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1984 सिख दंगा: जगदीश टाइटलर की बढ़ सकती है मुश्किलें, चश्मदीदों ने दिए बयान

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया है कि न्यायाधीश ने 84 सिख दंगा में उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और अदालत ने 35 साल के लंबे अंतराल के बाद पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सीबीआई को नोटिस दिया है. इस नरसंहार में दो सिखों को जिंदा जला दिया गया था और एक गुरुद्वारा साहिब में भी आग लगा दी गई थी. जानें विस्तार से...

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा
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Published : Sep 26, 2019, 11:27 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 4:18 AM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की परेशानी बढ़ सकती है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) ने टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख नरसंहार में पुलबंगश के मामले मे संलिप्त होने का केस दर्ज कराया है.

बता दें, इस नरसंहार में दो सिखों को जिंदा जला दिया गया था और एक गुरुद्वारा साहिब में भी आग लगा दी गई थी.

दरअसल सिख दंगों के 35 साल बाद भी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ यह तीसरा मामला है. इससे पहले सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया था जबकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के खिलाफ मामला एसआईटी द्वारा फिर से खोल दिया गया है.

वहीं कोर्ट ने सीबीआई को चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज करने के संबंध में नोटिस जारी किया है.

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस मसले पर जानकारी दी कि मामला श्री नवीन कश्यप के रोज एवेन्यू कोर्ट में दायर किया गया. जहां दो चश्मदीद गवाह अमरजीत सिंह और हरपाल कौर न्यायाधीश के सामने पेश हुए और अदालत को बताया कि जगदीश टाइटलर ने सिखों को मारने वाली भीड़ को उकसाया था.

उन्होंने कहा कि वे धारा 164 के तहत अपने बयान दर्ज करने के लिए तैयार है.

सिरसा ने आगे बताया कि माननीय न्यायाधीश ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और अदालत ने 35 साल के लंबे अंतराल के बाद पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सीबीआई को नोटिस दिया है.

इसे भी पढ़ें- बढ़ सकती हैं कमलनाथ की मुश्किलें, SIT के सामने पेश हुआ गवाह

उन्होंने कहा कि अब DSGMC भी इस मामले को आगे बढ़ाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उसे 1984 के सिख नरसंहार के आरोपियों को जेल भेजा जाए.

DSGMC अध्यक्ष ने कहा कि यह केवल इसलिए हो रहा क्योंकि केंद्र में मोदी सरकार ने कार्यभार संभाला है. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष श्री सुखबीर सिंह बादल और केंद्रीय मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने इन प्रभावशाली कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ मामलों को छोड़ा नही.

उन्होंने कहा 'एक पुराना मामले में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान टाइटलर को सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी थी. इन्हें सीबीआई ने बरी कर दिया था. गांधी परिवार के प्रभाव के कारण इन सभी को सबूतों के अभाव में अदालतों ने बरी कर दिया था.'

उन्होंने कहा कि अब सिख समुदाय को 35 वर्षों के बाद आखिरकार राहत मिली है कि ये दोषी अब कानून का सामना कर रहे हैं और अदालतों द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद इन्हें जेल भेजा जाएगा.

इसे भी पढ़ें- 84 दंगा मामला: कमलनाथ की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, SIT दोबारा करेगी जांच

उल्लेखनीय है कि इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने के बाद पिछले साल से ही कमलनाथ की भी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. कुमार पर 31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख समुदाय के खिलाफ भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया गया था.

दंगे से संबंधित मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और कमलनाथ का भी नाम सामने आया था.

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की परेशानी बढ़ सकती है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) ने टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख नरसंहार में पुलबंगश के मामले मे संलिप्त होने का केस दर्ज कराया है.

बता दें, इस नरसंहार में दो सिखों को जिंदा जला दिया गया था और एक गुरुद्वारा साहिब में भी आग लगा दी गई थी.

दरअसल सिख दंगों के 35 साल बाद भी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ यह तीसरा मामला है. इससे पहले सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया था जबकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के खिलाफ मामला एसआईटी द्वारा फिर से खोल दिया गया है.

वहीं कोर्ट ने सीबीआई को चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज करने के संबंध में नोटिस जारी किया है.

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस मसले पर जानकारी दी कि मामला श्री नवीन कश्यप के रोज एवेन्यू कोर्ट में दायर किया गया. जहां दो चश्मदीद गवाह अमरजीत सिंह और हरपाल कौर न्यायाधीश के सामने पेश हुए और अदालत को बताया कि जगदीश टाइटलर ने सिखों को मारने वाली भीड़ को उकसाया था.

उन्होंने कहा कि वे धारा 164 के तहत अपने बयान दर्ज करने के लिए तैयार है.

सिरसा ने आगे बताया कि माननीय न्यायाधीश ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और अदालत ने 35 साल के लंबे अंतराल के बाद पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सीबीआई को नोटिस दिया है.

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उन्होंने कहा कि अब DSGMC भी इस मामले को आगे बढ़ाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उसे 1984 के सिख नरसंहार के आरोपियों को जेल भेजा जाए.

DSGMC अध्यक्ष ने कहा कि यह केवल इसलिए हो रहा क्योंकि केंद्र में मोदी सरकार ने कार्यभार संभाला है. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष श्री सुखबीर सिंह बादल और केंद्रीय मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने इन प्रभावशाली कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ मामलों को छोड़ा नही.

उन्होंने कहा 'एक पुराना मामले में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान टाइटलर को सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी थी. इन्हें सीबीआई ने बरी कर दिया था. गांधी परिवार के प्रभाव के कारण इन सभी को सबूतों के अभाव में अदालतों ने बरी कर दिया था.'

उन्होंने कहा कि अब सिख समुदाय को 35 वर्षों के बाद आखिरकार राहत मिली है कि ये दोषी अब कानून का सामना कर रहे हैं और अदालतों द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद इन्हें जेल भेजा जाएगा.

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उल्लेखनीय है कि इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने के बाद पिछले साल से ही कमलनाथ की भी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. कुमार पर 31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख समुदाय के खिलाफ भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया गया था.

दंगे से संबंधित मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और कमलनाथ का भी नाम सामने आया था.

Intro:After Sajjan Kumar and KamalNath,troubles for Cong leader Jagdish TytlerBody:The Delhi Sikh Gurudwara Management Committee (DSGMC) filed a case against Congress leader Jagdish Tytler for his involvement in 1984 Sikh Genocide in a case of PulBangash where two Sikhs were burnt alive and a Gurudwara Sahib was also set on fire. 35 years after the worst ever crime against humanity this is third major case against a senior leader of the Congress party. Earlier Sajjan Kumar was convicted while case against Madhya Pradesh Chief Minister Mr. Kamalnath has been reopened by the SIT.

            The Court issued notice to CBI regarding recording of statements of the eye witnesses.

            The DSGMC President Mr. Manjinder Singh Sirsa disclosed that case was filed in the Rose Avenue court of Mr. Naveen Kashyap where two eyewitnesses Amarjit Singh and Harpal Kaur deposed before that judge and told the court that they had seen Jagdish Tytler leading the mob and inciting the people to kill Sikhs.  They said that they were ready to record their statements under section 164.

            Mr. Sirsa further disclosed that Honorable Judge has accepted their plea and the court issued notice to CBI paving way for delivery of justice to the victims after a long gap of 35 years.

He said that now the DSGMC will also pursue this case and will ensure that he is send to jail for his role in 1984 Sikh Genocide. He said that it is an old case in which during the tenure of UPA Government Tytler had already got clean chit from the CBI.

The DSGMC President said that it is only because of the Modi Government took charge at Centre and the Shiromani Akali Dal President Mr. Sukhbir Singh Badal and Union Minister Mrs Harsimrat Kaur Badal pursued the cases against these influential Congress leaders who were acquitted by the CBI and other courts because of lack of evidence due to strong power of the Gandhi family. He said that now the Sikh community is finally relieved after 35 years that these guilty are now facing the law of the land will be sent to jail after conviction by the courts.Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 4:18 AM IST
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