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केरल हाई कोर्ट ने आरोपी ताहा फजल की जमानत की रद्द - UAPA Case

केरल हाई कोर्ट ने माओवादी लिंक के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा दर्ज मामले में दूसरे आरोपी ताहा फजल की जमानत को रद्द कर दिया है. सितंबर 2019 में विशेष एनआईए कोर्ट ने फजल को जमानत दी थी.

केरल हाई कोर्ट
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Published : Jan 4, 2021, 7:47 PM IST

एर्नाकुलम : केरल हाई कोर्ट ने सोमवार को माओवादियों से संबंध रखने के आरोपी ताहा फजल की जमानत को रद्द कर दिया. माओवादी लिंक के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एनआईए द्वारा दर्ज मामले में फजल दूसरे आरोपी हैं.

केरल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा मामले में ताहा फजल के खिलाफ जुटाए गए सबूतों को देखते हुए उनकी जमानत रद्द की. हाई कोर्ट ने फजल को तुरंत सरेंडर करने का निर्देश दिया है.

हालांकि, हाई कोर्ट ने एलन शुहैब की जमानत को रद्द नहीं किया है. अदालत ने शुहैब की कम उम्र और उनके पास जब्त सामग्री की प्रकृति को देखते हुए उन्हें राहत दी है.

साथ ही हाई कोर्ट ने एनआईए की जांच टीम को एक वर्ष के भीतर मामले का ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया है.

सितंबर 2019 में विशेष एनआईए कोर्ट ने दोनों आरोपियों को जमानत दे दी थी. इसके बाद, एनआईए ने एलन और फजल की जमानत को रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था. एनआईए की दलील यह थी कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को जमानत देने से पहले सबूतों की जांच नहीं की.

पढ़ें- गोल्ड निवेश घोटाला मामले में केरल MLA को मिली जमानत, फिर भी जेल में रहेंगे

एनआईए ने अपनी दलील में यह भी कहा था कि यूएपीए मामले में जमानत का कोई प्रावधान नहीं है और यूएपीए केस में आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से समाज में संदेश जाएगा. हालांकि, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि एलन और फजल के खिलाफ यूएपीए आरोप का कोई सबूत नहीं था.

एर्नाकुलम : केरल हाई कोर्ट ने सोमवार को माओवादियों से संबंध रखने के आरोपी ताहा फजल की जमानत को रद्द कर दिया. माओवादी लिंक के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एनआईए द्वारा दर्ज मामले में फजल दूसरे आरोपी हैं.

केरल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा मामले में ताहा फजल के खिलाफ जुटाए गए सबूतों को देखते हुए उनकी जमानत रद्द की. हाई कोर्ट ने फजल को तुरंत सरेंडर करने का निर्देश दिया है.

हालांकि, हाई कोर्ट ने एलन शुहैब की जमानत को रद्द नहीं किया है. अदालत ने शुहैब की कम उम्र और उनके पास जब्त सामग्री की प्रकृति को देखते हुए उन्हें राहत दी है.

साथ ही हाई कोर्ट ने एनआईए की जांच टीम को एक वर्ष के भीतर मामले का ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया है.

सितंबर 2019 में विशेष एनआईए कोर्ट ने दोनों आरोपियों को जमानत दे दी थी. इसके बाद, एनआईए ने एलन और फजल की जमानत को रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था. एनआईए की दलील यह थी कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को जमानत देने से पहले सबूतों की जांच नहीं की.

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एनआईए ने अपनी दलील में यह भी कहा था कि यूएपीए मामले में जमानत का कोई प्रावधान नहीं है और यूएपीए केस में आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से समाज में संदेश जाएगा. हालांकि, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि एलन और फजल के खिलाफ यूएपीए आरोप का कोई सबूत नहीं था.

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