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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, चारधाम प्रोजेक्ट में केंद्र कराए पौधरोपण - चार धाम राष्ट्रीय राजमार्ग

उत्तराखंड में चारों धामों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण होना है. सड़क चौड़ीकरण की अनुमति सरकार ने मांगी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत नहीं दी है.

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Published : Sep 8, 2020, 4:03 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को उत्तराखंड में यमुनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ धर्मस्थलों को जोड़ने वाले चार धाम राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण की अनुमति नहीं दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार धाम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 2018 के परिपत्र का अनुपालन करने का आदेश दिया.

परिपत्र के अनुसार पहाड़ी इलाकों में 5.5 मीटर की सड़क बनवाई जा सकती है लेकिन, केंद्र इसे 7 मीटर का बनाना चाहता था, जिसे अदालत ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया कि इस परियोजना के निर्माण के कारण पर्यावरण को जो क्षति पहुंची है, उसकी भरपाई के लिए पौधरोपण कराया जाए.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यावरण मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट में गठित हाई पावर्ड कमेटी (एचपीसी) द्वारा दिए गए एक हलफनामे में, चौड़ाई को लेकर सदस्य एक मत नहीं थे, जिसमें कुछ सदस्य चाहते थे की सड़क चौड़ी हो और कुछ चाहते थे की सड़क का चौड़ीकरण न हो.

केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी जिसमें इस संबंध में कोई भी आदेश पारित नहीं करने का आग्रह किया गया था.

पढ़ें :- पीओके में चीन का विरोध, डैम के निर्माण पर फूटा लोगों का गुस्सा

2019 में शीर्ष अदालत ने सरकार की 12,000 करोड़ रुपये की लगात से बनाए जाने वाले 900 किलोमीटर वाले राजमार्गा, जो चारों धामों को जोड़ेगा, के लिए एक समिति का गठन किया था. समिति को इस परियोजना के पारिस्थितिक प्रभाव की जांच यानी सिंगल लेन के स्थान पर डबल लेन राजमार्ग बनाए जाने की जांच करनी थी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को उत्तराखंड में यमुनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ धर्मस्थलों को जोड़ने वाले चार धाम राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण की अनुमति नहीं दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार धाम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 2018 के परिपत्र का अनुपालन करने का आदेश दिया.

परिपत्र के अनुसार पहाड़ी इलाकों में 5.5 मीटर की सड़क बनवाई जा सकती है लेकिन, केंद्र इसे 7 मीटर का बनाना चाहता था, जिसे अदालत ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया कि इस परियोजना के निर्माण के कारण पर्यावरण को जो क्षति पहुंची है, उसकी भरपाई के लिए पौधरोपण कराया जाए.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यावरण मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट में गठित हाई पावर्ड कमेटी (एचपीसी) द्वारा दिए गए एक हलफनामे में, चौड़ाई को लेकर सदस्य एक मत नहीं थे, जिसमें कुछ सदस्य चाहते थे की सड़क चौड़ी हो और कुछ चाहते थे की सड़क का चौड़ीकरण न हो.

केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी जिसमें इस संबंध में कोई भी आदेश पारित नहीं करने का आग्रह किया गया था.

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2019 में शीर्ष अदालत ने सरकार की 12,000 करोड़ रुपये की लगात से बनाए जाने वाले 900 किलोमीटर वाले राजमार्गा, जो चारों धामों को जोड़ेगा, के लिए एक समिति का गठन किया था. समिति को इस परियोजना के पारिस्थितिक प्रभाव की जांच यानी सिंगल लेन के स्थान पर डबल लेन राजमार्ग बनाए जाने की जांच करनी थी.

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