नई दिल्ली/गाजियाबाद: बार एसोसिएशन गाजियाबाद ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. अधिवक्ताओं के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए एकजुट होकर उठ खड़े हुए हैं. एसोसिएशन ने इस विशेष अभियान को तेज करने के लिए एक संघर्ष समिति का गठन किया है, जिसमें 51 अधिवक्ताओं को स्थान दिया गया है, और इसमें पूर्व पदाधिकारी भी शामिल हैं. यह समिति आंदोलन की रणनीति को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी.
अधिवक्ताओं की मुख्य मांगों में शामिल हैं: गाजियाबाद के जिला जज का ट्रांसफर और निलंबन, दोषी पुलिसकर्मियों का निलंबन, वकीलों पर दर्ज मुकदमे वापस लेना, लाठी चार्ज में घायल वकीलों के लिए सहायता राशि जारी करना, और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकियों दर्ज करना.
आंदोलन की रूपरेखा: 30 नवंबर 2024 को सभी अधिवक्तागण चेंबर नंबर एक से लेकर चेंबर नंबर 250 तक धरना स्थल पर एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है. 11 वरिष्ठ अधिवक्ता क्रमिक अनशन करेंगे. इससे पहले, दोपहर 2 बजे सभी अधिवक्ता मानव श्रृंखला बनाते हुए हापुड़ चुंगी चौराहे तक पैदल प्रदर्शन करेंगे और फिर धरना स्थल पर लौटेंगे.
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अधिवक्ताओं के आंदोलन को प्रभावी बनाने और आम जनता को जागरूक करने के लिए कचहरी परिसर के सभी द्वारों पर होर्डिंग्स और बैनर लगाए जाएंगे. अध्यक्ष दीपक शर्मा ने कहा कि "जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक हमारी कलम बंद हड़ताल जारी रहेगी. हड़ताल के दौरान अधिवक्ता किसी भी प्रकार का न्यायिक कार्य नहीं करेंगे."
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का समर्थन
अधिवक्ताओं के इस आंदोलन को और गति देने के लिए, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जनपदों के पदाधिकारियों की एक मीटिंग शीघ्र आयोजित की जाएगी. इस बैठक में सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली के समक्ष प्रदर्शन करने और मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन देने की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. इसके लिए बैठक में तिथि निर्धारित की जाएगी जिससे आंदोलन को और मजबूत किया जा सके.
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