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उत्तराखंड बॉर्डर पर नेपाल ने भारत को फिर दिखाई आंख, CM बोले- रिश्ते को उकसा रहे कुछ लोग

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Published : Dec 20, 2022, 6:08 PM IST

Updated : Dec 20, 2022, 6:39 PM IST

उत्तराखंड में भारत और नेपाल के बीच केवल रोटी बेटी का रिश्ता नहीं है, बल्कि दोनों देशों की संस्कृति और सभ्यता भी काफी मिलती जुलती है. लेकिन कई बार ऐसे मौके भी आते हैं, जिसकी वजह से रिश्तों में खटास आ जाती है. ऐसा ही कुछ बीते दिनों धारचूला में देखने को मिला. जहां भारतीय मजदूरों पर नेपाल की ओर से पत्थरबाजी (pithoragarh stone pelting) की गई और एक बार फिर ये घटना दोहराई गई है. अब इस पर सीएम पुष्कर सिंह धामी का बयान सामने आया है. उनका साफ लहजे में कहना है कि कुछ लोग रोटी-बेटी के रिश्ते को उकसा रहे हैं.

उत्तराखंड बॉर्डर
उत्तराखंड बॉर्डर
CM धामी बोले- रोटी बेटी के रिश्ते को उकसा रहे कुछ लोग

देहरादूनः पिथौरागढ़ के धारचूला क्षेत्र में नेपाल की ओर से पत्थरबाजी (pithoragarh stone pelting) का सिलसिला जारी है. मामला काली नदी पर चल रहे तटबंध निर्माण (indo nepal dispute kali river) से जुड़ा है. जिसे लेकर भारत और नेपाल के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. इसी बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना बयान दिया है. उनका कहना है कि कुछ लोग भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी की संबंधों को उकसाने का काम कर रहे हैं.

बीती रोज भी नेपाल के दार्चुला में माओवादी विप्लव गुट कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भारत के खिलाफ प्रदर्शन किया, साथ ही उन्होंने भारतीय तटबंध निर्माण क्षेत्र में पत्थरबाजी भी की. वहीं, नेपाल की ओर से की गई पत्थरबाजी (stone pelting from nepal in pithoragarh) के सवाल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि नेपाल के एडमिनिस्ट्रेटर से लगातार संपर्क में हैं. एडमिनिस्ट्रेटर स्तर पर कोई विरोधाभास नहीं है, लेकिन कुछ लोग रोटी-बेटी के संबंधों को उकसाने का काम कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः भारत-नेपाल की बैठक में पिथौरागढ़ पथराव मामले पर चर्चा, नेपाल ने दिया कार्रवाई का आश्वासन

पिथौरागढ़ से सटा है नेपालः दरअसल, धारचूला नेपाल और चीन से लगने वाला सरहदी इलाका है. धारचूला से चीन सीमा की दूरी 80 किलोमीटर है, जहां पर धारचूला लिपुलेख राजमार्ग का निर्माण हुआ है, लेकिन नेपाल की सीमा धारचूला से ही शुरू हो जाती है. धारचूला में काली नदी के आर पार भारत और नेपाल की सीमा है. काली नदी के एक तरफ भारत है तो दूसरी तरफ नेपाल. काली नदी के आसपास सैकड़ों गांव बसे हुए हैं. इन गांवों में आवाजाही के लिए कई झूला पुल बने हुए हैं. भारत नेपाल सरहद पर एसएसबी की तैनाती है.

बता दें कि 2020 में भारत और नेपाल के दोस्ताना रिश्तों में उस समय खटास आ गई थी, जब नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. इस नक्शे में नेपाल ने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के उन इलाकों को अपने क्षेत्र में दर्शाया था, जिन्हें भारत उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है.
ये भी पढ़ेंः भारत-नेपाल का संबंध रोटी-बेटी का, दुनिया की कोई ताकत रिश्ते को नहीं तोड़ सकतीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके बाद 8 मई 2020 को एक विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक एक सड़क संपर्क मार्ग का उद्घाटन किया था. नेपाल ने इसका विरोध करते हुए लिपुलेख पर फिर से अपना दावा किया था. इसको लेकर दोनों देशों में कई दिनों तक तनातनी बनी रही थी.

बीती 4 दिसंबर को भी पिथौरागढ़ के धारचूला में काली नदी में चैनेलाइज (embankment construction on Kali river) कर रहे भारतीय मजदूरों पर नेपाली नागरिकों ने पथराव किया. जिसमें एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया. यहां मजदूर झूलाघाट के पास काली नदी में चैनलाइज का काम कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक धारचूला क्षेत्र में ये पत्थरबाजी (stone pelting from nepal in pithoragarh) हुई. यहां काली नदी पर तटबंध निर्माण चल रहा था. जिसको लेकर ये विवाद बताया जा रहा है. इस निर्माण का नेपाली नागरिक विरोध कर रहे थे.

भारत-नेपाल के अधिकारियों की हुई थी बैठक: इस घटना के बाद बीती 7 दिसंबर को पिथौरागढ़ के धारचूला स्थित एनएचपीसी गेस्ट हाउस में भारत नेपाल सीमा समन्वय समिति की बैठक (India Nepal Border Coordination Committee meeting) जिलाधिकारी रीना जोशी की अध्यक्षता में हुई थी. बैठक में भारत और नेपाल के विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे. इस दौरान नेपाली नागरिकों द्वारा किए गए पथराव सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई. जिस पर नेपाल ने आश्वस्त किया कि अराजक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी और इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी.

CM धामी बोले- रोटी बेटी के रिश्ते को उकसा रहे कुछ लोग

देहरादूनः पिथौरागढ़ के धारचूला क्षेत्र में नेपाल की ओर से पत्थरबाजी (pithoragarh stone pelting) का सिलसिला जारी है. मामला काली नदी पर चल रहे तटबंध निर्माण (indo nepal dispute kali river) से जुड़ा है. जिसे लेकर भारत और नेपाल के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. इसी बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना बयान दिया है. उनका कहना है कि कुछ लोग भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी की संबंधों को उकसाने का काम कर रहे हैं.

बीती रोज भी नेपाल के दार्चुला में माओवादी विप्लव गुट कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भारत के खिलाफ प्रदर्शन किया, साथ ही उन्होंने भारतीय तटबंध निर्माण क्षेत्र में पत्थरबाजी भी की. वहीं, नेपाल की ओर से की गई पत्थरबाजी (stone pelting from nepal in pithoragarh) के सवाल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि नेपाल के एडमिनिस्ट्रेटर से लगातार संपर्क में हैं. एडमिनिस्ट्रेटर स्तर पर कोई विरोधाभास नहीं है, लेकिन कुछ लोग रोटी-बेटी के संबंधों को उकसाने का काम कर रहे हैं.
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पिथौरागढ़ से सटा है नेपालः दरअसल, धारचूला नेपाल और चीन से लगने वाला सरहदी इलाका है. धारचूला से चीन सीमा की दूरी 80 किलोमीटर है, जहां पर धारचूला लिपुलेख राजमार्ग का निर्माण हुआ है, लेकिन नेपाल की सीमा धारचूला से ही शुरू हो जाती है. धारचूला में काली नदी के आर पार भारत और नेपाल की सीमा है. काली नदी के एक तरफ भारत है तो दूसरी तरफ नेपाल. काली नदी के आसपास सैकड़ों गांव बसे हुए हैं. इन गांवों में आवाजाही के लिए कई झूला पुल बने हुए हैं. भारत नेपाल सरहद पर एसएसबी की तैनाती है.

बता दें कि 2020 में भारत और नेपाल के दोस्ताना रिश्तों में उस समय खटास आ गई थी, जब नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. इस नक्शे में नेपाल ने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के उन इलाकों को अपने क्षेत्र में दर्शाया था, जिन्हें भारत उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है.
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके बाद 8 मई 2020 को एक विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक एक सड़क संपर्क मार्ग का उद्घाटन किया था. नेपाल ने इसका विरोध करते हुए लिपुलेख पर फिर से अपना दावा किया था. इसको लेकर दोनों देशों में कई दिनों तक तनातनी बनी रही थी.

बीती 4 दिसंबर को भी पिथौरागढ़ के धारचूला में काली नदी में चैनेलाइज (embankment construction on Kali river) कर रहे भारतीय मजदूरों पर नेपाली नागरिकों ने पथराव किया. जिसमें एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया. यहां मजदूर झूलाघाट के पास काली नदी में चैनलाइज का काम कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक धारचूला क्षेत्र में ये पत्थरबाजी (stone pelting from nepal in pithoragarh) हुई. यहां काली नदी पर तटबंध निर्माण चल रहा था. जिसको लेकर ये विवाद बताया जा रहा है. इस निर्माण का नेपाली नागरिक विरोध कर रहे थे.

भारत-नेपाल के अधिकारियों की हुई थी बैठक: इस घटना के बाद बीती 7 दिसंबर को पिथौरागढ़ के धारचूला स्थित एनएचपीसी गेस्ट हाउस में भारत नेपाल सीमा समन्वय समिति की बैठक (India Nepal Border Coordination Committee meeting) जिलाधिकारी रीना जोशी की अध्यक्षता में हुई थी. बैठक में भारत और नेपाल के विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे. इस दौरान नेपाली नागरिकों द्वारा किए गए पथराव सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई. जिस पर नेपाल ने आश्वस्त किया कि अराजक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी और इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी.

Last Updated : Dec 20, 2022, 6:39 PM IST
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