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भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण भीषण गर्मी की 30 गुना अधिक संभावना रही :अध्ययन

एक अध्ययन में सामने आया है कि भारत में इस साल मार्च पिछले 122 साल के मुकाबले ज्यादा गर्म था. भारत और पाकिस्तान के बड़े हिस्से में समय से पहले ही गर्म हवाएं (heatwave) चलने लगी थीं.

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भीषण गर्मी
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Published : May 24, 2022, 6:52 AM IST

नई दिल्ली : उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण-पूर्वी पाकिस्तान में हाल की गर्मी की लहर पर विशेष रूप से नजर रखने वाले और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को मापने वाले एक एट्रिब्यूशन अध्ययन में सोमवार को कहा गया कि लंबे समय तक लू चलने की संभावना 30 गुना अधिक है. प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में लंबे समय से चल रही हीटवेव, जिसने व्यापक मानव पीड़ा और वैश्विक गेहूं की आपूर्ति को प्रभावित किया है, मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के कारण होने की संभावना लगभग 30 गुना अधिक थी.

भारत, पाकिस्तान, नीदरलैंड, फ्रांस, स्विटजरलैंड, न्यूजीलैंड, डेनमार्क, यूएसए और यूके के वैज्ञानिकों ने यह आकलन करने के लिए सहयोग किया कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन ने इस एट्रिब्यूशन अध्ययन में हीटवेव की संभावना और तीव्रता को किस हद तक बदल दिया. इस वर्ष मार्च की शुरुआत से ही भारत और पाकिस्तान के बड़े हिस्से में समय से पहले ही गर्म हवाएं चलने लगी थीं जिनका ताप अब भी महसूस किया जा रहा है. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि भारत में इस साल मार्च पिछले 122 साल के मुकाबले ज्यादा गर्म था.

भारत और पाकिस्तान में लंबे समय से चल रहे उच्च तापमान पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को मापने के लिए उन्होंने मौसम के आंकड़ों और कंप्यूटर सिमुलेशन का विश्लेषण किया. परिणामों से पता चला कि वर्तमान में लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव जैसी घटना अभी भी दुर्लभ है, लेकिन मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ने इसके होने की संभावना लगभग 30 गुना अधिक कर दी है. विश्लेषण से पता चलता है कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बिना हीटवेव असाधारण रूप से दुर्लभ होती.

पढ़ें- मॉनसून की आहट, भारी बारिश की आशंका के मद्देनजर कई राज्यों में येलो अलर्ट

नई दिल्ली : उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण-पूर्वी पाकिस्तान में हाल की गर्मी की लहर पर विशेष रूप से नजर रखने वाले और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को मापने वाले एक एट्रिब्यूशन अध्ययन में सोमवार को कहा गया कि लंबे समय तक लू चलने की संभावना 30 गुना अधिक है. प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में लंबे समय से चल रही हीटवेव, जिसने व्यापक मानव पीड़ा और वैश्विक गेहूं की आपूर्ति को प्रभावित किया है, मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के कारण होने की संभावना लगभग 30 गुना अधिक थी.

भारत, पाकिस्तान, नीदरलैंड, फ्रांस, स्विटजरलैंड, न्यूजीलैंड, डेनमार्क, यूएसए और यूके के वैज्ञानिकों ने यह आकलन करने के लिए सहयोग किया कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन ने इस एट्रिब्यूशन अध्ययन में हीटवेव की संभावना और तीव्रता को किस हद तक बदल दिया. इस वर्ष मार्च की शुरुआत से ही भारत और पाकिस्तान के बड़े हिस्से में समय से पहले ही गर्म हवाएं चलने लगी थीं जिनका ताप अब भी महसूस किया जा रहा है. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि भारत में इस साल मार्च पिछले 122 साल के मुकाबले ज्यादा गर्म था.

भारत और पाकिस्तान में लंबे समय से चल रहे उच्च तापमान पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को मापने के लिए उन्होंने मौसम के आंकड़ों और कंप्यूटर सिमुलेशन का विश्लेषण किया. परिणामों से पता चला कि वर्तमान में लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव जैसी घटना अभी भी दुर्लभ है, लेकिन मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ने इसके होने की संभावना लगभग 30 गुना अधिक कर दी है. विश्लेषण से पता चलता है कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बिना हीटवेव असाधारण रूप से दुर्लभ होती.

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