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श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण में सर्वे पर फैसला 26 मई को आएगा

श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण में सर्वे पर फैसला अब 26 मई को आएगा. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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Published : May 23, 2023, 3:09 PM IST

मथुरा: जनपद के सिविल जज एफटीसी कोर्ट में मंगलवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर फैसला आने वाला था लेकिन न्यायालय द्वारा 26 मई अगली सुनवाई के लिए तारीख मुकर्रर कर दी गई. हिंदू सेना संगठन के विष्णु गुप्ता की याचिका वाद संख्या 839/22 में मांग की गई थी कि विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वे सरकारी अमीन के द्वारा होना चाहिए.

हिंदू सेना संगठन के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका वाद संख्या 639/22 को लेकर सिविल जज एफटीसी कोर्ट में मंगलवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर फैसला आने वाला था लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखे हुए अगली सुनवाई के लिए 26 मई तारीख मुकर्रर की गई. हिंदू सेना संगठन ने कोर्ट मे याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे सरकारी अमीन के द्वारा होना चाहिए लेकिन मुस्लिम पक्ष ने आपत्ती दाखिल करते हुए कहा था कि पहले सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई हो.


कोर्ट ने पूर्व में दो बार आदेश जारी किए
हिंदू सेना संगठन के विष्णु गुप्ता की याचिका वाद संख्या 839/22 बीते वर्ष 8 दिसंबर को सिविल जज एफटीसी कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. 8 दिसंबर 2022 को ही कोर्ट ने वादी की दलील सुनने के बाद विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वे सरकारी अमीन से कराने के आदेश जारी कर दिया था. दूसरी बार 29 मार्च को सिविल जज सीनियर डिविजन एफटीसी कोर्ट ने विवादित स्थान का सर्वे कराने के आदेश जारी किये हैं. सेंट्रल सुन्नी वक़्क़ बोर्ड के अधिवक्ता ने न्यायालय में दलील पेश करते हुए कहा कि पहले सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई हो लेकिन वादी के वकील ने अपनी बात रखते गए कहा कि पहले विवादित स्थान का सर्वे हो जाना चाहिए और सर्वे होने से किसी के अधिकारों का कोई हनन नहीं होता, बाद में सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई हो सकती है. सुनवाई के लिए 22 मई तारीख निर्धारित की गई थी लेकिन 23 मई को फैसला सुरक्षित रखते हुए 26 मई की अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर की गई है.

वादी अधिवक्ता के आरोप
दरअसल बता दें कि हिंदू सेना संगठन अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पिछले वर्ष न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए मांग की थी कि विवादित स्थान जोकि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़ कर अवैध शाही मस्जिद का निर्माण किया था उस स्थान का सर्वे सरकारी अमीन द्वारा कराना चाहिए और रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जानी चाहिए.

अधिवक्ता के मुताबिक विवादित ईदगाह श्री कृष्ण जन्म स्थान का भाग है. ईदगाह वाली जो संपत्ति है कुल संपत्ति का खेवट नंबर 255 खसरा संख्या 825 जिसमे ईदगाह शामिल है उसका रकवा 13.37 एकड़ राजस्व अभिलेख श्रीकृष्ण जन्म स्थान संपत्ति मिलकियत के रूप में दर्ज है. प्रॉपर्टी हाल में मंदिर और ईदगाह नगर पालिका,अब नगर निगम की सीमा के अंदर है. नगर निगम के रिकॉर्ड में संपत्ति श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की अंकित चली आ रही हैय ईदगाह के पास मिलकियत से सम्बंधित कोई दस्तावेज नही है और न नही कोर्ट मे कोई दस्तावेज जमा कराए हैं.

पूरी जमीन पर किया है दावा
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11एकड़ में श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्री कृष्ण जन्मस्थान जो प्राचीन विराजमान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है. कोर्ट में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है कि पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए. 1968 मे श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था उसे जमीन डिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है.


ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी केस में वाराणसी कोर्ट का बड़ा फैसला, 7 याचिकाओं पर एक साथ होगी सुनवाई

मथुरा: जनपद के सिविल जज एफटीसी कोर्ट में मंगलवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर फैसला आने वाला था लेकिन न्यायालय द्वारा 26 मई अगली सुनवाई के लिए तारीख मुकर्रर कर दी गई. हिंदू सेना संगठन के विष्णु गुप्ता की याचिका वाद संख्या 839/22 में मांग की गई थी कि विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वे सरकारी अमीन के द्वारा होना चाहिए.

हिंदू सेना संगठन के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका वाद संख्या 639/22 को लेकर सिविल जज एफटीसी कोर्ट में मंगलवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर फैसला आने वाला था लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखे हुए अगली सुनवाई के लिए 26 मई तारीख मुकर्रर की गई. हिंदू सेना संगठन ने कोर्ट मे याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे सरकारी अमीन के द्वारा होना चाहिए लेकिन मुस्लिम पक्ष ने आपत्ती दाखिल करते हुए कहा था कि पहले सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई हो.


कोर्ट ने पूर्व में दो बार आदेश जारी किए
हिंदू सेना संगठन के विष्णु गुप्ता की याचिका वाद संख्या 839/22 बीते वर्ष 8 दिसंबर को सिविल जज एफटीसी कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. 8 दिसंबर 2022 को ही कोर्ट ने वादी की दलील सुनने के बाद विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वे सरकारी अमीन से कराने के आदेश जारी कर दिया था. दूसरी बार 29 मार्च को सिविल जज सीनियर डिविजन एफटीसी कोर्ट ने विवादित स्थान का सर्वे कराने के आदेश जारी किये हैं. सेंट्रल सुन्नी वक़्क़ बोर्ड के अधिवक्ता ने न्यायालय में दलील पेश करते हुए कहा कि पहले सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई हो लेकिन वादी के वकील ने अपनी बात रखते गए कहा कि पहले विवादित स्थान का सर्वे हो जाना चाहिए और सर्वे होने से किसी के अधिकारों का कोई हनन नहीं होता, बाद में सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई हो सकती है. सुनवाई के लिए 22 मई तारीख निर्धारित की गई थी लेकिन 23 मई को फैसला सुरक्षित रखते हुए 26 मई की अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर की गई है.

वादी अधिवक्ता के आरोप
दरअसल बता दें कि हिंदू सेना संगठन अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पिछले वर्ष न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए मांग की थी कि विवादित स्थान जोकि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़ कर अवैध शाही मस्जिद का निर्माण किया था उस स्थान का सर्वे सरकारी अमीन द्वारा कराना चाहिए और रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जानी चाहिए.

अधिवक्ता के मुताबिक विवादित ईदगाह श्री कृष्ण जन्म स्थान का भाग है. ईदगाह वाली जो संपत्ति है कुल संपत्ति का खेवट नंबर 255 खसरा संख्या 825 जिसमे ईदगाह शामिल है उसका रकवा 13.37 एकड़ राजस्व अभिलेख श्रीकृष्ण जन्म स्थान संपत्ति मिलकियत के रूप में दर्ज है. प्रॉपर्टी हाल में मंदिर और ईदगाह नगर पालिका,अब नगर निगम की सीमा के अंदर है. नगर निगम के रिकॉर्ड में संपत्ति श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की अंकित चली आ रही हैय ईदगाह के पास मिलकियत से सम्बंधित कोई दस्तावेज नही है और न नही कोर्ट मे कोई दस्तावेज जमा कराए हैं.

पूरी जमीन पर किया है दावा
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11एकड़ में श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्री कृष्ण जन्मस्थान जो प्राचीन विराजमान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है. कोर्ट में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है कि पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए. 1968 मे श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था उसे जमीन डिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है.


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