पटना/छपराः बिहार के सारण जिले में हर घंटे जहरीली शराब से मौत (Chhapra Poisonous Liquor Case) का आंकड़ा एक-एक कर बढ़ता जा रहा है. जहरीली शराब पीने से अब तक मृतकों की संख्या 53 तक पहुंच चुकी है, जबकि कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई. जिला प्रशासन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 26 लोगों के मौत की पुष्टि की है. जबकि छपरा जिला अस्पताल और पीएमसीएच में 10 लोगों का इलाज चल रहा है. जिलाधिकारी ने बताया कि 13-14 दिसंबर की रात को ये मौतें हुईं थीं.
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जिला प्रशासन ने 26 मौत की पुष्टि की: सारण डीएम राजेश मीणा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया था कि अब तक 26 लोगों की मौत संदिग्ध पदार्थ पीने की वजह से हुई है. मिल रही जानकारी के मुताबिक अभी तक 126 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने बताया कि मशरक के एसएचओ रितेश मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है. जबकि एक चौकीदार को भी सस्पेंड किया गया है. मरहौरा डीएसपी के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गई है.
''मढौरा अनुमंडल के विभिन्न थाना क्षेत्रों में संदिग्ध स्थिति में मृत्यु होने की घटना के बाद मशरख थाना एवं इसुआपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी जारी है. त्वरित अनुसंधान एवं गिरफ्तारी के लिए अपर पुलिस अधीक्षक सह अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सोनपुर के नेतृत्व में 3 पुलिस उपाधीक्षक सहित कुल 31 पुलिस पदाधिकारी और पुलिसकर्मी के लिए एक विशेष जांच टीम गठित की गई है.'' - संतोष कुमार, पुलिस अधीक्षक, सारण
छपरा शराब कांड, मरने वालों की संख्या 53 हुई : बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन के द्वारा अभी तक 16 शवों का पोस्टमार्टम कराया गया था. तीन शवों का परिजनों ने खुद से अंतिम संस्कार कर दिया है. कई गंभीर रूप से बीमार लोगों का इलाज छपरा सदर अस्पताल और पटना के पीएमसीएच में चल रहा है. परिवार के सदस्यों ने दावा किया है कि मंगलवार को दोपहर में शराब पीने के बाद शाम को पीड़ितों की तबीयत बिगड़ने लगी थी. लोगों का ये भी कहना है कि सभी ने शराब पी थी. इसके बाद उल्टी-दस्त की शिकायत होने लगी. थोड़ी देर बाद से आंखों से दिखाई देना बंद हो गया.
विधानसभा में भी गूंजा छपरा शराबकांड का मुद्दा: छपरा में हुई जहरीली शराब से मौत के मामले में नीतीश सरकार घिरती जा रही है. बिहार में शराबबंदी के बावजूद बार बार होती मौतों को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. बुधवार को नेता प्रतिपक्ष ने जब ये मसला सदन में उठाया था तो नीतीश के तेवर बेहद ही आक्रामक हो गए थे. विपक्ष लगातार सीएम नीतीश से इस मसले पर जवाब मांग रहा है. साथ ही विपक्ष सीएम के इस्तीफे की मांग को लेकर अड़ा हुआ है.
'भाजपा शासित राज्यों में जहरीली शराब से मौत' : तेजस्वी यादव ने कहा कि NCRB के 2016 से 2020 के आंकड़ों के अनुसार जहरीली शराब से सबसे ज्यादा मौत भाजपा शासित राज्यों में ही हुई है. उन्होंने बताया कि सांसद दानिश अली ने देश भर में जहरीली शराब से हुई मौत के आंकड़े मांगे थे. इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री ने जानकारी दी है कि 2016 से 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार जहरीली शराब से सबसे ज्यादा मौत एमपी में हुई है. 1214 लोगों की मौत हुई. दूसरे नंबर पर कर्नाटका में 909 लोगों की मौत हुई. पंजाब में 725, हरियाणा में 476, गुजरात में 50 और बिहार में 21 लोगों की मौत हुई. भाजपा एमपी और कर्नाटका सरकार के इस्तीफे की मांग करेगी क्या.
''जब चार महीने पहले भाजपा मंत्री के रिश्तेदार के घर से शराब मिली थी या फिर जब गोपालगंज में घटना हुई थी, तब भाजपा कहां थी?. पिछले 4 सालों में बिहार से ज्यादा गुजरात में मौत हुई है. पिछले चार सालों में गुजरात में 50 लोगों की जहरीली शराब से जान गयी है तो क्या देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री इसकी जिम्मेदारी लेंगे, क्या वो इस्तीफा देंगे?'' - तेजस्वी यादव, डिप्टी सीएम, बिहार
'बिहार में शराबबंदी है, तो कुछ न कुछ नकली बिकेगा, इसे पीकर लोगों की मौत हो गई. नीतीश कुमार ने कहा कि शराब बुरी आदत है, इसे नहीं पीना चाहिए. अधिकारियों को साफ तौर पर कहा है कि गरीबों को न पकड़ें, जो लोग इसका व्यवसाय कर रहे हैं उन्हें पकड़ें. शराबबंदी कानून से कई लोगों को फायदा हुआ है कई लोगों ने शराब छोड़ दी है. गड़बड़ी करने वाले तो हर जगह होंगे. कानून तो बना ही है, फिर भी गड़बड़ करने वाले लोग करते ही हैं.'' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
छपरा में जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों के नाम: डोयला के रहने वाले संजय कुमार सिंह, मशरक तख्त के रहने वाले हरेंद्र राम, मशरक के शास्त्री टोला के भरत साह, मशरक तख्त के मोहम्मद नसीर, डोयला के विचेन्द्र राय, शात्री टोला मशरक के रामजी साह, मशरक बहरौल के अजय गिरी, दुरगौली मशरक के मनोज कुमार, मशरक तख्त के भरत राम, यदु मोड़ मशरक के कुणाल सिंह, बेन छपरा के जयदेव सिंह, इसुआपुर के अमित रंजन सिन्हा, चखंडा मशरक के गोविंदा राय, बेन छपरा के रमेश राम पुत्र, शियरभुक्का के ललन राम, इसुआपुर के प्रेमचंद, इसुआपार के दिनेश ठाकुर, चंद्रमा राम (मशरक), विक्की महतो (मढ़ौरा), सलाउद्दीन (अमनौर), उमेश राय (अमनौर), उपेंद्र राम (अमनौर), शैलेन्द्र राय (बहरौली), दूधनाथ तिवारी (बहरौली), इकरामुल हक (बहरौली), सीताराम राय (बहरौली),अनिल ठाकुर (बहरौली), जगलाल साह (बहरौली), जगलाल साह (बहरौली), चंदेश्वर साह (बहरौली), रमेश महतो (मढ़ौरा), रंगीला महतो (मढ़ौरा), विक्रम राज (मढ़ौरा), जयप्रकाश सिंह (मशरक), दशरथ महतो (इसुआपुर), सुरेंद्र महतो (मढ़ौरा).
गांवों में पसरा मातमी सन्नाटाः आपको बता दें कि छपरा में 53 लोगों की मौत की वजह से वहां मातम पसरा हुआ है. वहीं अभी भी कई लोगों की हालत खराब है. दर्जनों लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा है. गांव वाले कहते हैं कि यहां शराबबंदी का कोई असर नहीं दिखता. आए दिन लोगों को शराब में नशे में देखा जाता है. शराबबंदी के बावजूद लोग चोरी छिपे शराब पी ही रहे हैं.
शराबबंदी पर उठ रहे हैं सवालः मालूम हो कि इससे पहले भी इसी साल अगस्त में मढौरा और मशरक में तकरीबन 13 लोगों की शराब पीने से मृत्यु हुई थी. इस मामले में भी पुलिस पल्ला झाड़ती नजर आई थी, अब इस घटना को लेकर भी लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में जहरीली शराब के सेवन से करीब 173 लोगों की मौत हुई है. जनवरी 2022 में बिहार के बक्सर, सारण और नालंदा जिलों में बैक टू बैक घटनाओं में 36 लोगों की मौत हुई थी. ये घटनाएं साबित करती हैं कि बिहार में शराबबंदी विफल है, लेकिन सरकार इस हकीकत को स्वीकार नहीं करना चाहती.