नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को बिल्किस बानो से कहा कि वह नौकरी और आवास के संबंध में गुजरात सरकार की पेशकश को लेकर अपनी शिकायतों के लिए संबंधित प्राधिकारियों से संपर्क करें.
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिल्किस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. वह उस समय पांच महीने की गर्भवती थीं.
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने बानो की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता से आवेदन वापस लेने तथा संबंधित प्राधिकारियों के समक्ष ज्ञापन देने को कहा.
इसके साथ पीठ ने आवेदन को खारिज कर दिया.
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गुजरात सरकार ने 12 अक्टूबर को न्यायालय को बताया था कि उसने बानो को 50 लाख रुपये का भुगतान किया और नौकरी दी है.
बानो ने अपने आवेदन में कहा कि वह आवास और नौकरी के संबंध में न्यायालय के आदेश का राज्य सरकार के अनुपालन से संतुष्ट नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायालय के आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है.
इससे पहले, गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अदालत के निर्देश के अनुसार राज्य ने बानो को 50 लाख रुपये और नौकरी दी है. उन्होंने बानो की याचिका का विरोध किया.
बानो ने अधिवक्ता गुप्ता के जरिए दायर अपने आवेदन में कहा है कि आवास के स्थान पर राज्य सरकार ने केवल 50 वर्ग मीटर भूमि दी है, जो रिकार्ड में उद्यान क्षेत्र के रूप में अधिसूचित है.
उन्होंने कहा कि जहां तक नौकरी की बात है, राज्य सरकार ने निश्चित वेतन ग्रेड में एक विशेष परियोजना के लिए अनुबंध के आधार पर सिंचाई विभाग में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी की पेशकश की है.