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उच्च शिक्षण संस्थानों के मूल्यांकन के लिए भारत सरकार ने किया उच्च स्तरीय समिति का गठन

उच्च शिक्षा संस्थानों के मूल्यांकन और मान्यता को मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने डॉ. के. राधाकृष्णन, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईटी कानपुर और अध्यक्ष, आईआईटी परिषद की स्थायी समिति की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया.

आईआईटी दिल्ली
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Published : Nov 4, 2022, 5:56 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 6:05 PM IST

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षण संस्थानों के मूल्यांकन एवं प्रत्यायन की व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. मंत्रालय के शुक्रवार को जारी बयान में यह जानकारी दी गई. शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस समिति की अध्यक्षता आईआईटी कानपुर के संचालक बोर्ड के अध्यक्ष डा. के. राधाकृष्णन करेंगे. राधाकृष्णन आईआईटी परिषद की स्थायी समिति के अध्यक्ष भी हैं.

मंत्रालय के बयान के अनुसार समिति के कार्यो में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की दृष्टि के अनुरूप मूल्यांकन एवं प्रत्यायन की व्यवस्था को मजबूत बनाने और राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड का खाका तैयार करना है. शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत की शिक्षा व्यवस्था दुनिया में सबसे बड़ी और विविधतापूर्ण है.

बयान के अनुसार किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान के कामकाज में गुणवत्ता सुनिश्चित करने में प्रत्यायन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. प्रत्यायन से किसी संस्थान को अपनी कमजोरी और मजबूती को समझने में मदद मिलती है.

पढ़ें: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को लेकर SC में सुनवाई, एनएचआरसी ने मुख्य सचिवों को किया तलब

इस समिति के अन्य सदस्यों में महापुरूष श्रीमंत शंकरदेव विश्वविद्यालय असम के कुलपति मृदुल हजारिका, आईआईएम लखनऊ के प्रोफेसर भरत भास्कर और शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव शामिल हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षण संस्थानों के मूल्यांकन एवं प्रत्यायन की व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. मंत्रालय के शुक्रवार को जारी बयान में यह जानकारी दी गई. शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस समिति की अध्यक्षता आईआईटी कानपुर के संचालक बोर्ड के अध्यक्ष डा. के. राधाकृष्णन करेंगे. राधाकृष्णन आईआईटी परिषद की स्थायी समिति के अध्यक्ष भी हैं.

मंत्रालय के बयान के अनुसार समिति के कार्यो में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की दृष्टि के अनुरूप मूल्यांकन एवं प्रत्यायन की व्यवस्था को मजबूत बनाने और राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड का खाका तैयार करना है. शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत की शिक्षा व्यवस्था दुनिया में सबसे बड़ी और विविधतापूर्ण है.

बयान के अनुसार किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान के कामकाज में गुणवत्ता सुनिश्चित करने में प्रत्यायन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. प्रत्यायन से किसी संस्थान को अपनी कमजोरी और मजबूती को समझने में मदद मिलती है.

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इस समिति के अन्य सदस्यों में महापुरूष श्रीमंत शंकरदेव विश्वविद्यालय असम के कुलपति मृदुल हजारिका, आईआईएम लखनऊ के प्रोफेसर भरत भास्कर और शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव शामिल हैं.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 4, 2022, 6:05 PM IST
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