वों के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई करेगा जो सोचते हैं कि वे पुलिस थानों को जलाकर भारतीय न्याय प्रणाली से बच सकते हैं.'

उन्होंने कहा, 'हम इसकी अनुमति नहीं देंगे. इसे सभी असामाजिक/आपराधिक तत्वों के लोग पहली और आखिरी चेतावनी समझें.' इससे पहले नगांव की पुलिस अधीक्षक लीना डोले ने शनिवार को कहा था कि आगजनी में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और अन्य की तलाश शुरू कर दी गई है. वहीं सलोनाबोरी गांव के मछली व्यापारी के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि पुलिस ने उसकी रिहाई के लिए 10,000 रुपए और एक बत्तख रिश्वत के रूप में मांगी थी और उसकी पत्नी शनिवार की सुबह एक बत्तख के साथ पुलिस थाने गई थी. उन्होंने दावा किया कि बाद में जब वह पैसे लेकर लौटी तो उसे पता चला कि उसके पति को नगांव सिविल अस्पताल ले जाया गया है. उन्होंने दावा किया कि वहां पहुंचने के बाद उसने अपने पति को मृत पाया.

यह भी पढ़ें-पुलिस शिविर के पास धान के खेत में दो पुलिसकर्मी मृत मिले

ग्रामीणों ने यातना के कारण व्यक्ति की मौत का आरोप लगाते हुए थाने का घेराव किया, कथित तौर पर ड्यूटी पर मौजूद कर्मियों के साथ मारपीट की और फिर इमारत को आग लगा दी. घटना के वीडियो में एक महिला को थाने के सामने खड़े दोपहिया वाहनों पर कुछ ज्वलनशील तरल पदार्थ छिड़कते और आग लगाते हुए देखा गया. कुछ ही देर में थाना आग की चपेट में आ गया और दमकल की गाड़ियों ने बाद में आग पर काबू पाया.

Last Updated : May 22, 2022, 5:59 PM IST
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