हल्द्वानी: 30 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है. इस दिन शनिश्चरी अमावस्या भी पड़ रही है, जो 100 साल बाद सूर्य ग्रहण पर अनोखा संयोग बन रहा है. ऐसे में दोनों का एक साथ संयोग होना कई राशियों के लिए लाभदायक तो कई राशियों के लिए हानिकारक हो सकता है. ज्योतिष के अनुसार इस सूर्य ग्रहण का भारत में कोई सूतक नहीं लगेगा और न ही भारत में दिखाई देगा. लेकिन सूर्य ग्रहण के साथ-साथ शनि अमावस्या का विशेष योग बन रहा है, जो पश्चिमी देशों के लिए हानिकारक हो सकता है.
ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी (Astrologer Dr Navin Chandra Joshi) के मुताबिक सूर्य ग्रहण पश्चिमी देशों में कुछ देर के लिए दिखाई देगा. ज्योतिष के अनुसार इस सूर्य ग्रहण से पश्चिमी देशों में उथल-पुथल हो सकती है. क्योंकि उस दिन शनि अमावस्या है. इस विक्रम संवत 2079 के राजा शनि हैं, शनि सूर्य के पुत्र हैं. ऐसे में कुछ देशों के राजाओं में आपस में तनाव पैदा हो सकता है.
ज्योतिष के अनुसार शनि प्रभावशाली ग्रह माने जाते हैं और इनको न्याय का देवता कहा जाता है. ऐसे में एक राशि में शनि का साढ़े सात साल तक प्रभाव रहता है, जो भयशाली माना जाता है. लेकिन उसके साथ-साथ शुभ भी माना जाता है, क्योंकि शनि न्याय के देवता है. जब भगवान शनि प्रसन्न होते हैं तो सभी तरह के कार्य पूर्ण होते हैं और यमराज, मृत्यु का भय नहीं होता है.
ज्योतिष के अनुसार शनि अमावस्या पर कुछ राशियों पर प्रभाव पड़ सकता है. मकर, कुंभ, मीन राशि में भगवान शनि का प्रभाव रहेगा. इन राशि के जातकों को भगवान शनि की पूजा करनी चाहिए. शनि के पाठ के साथ-साथ शनि चालीसा पढ़ें. कर्क राशि और वृश्चिक राशि में शनि का ढैय्या है. इसके अलावा अन्य राशियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है.
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ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक शनि अमावस्या के दिन प्रातः काल से लेकर मध्यांतर तक शनि पूजा करने का विशेष महत्व होता हैं. सूर्य ग्रहण के साथ शनि अमावस्या भी है. ऐसे में उस दिन भगवान शनिदेव को तेल चढ़ाएं. काले कपड़े में उड़द की दाल और काले तिल बांधकर शनि मंदिर में दान करें. गरीबों को वस्त्र और भोजन दान करें. शनि मंदिर में जाकर शनि देव की आराधना करें. भगवान हनुमान की भी पूजा करें. पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और ग्रहण के बाद स्नान अवश्य करें.