नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बांग्लादेश के प्रख्यात अर्थशास्त्री मुहम्मद युनूस से बातचीत का वीडियो रिलीज किया. इसमें उन्होंने कोरोना संकट और अर्थव्यवस्था को लेकर चर्चा की है.
प्रमुख अंश
राहुल - क्या कोरोना संकट से गरीबों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है.
मुहम्मद युनूस - कोरोना संकट ने पूरी व्यवस्था को उजागर कर दिया है. प्रवासी मजदूर हमारे बीच के ही लोग हैं. लेकिन उनकी मदद कोई नहीं कर सका. अगर हम उनकी मदद करते, तो अर्थव्यवस्था का ही मदद होता. इसी तरह से महिलाओं की बात करें, तो उन्हें समाज में निचला दर्जा दिया जाता है. अर्थव्यवस्था के ढांचे में उन्हें कोई पूछता नहीं है. ये अलग बात है कि महिलाओं ने खुद को हर समय पर अपने आप को साबित किया है.
राहुल - भारत और बांग्लादेश में छोटे कारोबारी किस हद तक प्रभावित हैं. वे हमारे भविष्य हैं, लेकिन उनकी अनदेखी की जा रही है.
मुहम्मद युनूस - एक बार फिर से हम कहना चाहेंगे कि छोटे मजदूरों के पास योग्यता होती है, लेकिन सरकार उन्हें इकोनोमी का हिस्सा नहीं मानती है. यह सोच पश्चिमी देशों की तरह है. वहां पर मजदूर नौकरी पाने के लिए शहरों की ओर जाते हैं. इसका समाधान तभी संभव हो सकेगा, जब हम गांव के आसपास इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करेंगे.
राहुल - गांधी की यही सोच थी. वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहते थे. भारत और बांग्लादेश इसी मॉडल पर अपने को मजबूत कर सकते हैं.
मुहम्मद युनूस - बिल्कुल सही, आज हम सोच रहे हैं कि कोरोना संकट खत्म हो जाए और पहले जैसी व्यवस्था फिर से आए. आप उसी दुनिया में वापस क्यों जाना चाहते हैं. कोरोना ने आपको नया मौका दिया है, आप उसका इस्तेमाल कीजिए. कुछ नया कीजिए. कुछ अलग कीजिए, तभी हमारा समाज बदल सकेगा.
राहुल - क्या कोरोना ने हमें एशिया के मॉडल पर काम करने का मौका दिया है, जो पश्चिमी देशों से बेहतर है.
मुहम्मद युनूस - आप एशिया ही क्यों, यह मंत्र तो पूरी दुनिया के लिए है. हमने ग्रामीण बैंक शुरू किया, धीरे-धीरे देखिए यही मॉडल ग्लोबल हो गया.
राहुल गांधी - हमारे यहां जाति का बंटवारा है. बांग्लादेश में भी यही स्थिति है. ऐसे में सामाजिक स्तर पर बदलाव लाना बहुत जरूरी है.
मुहम्मद युनूस - देखिए, हमारे यहां जाति व्यवस्था है, तो अमेरिका में रंगभेद है. इसलिए हमें मानवता पर वापस लौटना ही होगा. ऐसा करेंगे, तभी नई व्यवस्था बनेगी, नहीं तो कोरोना के अनुभव से सीख लीजिए.
राहुल - क्या ये बात कहना सही होगा कि आपको अपने लोगों पर विश्वास करना होगा. गरीबों में आत्मविश्वास बढ़ाना होगा. ऐसा करेंगे, तभी आप बढ़ेंगे.
मुहम्मद युनूस - जी हां, हमने ग्रामीण बैंक शुरू किया, तो कहा गया कि गरीबों के हाथों में पैसे क्यों दे रहे हैं. उस समय तो हजार-दो हजार रुपये ही दिए जाते थे. ये पैसे उनके लिए काफी थे. आज की स्थिति के अनुसार तो उन्हें बड़ी राशि दी जाती है. इसे ही नई व्यवस्था की शुरुआत कहते हैं.