कोलंबो: श्रीलंका में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने गोटबाया राजपक्षे का उत्तराधिकारी चुने जाने तक अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर शुक्रवार को शपथ ग्रहण की. उन्होंने कार्यवाहक राष्ट्रपति से ज्यादा शक्तियां संसद को देने के मकसद से संविधान के 19वें संशोधन को बहाल करने तथा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का आह्वान किया. सिंगापुर पहुंचे राजपक्षे ने स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने को ईमेल के जरिए अपना इस्तीफा पत्र भेजा.
अभयवर्धने ने शुक्रवार को बताया कि उन्हें इस्तीफा पत्र गुरुवार को ही मिल गया तथा उन्होंने उसे मंजूर कर लिया है. राजपक्षे ने दिवालिया हो चुके द्वीपीय देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के लिए अपनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा दे दिया. वह देश छोड़ कर पहले मालदीव और फिर वहां से सिंगापुर चले गए हैं.
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#WATCH | Ranil Wickremesinghe sworn in as Acting-President a short while ago by Sri Lankan Chief Justice Jayantha Jayasuriya#SriLanka pic.twitter.com/odjNmfd4cf
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प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने विक्रमसिंघे (73) को श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर शपथ दिलायी. अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद संसद को संबोधित करते हुए विक्रमसिंघे ने देश में कानून एवं व्यवस्था को सख्ती से बनाए रखने का संकल्प जताया. उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को हिंसा तथा तोड़फोड़ के किसी भी कृत्य से निपटने के लिए शक्तियां दी गयी हैं. उन्होंने कहा, 'मैं शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का शत प्रतिशत समर्थक हूं. दंगाइयों और प्रदर्शनकारियों में फर्क होता है.'
विक्रमसिंघे ने कहा कि सच्चे प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतारू नहीं होंगे. सांसदों को संसद की कार्यवाही में भाग लेने के लिए पूरी सुरक्षा प्रदान की जाएगी. विक्रमसिंघे ने कहा कि कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर उनका पहला काम संविधान के 19वें संशोधन को बहाल करना होगा. इसकी बहाली के लिए जल्द ही एक मसौदा तैयार किया जाएगा.
गौरतलब है कि संविधान का 2015 में अपनाया गया 19ए संशोधन कार्यवाहक राष्ट्रपति के मुकाबले संसद को अधिक शक्तियां देता है. हालांकि, गोटबाया राजपक्षे के नवंबर 2019 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद 19ए को निरस्त कर दिया गया. विक्रमसिंघ ने यह भी कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट को हल करने के लिए सभी दलों के मिलकर काम करने की जरूरत है, जिसके लिए सर्वदलीय सरकार बनायी जानी चाहिए.
संसद के अध्यक्ष अभयवर्धने ने पार्टी के नेताओं को बताया कि संसद नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए 20 जुलाई को बैठक करेगी. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन 19 जुलाई को मंगाए जाएंगे. राष्ट्रपति कार्यालय में रिक्ति की घोषणा के बारे में शनिवार को संसद को आधिकारिक रूप से सूचना दी जाएगी. अध्यक्ष ने कहा कि संविधान के अनुसार, विक्रमसिंघे राष्ट्रपति के तौर पर काम करेंगे और नए राष्ट्रपति के चुनाव की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी होने तक राष्ट्रपति कार्यालय की शक्तियों के अनुसार दायित्वों का निर्वहन करेंगे और कामकाज संभालेंगे.
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गोटबाया राजपक्षे ने, देश के अभूतपूर्व आर्थिक संकट के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराते हुए हजारों प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास पर कब्जा जमाने के बाद शनिवार को घोषणा की थी कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे. श्रीलंका के संविधान के तहत अगर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों इस्तीफा दे देते हैं तो संसद के अध्यक्ष अधिकतम 30 दिनों तक कार्यवाहक राष्ट्रपति का प्रभार संभालेंगे. संसद अपने सदस्यों में से 30 दिनों के भीतर नया राष्ट्रपति निर्वाचित करेगी, जो मौजूदा कार्यकाल के बाकी के दो वर्षों के लिए पद पर बने रहेंगे.
प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने बुधवार को संसद के अध्यक्ष अभयवर्धने को ऐसा प्रधानमंत्री नामित करने के लिए कहा था जो सरकार तथा विपक्ष दोनों को स्वीकार्य हो. गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश श्रीलंका सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
(पीटीआई-भाषा)