अहमदाबाद : गुजरात के गांधीनगर की एक अदालत ने स्वयंभू बाबा आसाराम बापू को एक पूर्व महिला अनुयायी द्वारा 2013 में दायर दुष्कर्म के एक मामले में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास सजा सुनायी है. गौरतलब है कि सोमवार को इस मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने आसाराम बापू को दोषी ठहराया था, लकिन इसका अंतिम फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रखा था. आज सत्र अदालत के न्यायाधीश डीके सोनी ने सजा पर दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया. वर्तमान में जोधपुर जेल में बंद 81 वर्षीय आसाराम 2013 में राजस्थान में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
गौरतलब है कि अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, आसाराम ने 2001 से 2006 के बीच सूरत की रहने वाली महिला से कई बार दुष्कर्म किया, जब वह शहर के बाहरी इलाके मोटेरा में स्थित उसके आश्रम में रहती थी. अदालत ने अभियोजन के मामले को स्वीकार करते हुए आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (सी), 377 (अप्राकृतिक यौनाचार) और अवैध रूप से बंधक बनाने से जुड़ी धाराओं के अलावा कई अन्य सुसंगत धाराओं के तहत दोषी ठहराया था. विशेष लोक अभियोजक आरसी कोडेकर सत्र अदालत के न्यायाधीश डी के सोनी ने सजा पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनी और अंतिम आदेश दोपहर साढ़े तीन बजे के लिए सुरक्षित रखा था.
इससे पहले अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को दावा किया कि आसाराम बापू 'आदतन अपराधी' है और उसने स्वयंभू बाबा पर भारी जुर्माना लगाने के साथ उम्रकैद की सजा सुनाने का अनुरोध किया था. बता दें कि आसाराम बापू (81) अभी जोधपुर की एक जेल में बंद है, जहां वह राजस्थान में 2013 में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है. वहीं, अदालत ने सबूतों के अभाव में आसाराम की पत्नी समेत छह अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था.
कोडेकर ने अदालत के बाहर पत्रकारों से कहा, "अदालत द्वारा आसाराम को जिस अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है उसके लिए अधिकतम उम्रकैद या 10 साल जेल की सजा का प्रावधान है. लेकिन हमने दलील दी है कि वह जोधपुर में ऐसे ही एक अन्य मामले में दोषी है. अत: वह एक आदतन अपराधी है." उन्होंने अनुरोध किया कि आसाराम को आदतन अपराधी माना जाए तथा सख्त सजा दी जाए. कोडेकर ने बताया कि बचाव पक्ष के वकील ने कहा है कि उन्हें आसाराम बापू को 10 साल की जेल की सजा सुनाने पर कोई आपत्ति नहीं है.
(इनपुट-भाषा)